Drug Prevention : नशीली दवाओं की रोकथाम पर सवाल

Drug Prevention

हाल ही में पंजाब में 66 किलो अफीम की बरामदगी समाज और सरकार के लिए एक बड़ी चेतावनी है। बेशक पुलिस ने खेप को बरामद कर लिया है, लेकिन सवाल यह उठता है कि पुलिस के नशा विरोधी अभियान के बावजूद नशा तस्करों का नेटवर्क और इरादे बरकरार हैं। पुलिस ने बड़े तस्करों का तो पर्दाफाश कर दिया, लेकिन न जाने कितने छुटपुट तस्कर बिना किसी भय के नशे का धंधा कर रहे हैं। नशे का सेवन करने से युवाओं की मौतें होना यह सिद्ध करता है कि पुलिस की मुस्तैदी के बावजूद बड़ी मात्रा में नशा बिक रहा है। पुलिस के अंतरराज्यीय संपर्क के बावजूद नशीली दवाओं की तस्करी और नशीली दवाओं (Drug Prevention) का सेवन जारी है।

वास्तव में, नशे की समस्या को केवल पुलिस प्रबंधों तक सीमित कर देने से समाधान नहीं होगा। नशे से सामाजिक, शारीरिक व स्वास्थ्य सरोकार भी जुड़े हैं। नशाग्रस्त युवक को स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं मुहैया करवाई जानी चाहिए, लेकिन इस मामले में स्वास्थ्य विभाग बिल्कुल नदारद है। यदि युवा नशा करना ही बंद कर दें, तो कोई भी नशा तस्करों से नशा ही नहीं खरीदेगा। युवाओं को नशे की लत से मुक्ति दिलाने के लिए स्वास्थ्य विभाग को सक्रिय होना होगा। नशा तस्करों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई आवश्यक है, लेकिन नशे को रोकने का यही एकमात्र उपाय नहीं है। डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा चलाए गए अभियान से लाखों युवक अब तक नशा छोड़ चुके हैं। नशे से छुटकारा पाने के लिए युवाओं की मानसिकता को बदलना जरूरी है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here