विश्व में कोविड-19 के कारण मची बर्बादी से भारत सरकार पूरी तरह जागरूक है और इस महामारी से लड़ने के लिए सरकार हर मोर्चे पर जुटी हुई है। आज 22 मार्च को केंद्र सरकार ने जनता कर्फ्यू का आह्वान एक वैज्ञानिक सोच से प्रेरित मानवता को समर्पित निर्णय है। पूरा देश इस निर्णय से सहमत है। नि:संदेह इस मुहिम से बीमारी को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। जनता का सहयोग बड़ी ताकत है। महामारी को रोकने के लिए मेडिकल प्रबंधों के साथ-साथ जागरूकता आवश्यक है।
लोग पिछली सदी में आई प्लेग की बीमारी से डरे हुए हैं लेकिन आज 21वीं सदी का युग है। तकनीक व मेडिकल सुविधा के कारण मरीजों की पहचान व जांच का काम तेजी से हो रहा है, फिर भी जागरूकता में जरा सी लापरवाही बड़ी मुसीबत बन जाती है। बड़ी बात है कि शासन-प्रशासन महामारी से निपटने के लिए दिन-रात जुटे हुए हैं। कई स्थानों पर संदिग्ध मरीजों व पुष्टि वाले मरीजों द्वारा अस्पताल में दाखिल नहीं होना व अस्पताल से भाग जाना फिर पुलिस द्वारा उन्हें ढूंढना व मनाना मुश्किल भरा काम है। फिर भी पुलिस पूरी मुस्तैदी से काम कर रही है। इन हालातों में यह जनता का भी कर्तव्य बनता है कि वे मेडिकल टीमों, प्रशासन व पुलिस का सहयोग करें। घरों में रहने से करोड़ों व्यक्तियों का संपर्क टूटेगा जिससे वायरस के फैलने की संभावना कम होगी। यदि कुछ दिनों के लिए सार्वजनिक स्थानों से जाने से बचाव किया जाए तब कोरोना बीमारी के कहर से बचा जा सकता है। आम भारतीय विश्व के अन्य देशों की अपेक्षा ज्यादा सामाजिक लोग हैं।
हमें अपनी जीवनशैली में परिवर्तन करने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। भारतीय अच्छी तरह जानते हैं कि इलाज से पहले परहेज सस्ता व आसान है। यदि हम अपनी संस्कृति के नैतिक गुणों, सहयोग और जागरूकता से कोरोना को हरा देते हैं तब यह पूरे देश के लिए गर्व वाली बात होगी। आओ! देश की भलाई के लिए एकजुट होकर बीमारी से लड़ने के लिए सरकार के दिशा-निर्देशों की पालना करें। अफवाहें फैलाना देश का नुक्सान करना है, बिना किसी बात की जानकारी से अफवाह फैलाने वालों से जागरूक रहें, जिम्मेदारी वाला व्यवहार करें। जनता कर्फ्यू है तो घर पर ही रहें।
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