सरसा (सुनील वर्मा)। हरियाणा में सरसा को राजस्थान से जोड़ने वाले भादरा राजमार्ग के किनारे खड़े सूखे पेड़ यहां से गुजरने वाले राहगीरों के लिये मौत का साया बन गये हैं। इन सूखे पेड़ों के टूट-टूट कर सड़क पर गिरने से ये राहगीरों के लिये किसी भी समय बड़े हादसे का सबब बनते हैं। अनेकों बार ऐसा हुआ है जब पेड़ टूट कर सड़क पर गिरा और वहां से गुजरने वाले बाल बाल बच गये। सम्बंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वह ऐसे पेड़ों को वहां से हटाये लेकिन वे तो इस ओर आंखे मूंदे बैठे हैं। इन सूखे पेड़ों की चोरी होने से राजस्व का भी चूना लग रहा है। सिरसा-भादरा राजमार्ग पर सैंकड़ों ऐसे पेड़ हैं जो सूख चुके हैं तथा इनकी टहनियां काफी नीचे सड़क पर लटक रही हैं जो वहां से गुजरने वाली बसों, ट्रकों और ट्रैक्टर ट्रालियों जैसे ऊंचे वाहनों से टकराती हैं। इससे वाहनों का तो नुकसान होता ही है लेकिन इनमें बैठे लोगों की जान की जोखिम में पड़ जाती है।
आंधी और तेज हवाएं चलने पर इन सूखे पेड़ों के गिरने तथा हासदा होने का खतरा और भी ज्यादा बढ़ जाता है। कागदाना गांव के पास तो हालात इतने बद्तर हैं कि ये सूखे ठूंठ टूट कर राहगीरों पर गिरने लगे हैं जिससे कई बार बड़े हादसे होते-होते बचे। गत दिनों इसी राजमार्ग पर हरियाणा रोडवेज की सिरसा डिपो की एक चलती बस पर सूखा पेड़ आ गिरा जिससे बस का काफी नुकसान हो गया वहीं चालक और चालक घायल हो गये। गनीमत है कि जान बच गई। इस संदर्भ में हरियाणा वन विभाग के जिला अधिकारी राम चंद्र जांगड़ा से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि कितने पेड़ सूखे और ठूंठ बन चुके हैं यह उनके संज्ञान में नहीं है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल(एनजीटी) की हिदायतों के चलते सूखे पेड़ काटना उनके दायरे में नहीं है। नाथूसरी चोपटा क्षेत्र के रेंज अधिकारी से इस बाबत जानकारी ली जाएगी।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।