अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भारत दौरे पर जबरदस्त स्वागत हुआ। अपने 26 मिनट के भाषण में ट्रंप 130 करोड़ भारतीयों को यह बताने में कायमयाब रहे कि अमेरिका और भारत दोनों एक-दूसरे के दोस्त हैं। इससे पूर्व भी अमेरिका के तीन राष्ट्रपति भारत का दौरा कर चुके हैं परंतु इस बार अलग बात यह थी कि अहमदाबाद में ट्रंप के स्वागत के लिए एक लाख से अधिक लोग मौजूद थे।
इसी तरह बीते वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे के समय ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में प्रवासी भारतीय बड़ी संख्या में उपस्थित थे। राजनीतिक गलियारों में हाउडी मोदी कार्यक्रम की आलोचना हुई थी कि ट्रंप ने राष्ट्रपति के चुनाव जीतने के लिए प्रवासी भारतीयों की वोट लेने के लिए यह कार्यक्रम करवाया है। अहमदाबाद वाले कार्यक्रम के बारे में भी ऐसी ही चर्चा है। ट्रंप को इन कार्यक्रमों से चुनावों में कितना फायदा मिलेगा। इस बारे में अभी कुछ कहना मुश्किल है क्योंकि अमेरिका में 80 प्रतिशत से अधिक प्रवासी भारतीय ट्रंप की विपक्षी डमोक्रेटिक पार्टी के समर्थन में वोट डालते रहे हैं। इसके बावजूद ट्रंप का दौरा भारत का कद ऊंचा करने में कामयाब हुआ है।
डोनाल्ड ट्रंप के दौरे की शुरुआत गुजरात से हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजनीतिक वजन को भी बढ़ाती है। निजी कार्यक्रम देशों के साथ-साथ राजनीतिक नेताओं की पकड़ को मजबूत करते हैं। इस दौरे के द्वारा भारत ने अपने विरोधी पाकिस्तान को टक्कर देने की कूटनीति में कामयाबी हासिल की है। बेशक डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के बारे में दोहरे मापदंड प्रयोग किए हैं, परंतु भारत में आतंकवादी हिंसा के लिए पाकिस्तान के पास मुद्दा उठाने की बात कहकर भारत के पक्ष का समर्थन किया है। वहीं ट्रंप की भाषा से यह भी प्रतीत हुआ है कि अमेरिका, अफगानिस्तान व ईरान जैसे देशों में चल रही लड़ाई पाकिस्तान की जरुरत महसूस करता है। डोनाल्ड ट्रंप ने भारत की बात कहने के साथ-साथ पाकिस्तान को भी आतंकवाद के खिलाफ जुटा हुआ कहकर दोगली नीति अपनाई है।
हैरानीजनक बात यह है कि जिस पाकिस्तान को अमेरिका, भारत के बीच आतंकवादी हिंसा के लिए जिम्मेवार ठहराता है उसी पाकिस्तान को आतंकवाद के खात्मे में जुटा हुआ कहना अमेरिका के आचरण पर सवाल खड़े करता है। फिर भी अमेरिका द्वारा पाकिस्तान पर सवाल उठाना भारत की कूटनीतिक जीत मानी जाएगी। अमेरिका भारत को हथियारों के बड़े खरीददार के रूप में भी देखता है और यह दोस्ती अमेरिका के लिए वित्तीय तौर पर भी लाभदायक है। पाकिस्तान आर्थिक तंगी के चलते बड़ी खरीददारी से बाहर होता जा रहा है। अमेरिका दोस्ती भारत के ज्यादा काम की नहीं अगर अमेरिका आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ हमदर्दी जताता है।
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