कसूर आढ़तियों का , नुकसान झेल रहे धरतीपुत्र
- सरकार ने रोके 2300 करोड़ तो आढ़तियों ने मोटी रकम
- राज्य सहित आढ़ती किसानों के पैसों से ब्याज कमा रहे आढ़ती
अश्वनी चावला/सच कहूँ चंडीगढ़। हरियाणा में किसानों को कोरोना काल में फसल बेचने के बाद भी दुश्वारियों का सामना करना पड़ रहा है। एक तरफ प्रदेश सरकार किसानों के लिए पैसा जारी नहीं कर रही है तो दूसरी तरफ किसानों को रोजाना 50 लाख रुपए ब्याज का नुकसान उठाना पड़ रहा है। ये नुक्सान उस पैसे पर हो रहा है, जो 2300 करोड़ रुपये प्रदेश सरकार की तरफ बकाया चल रहे हैं। जबकि जो पैसा आढ़तियों ने सरकार से लेकर अपने बैंक खातों में जमा कर रखा है, उसका तो अभी हिसाब-किताब ही नहीं किया गया है। ऐसे में प्रदेश की सरकार और आढ़ती किसानों के पैसे से ब्याज कमाने में लगे हुए हैं, जबकि ब्याज तो दूर किसान को अभी तक अपनी फसल का मूल पैसा भी नहीं मिल पा रहा है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर शुरू से ही यह दावा करते आये हैं कि उनकी सरकार में किसी भी किसान को अदायगी के लिए 24 घण्टे से ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा, पंरतु पिछले 15 दिनों से किसानों को अदायगी नहीं होने का ही मामला प्रदेश में गरमाया हुआ है। ऐसे में अब किसानों को ब्याज के रूप में भी नुकसान होने शुरू हो गया है।
जानकारी अनुसार प्रदेश सरकार ने पिछले एक माह के दौरान किसानों से 12 हजार करोड़ की फसल की खरीद की है। पुरानी परंपरा के तहत प्रदेश सरकार की तरफ से खरीद की गई फसल का पैसा आढ़तियों के खाते में डाला जा रहा है, जिसके बाद आढ़तियों को 3 दिन के भीतर यह पैसा किसानों को उनके बैंक खाते में देना होता है। लेकिन खुद सरकार ने ही 12 हजार करोड़ की फसल खरीदकर उसमें से सिर्फ 9700 करोड़ रुपये ही जारी किए हैं। जिससे कि सरकार पर किसानों के 2300 करोड़ रुपये बकाया हैं। इस अदायगी के न होने के चलते किसानों को रोजाना 50 लाख रुपये के ब्याज न नुकसान हो रहा है। इसकी भरपाई के लिए सरकार कुछ नहीं कर रही है। इस मामले में उप मुख्यमंत्री दुष्ण्यत चौटाला से बात करने की लगातार दो दिन कोशिश की गई, लेकिन बात नहीं हो पाई।
ब्याज की मार में डूब रहे प्रदेश के किसान
प्रदेश सरकार की तरफ से जारी नहीं किए किए 2300 करोड़ के ब्याज को लेकर प्रदेश सरकार के अधिकारियों को कहना है कि अब इस तरह के ब्याज कैलकुलेशन में पड़ने से क्या होने वाला है। प्रदेश सरकार जल्द ही बकाया जारी कर देगी, लेकिन ब्याज कैलकुलेशन में सरकार नहीं पड़ेगी। जबकि दूसरी तरफ प्रदेश का किसान ब्याज कैलकुलेशन में ही डूब रहा। बड़ी संख्या में प्रदेश के किसान फसल पैदावार करने के लिए ब्याज पर पैसा उठाते हैं और फसल बिक जाने के बाद ब्याज सहित मूल वापस करता है। किसान जो पहले 30 अप्रैल तक फसल बेचकर पैसा वापस कर देता था, अब उसे 30 मई तक इंतजार करना पड़ रहा है। ऐसे में किसानों को एक महीने का ज्यादा ब्याज देना पड़ेगा। जबकि किसानों को सरकार पर बकाया 2300 करोड़ रुपये पर रोजाना 50 लाख रुपए तक का नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसकी भरपाई कौन और कैसे करेगा? ये सवाल बना हुआ है।
आढ़तियों से ब्याज भरपाई तो खुद सरकार क्यों नहीं देती ब्याज
प्रदेश सरकार की तरफ से अब आढ़तियों के खिलाफ शिकंजा कसने की तैयारी की जा रही है। जिन्होंने सरकार की तरफ से पैसा जारी होने के पश्चात 3 दिनों के भीतर किसानों को पैसा जारी नहीं किया है। ऐसे आढ़तियों को उतने दिन का ब्याज किसानों को देना पड़ेगा, जितने दिन आढ़ती ने पैसा देरी से किसान को जारी किया है। अब सवाल यहां पर यह उठता है कि जब यह फार्मूला आढ़ती के लिए बन सकता है तो सरकार के लिए क्यों नहीं बन सकता है। सरकार ने 2300 करोड़ रुपया किसानों का जो रोक रखा है, उस पर सरकार ब्याज क्यों नहीं दे रही।
अगले 2-3 दिनों में जारी कर देंगे 2300 करोड़, कोई आढ़तियों की ले खबरसार : पी.के. दास
खाद्य व आपूर्ति विभाग के एडिशनल चीफ सेक्टरी पी.के. दास ने कहा कि किसानों की फसल खरीदने के बाद 2300 करोड़ रुपये प्रदेश सरकार की तरफ अभी बकाया चल रहा है और आने वाले दो-तीन दिनों में यह 2300 करोड़ रुपये आढ़तियों के बैंक अकाउंट में चला जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से देरी हुए पैसे का जिक्र तो सभी कर रहे हैं, परंतु जो पैसा आढ़ती जारी नहीं कर रहे हैं, उसकी खबर सार कोई नहीं ले रहा है। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में ऐसे आढ़ती प्रदेश में हैं, जिन्होंने सरकार की तरफ से जारी किए गए करोड़ों रुपए का भुगतान किसानों को किया ही नहीं है, इसलिए अब उन आढ़तियों के सूची बनाई जा रही है। पी.के. दास ने बताया कि इन आढ़तियों से ब्याज भी किसानों को दिलवाया जाएगा। प्रदेश सरकार किसानों को ब्याज देगी या नहीं देगी, इस संबंध में उन्होंने कुछ भी नहीं बताया।
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