शरीर को शुद्ध रखने के लिये जल आवश्यक है। जल के बिना स्नान संभव नहीं है और स्नान के बिना शरीर की सफाई नहीं हो सकती। यदि हम चार-पांच दिन स्नान न करें तो शरीर से दुर्गंध आने लगती है, इसके साथ ही आलस्य का समावेश हो जाता है।
पानी मानव की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है। भोजन के बिना तो व्यक्ति कुछ दिन तक जीवित रह सकता है, लेकिन पानी के बिना जीवन संभव नहीं है। आज हमारे देश के अधिकांश भागों में पानी आसानी से मिल जाता है, लेकिन कुछ ऐसे भी भाग हैं, जहां पानी का दूर-दूर तक अंश नहीं दिखाई पड़ता। लेकिन वहां रहने वाले लोग दूर से पानी लाकर पीने की पूर्ति करते हैं। भारत ही नहीं, वरन् विश्व के अनेक देशों में पानी की कठिनाइयां बनी हुयी हैं।
पानी पीने से शरीर के अंदर के भागों की सफाई होती रहती है। जो व्यक्ति पानी कम मात्रा में पीते हैं, उनके अंदर तरह-तरह के रोग हो सकते हैं, क्योंकि आंतों की सफाई के लिये समुचित मात्रा में जल का सेवन करना नितांत आवश्यक है। आंतों की सफाई न होने से खाये गये पोषक तत्वों का अवशोषण होने लगेगा। फलस्वरूप तरह-तरह के रोगों से शरीर को कष्ट होने लगेगा।
जल की कमी कभी-कभी जानलेवा भी हो सकती है। शरीर में पसीने की वजह से पानी का क्षय होता रहता है। इसकी भरपाई के लिये पानी की आपूर्ति नितांत आवश्यक है। शारीरिक श्रम के दौरान शरीर का पानी काफी खर्च होता है, अत: श्रम करने से पहले खूब डटकर पानी पी लेना चाहिये। परिश्रम के तत्काल बाद पानी पीना उचित नहीं है।
तांबे के बर्तन में रात भर रखे पानी को प्रात: पीने से पेट संबंधी कई रोगों का नाश होता है। स्टील के बर्तन की बजाय तांबे के बर्तन में पानी रखना स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभदायक है। मोटापा घटाने की प्रभावी औषधि है जल। प्रचुर मात्रा में जल पीने से पेट भरा भरा रहता है। परिणाम स्वरूप खाद्य सामग्री की आवश्यकता कम होती है।
एक कब्ज सौ अन्य बीमारियों की जननी होती है, जो पानी की कमी से होती है। जो पानी पीने में कंजूसी बरतते हैं, वे प्राय: कब्ज के शिकार रहते हैं। जल में प्राकृतिक रूप से रोगों से लड़ने की शक्ति विद्यमान रहती है। जो लोग पर्याप्त मात्रा में जल का सेवन करते हैं, वे रोगाणुओं के हमले से बचे रहते हैं।
इस प्रकार हम देखते हैं कि जल का समुचित सेवन करने से हम तरह-तरह की बीमारियों से बच सकते हैं। यदि हमें सुख से जीना है तो शुद्ध जल को पीना चाहिए, क्योंकि तब हमें रोगों की कोई चिंता नहीं रहेगी। इसलिये कहा गया है पानी पियो सुख से जियो।
-कुमार पंकज
शरीर को जल की आवश्यकता प्राकृतिक बात है। यदि व्यक्ति पानी कम पीता है तो जल की पूर्ति प्रकृति उसके रक्त, मांसपेशियों और विभिन्न कोशिकाओं से करती है। इससे अन्य शारीरिक समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।
जल की कमी व्यक्ति की कार्य शक्ति या कार्यदक्षता को प्रभावित करती है वह उत्साह में कमी आती है अत: इस दृष्टि से पानी भी खूब पीना चाहिये। जो लोग पर्याप्त मात्रा में जल सेवन करते हैं, उन्हें गुर्दे की पथरी नहीं होती और यदि होती भी है तो जल का सेवन उसे बाहर कर देता है।
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