एक शहर में एक परिश्रमी, ईमानदार और सदाचारी लड़का रहता था। माता-पिता, भाई-बहन, मित्र, रिश्तेदार सब उसे बहुत प्यार करते थे। सबकी सहायता को तत्पर रहने के कारण पड़ोसी से लेकर सहकर्मी तक उसका सम्मान करते थे। सब कुछ अच्छा था, किंतु जीवन में वह जिस सफलता प्राप्ति का सपना देखा करता था, वह उसे उससे कोसों दूर था। वह दिन-रात जी-जान लगाकर मेहनत करता, किंतु असफलता ही उसके हाथ लगती। उसका पूरा जीवन ऐसे ही निकल गया और अंत में जीवनचक्र से निकलकर वह कालचक्र में समा गया। चूंकि उसने जीवन में सुकर्म किये थे, इसलिए उसे स्वर्ग की प्राप्ति हुई। देवदूत उसे लेकर स्वर्ग पहुँचे। स्वर्गलोक का अलौकिक सौंदर्य देख वह मंत्रमुग्ध हो गया और देवदूत से बोला, ‘ये कौन सा स्थान है?’
‘ये स्वर्गलोक है। तुम्हारे अच्छे कर्म के कारण तुम्हें स्वर्ग में स्थान प्राप्त हुआ है। अब से तुम यहीं रहोगे।’ देवदूत ने उत्तर दिया। यह सुनकर लड़का खुश हो गया। देवदूत ने उसे वह घर दिखाया, जहां उसके रहने की व्यवस्था की गई थी। वह एक आलीशान घर था। इतना आलीशान घर उसने अपने जीवन में कभी नहीं देखा था। देवदूत उसे घर के भीतर लेकर गया और एक-एक कर सारे कक्ष दिखाने लगा। सभी कक्ष बहुत सुंदर थे। अंत में वह उसे एक ऐसे कक्ष के पास लेकर गया, जिसके सामने ‘स्वप्न कक्ष’ लिखा हुआ था।
जब वे उस कक्ष के अंदर पहुँचे, तो लड़का यह देखकर दंग रह गया कि वहाँ बहुत सारी वस्तुओं के छोटे-छोटे प्रतिरूप रखे हुए थे। ये वही वस्तुयें थीं, जिन्हें पाने के लिए उसने आजीवन मेहनत की थी, किंतु हासिल नहीं कर पाया था। आलीशान घर, कार, उच्चाधिकारी का पद और ऐसी ही बहुत सी चीजें, जो उसके सपनों में ही रह गए थे। वह सोचने लगा कि इन चीजों को पाने के सपने मैंने धरती लोक में देखे थे, किंतु वहाँ तो ये मुझे मिले नहीं। अब यहाँ इनके छोटे प्रतिरूप इस तरह क्यों रखे हुए हैं? वह अपनी जिज्ञासा पर नियंत्रण नहीं रख पाया और पूछ बैठा, ‘ये सब यहाँ इस तरह इसके पीछे क्या कारण है?’
देवदूत ने उसे बताया, ‘मनुष्य अपने जीवन बहुत से सपने देखता है और उनके पूरा हो जाने की कामना करता है। किंतु कुछ ही सपनों के प्रति वह गंभीर होता है और उन्हें पूरा करने का प्रयास करता है। ईश्वर और ब्रह्मण्ड मनुष्य के हर सपने पूरा करने की तैयारी करते है। लेकिन कई बार असफलता प्राप्ति से हताश होकर और कई बार दृढ़ निश्चय की कमी के कारण मनुष्य उस क्षण प्रयास करना छोड़ देता है, जब उसके सपने पूरे होने वाले ही होते हैं। उसके वही अधूरे सपने यहां प्रतिरूप के रूप में रखे हुए है। तुम्हारे सपने भी यहाँ प्रतिरूप के रूप में रखे है। तुमने अंत समय तक हार न मानी होती, तो उसे अपने जीवन में प्राप्त कर चुके होते।’लड़के को अपने जीवनकाल में की गई गलती समझ आ गई। किंतु मृत्यु पश्चात अब वह कुछ नहीं कर सकता था।
किसी भी सपने को पूर्ण करने की दिशा में काम करने के पूर्व यह दृढ़ निश्चय कर लें कि चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न आये? चाहे कितनी बार भी असफलता का सामना क्यों न करना पड़े? अपने सपनों को पूरा करने की दिशा में तब तक प्रयास करते रहेंगे, जब तब वे पूरे नहीं हो जाते। अन्यथा समय निकल जाने के बाद यह मलाल रह जाएगा कि काश मैंने थोड़ा प्रयास और किया होता। अपने सपनों को अधूरा मत रहने दीजिये, दृढ़ निश्चय और अथक प्रयास से उन्हें हकीकत में तब्दील करके ही दम लीजिये।
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