बच्चों में बढ़ता नशाखोरी घातक

Drug addiction dangerous alarm

मादक पदार्थों का सेवन अत्यंत घातक सिद्ध | Drug addiction dangerous alarm

भारत विकासील के साथ युवाओं का देश हैं। जिनकी आबादी के आधे से ज्यादा लोग युवा की गिनती में आते हैं। (Drug addiction dangerous alarm) युवा ही ऐसे ताकत होते हैं, जो देश के विकास में अहम भागीदारी निभाते हैं। देश में ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि युवाओं के दम पर ही देश को विकसित बनाया जा सकता है। लेकिन जिस युवा पीढ़ी के बल पर भारत विकास के पथ पर दौड़ने का दंभ भर रहा है, वह दुर्भाग्य से इन दिनों नशे की गिरफ्त में आ रही है। युवा तो युवा बच्चे भी इसके शिकार बनते नजर आ रहे हैं। विडंबना यह है कि दस साल से लेकर पन्द्रह साल के बच्चे भी आज नशा करने में पीछे नहीं हैं।

बच्चों में नशीले पदार्थों का सेवन बढ़ा है, जो चिंता का विषय है। यह प्रवृति शहरी क्षेत्रों में सीमित ना रहकर ग्रामीण इलाकों में भी अपना पांव पसारती दिख रही है। इन दिनों भांग चरस गांजा कोकीन का उपयोग खूब बढ़ा है और एक अलग किस्म की नशा इंजेक्शन द्वारा भी मादक पदार्थों को शरीर मे लिया जाता है, जो अत्यंत घातक साबित होता है और विविध प्रकार के नशे हैं जो इन दिनों व्यापारियों द्वारा धड़ल्ले से बाजार में जहर के रूप में परोसा जा रहा है। नशा चाहे जो भी हो जानलेवा होता है। मादक पदार्थों का सेवन अत्यंत घातक सिद्ध होता है। जिसका मस्तिष्क पे गहरा असर होता है। जिनका प्रचलन काफी ज्यादा बढ़ा है जो घातक के साथ-साथ मनुष्य को शारीरिक और मानसिक रूप से पंगु बना देता है। लेकिन यही मादक पदार्थों का सेवन अगर बच्चे करने लगे तो क्या होगा? हमारा समाज किधर जाएगा?

किशोर अवस्था में बिगड़ते है बच्चे | Drug addiction dangerous alarm

दस से अट्ठारह साल तक जिसे किशोरावस्था का साल कहा जाता है। इन्हें तूफान का साल भी कहा जाता है। जिसमें बच्चे कुछ भी करने के सक्षम दिखाई देते हैं। कुछ नया करते हैं या करने की सोचते हैं। इस समय शरीर मे भिन्न-भिन्न बदलाव होने शुरू होते हैं। इसी समय बच्चे खुद को अकेलापन महसूस करते हैं और वे दोस्त बनाते हैं। इस बीच वे गलत संगत के आड़ में पड़ कर कुछ नया करने की कोशिश में नशे का सेवन शुरू कर देते हैं।उन्हें लगता है कि वे नशा करके खुद को स्मार्ट व मॉडर्न बना सकते हैं या दोस्तों के साथ सक्रियता दिखा सकते हैं। नशे के आजकल फैशन का रूप लिया हुआ है। कई बच्चे दोस्तों के दबाव में आकर भी ऐसे कदम उठा लेते हैं और कई पहली अनुभूति के लिए ऐसा करते हैं। जिस उम्र मानव का शारिरिक और मानसिक विकास हो रहा होता है उसमें नशा बाधक बनकर सामने आता है। बच्चे चरस भांग कोकीन हीरोइन मादक पदार्थों का सेवन शुरू कर देते हैं।

नशा बच्चे की सुंदरता को नष्ट करते हैं | Drug addiction dangerous alarm

बच्चे इन मादक पदार्थों की गिरप्त में एक बार फंस जाएं तो उसका बाहर निकलना बेहद मुश्किल हो जाता है। मादक पदार्थ मानव शरीर की सुंदरता को नष्ट कर मानव शरीर को खोखला कर देता है। इनका उपयोग बच्चों की पीढ़ी की क्षमताओं को नष्ट कर उनकी कार्यक्षमता को मिटा रहा है और देश को सामाजिक और आर्थिक रूप से नंगा कर रही है। दिनोंदिन नशा अपनी व्यापकता बढ़ाता जाता है और मानव जीवन को नर्क बना देती है। व्यक्ति अंदर अंदर ही खोखला होकर टूट जाता है। नशा बच्चे की सुदंरता को छीन कर मानसिक रूप से पंगु बना देता है। बच्चों पर नशा का बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है। वे अच्छे बुरे की पहचान नहीं कर पाते हैं। बच्चों में बढ़ता अवसाद भी नशे के कारण हो सकते हैं। जिसका बुरा प्रभाव ये भी है कि वे अन्य चीजों में अपना रुचि खो देते हैं और उनकी जिंदगी अंधेरे में कहीं गुम हो जाती है। वे सारे यही बच्चे हैं जो देश के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं। लेकिन ऐसे बुरी लत से उसके मस्तिष्क पूर्ण रूप से कार्य नहीं करता है और बच्चे अपनी कार्यक्षमता खो देते हैं। और देश का भविष्य अंधेरे में झोंप देता है। ऐसे स्थिति में बच्चे अपना योगदान ना तो समाजिक रूप से ना ही राष्टÑ तौर पे दे पाते हैं।

प्राचीन काल से ही भारत में जारी है नशा | Drug addiction dangerous alarm

हम बचपन से सुनते आए हैं कि बच्चे देश के भविष्य होते हैं। लेकिन जब उनका विकास नशीले पदार्थों से हो रहा हो तो फिर हम एक विकसित देश के रूप में कैसे उभरेंगे? हालांकि प्राचीनकाल से ही भारत देश मे नशा का प्रचलन जारी है।आमतौर पे लोग नशे के लिए शराब का उपयोग करते हैं।लेकिन आजकल विदेश के नशे को बढ़ावा दिया जा रहा है।आमतौर पे भारत मे नशीले दवाइयों का उत्पादन उतनी बड़ी पैमाने पे नहीं की जाती है जितना कि विदेशों में। बहुत प्रकार की नशीले दवाई का देन विदेश का है। जिससे घातक से घातक बीमारी होती है।

 

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