केंद्र सरकार नेशनल मेडिकल कमीशन बिल पास कर दे रही झटके
सरकारी अस्पतालों में नौकरी करने से कर रहे परहेज
(Doctors Treating Patients Stress)
जालंधर (सच कहूँ न्यूज)।
जिंदगी और मौत में जूझ रहे मरीजों का इलाज कर उन्हें नई जिंदगी देने वाले डॉक्टर खुद तनाव में हैं। सरकारी व गैर सरकारी डॉक्टर मरीजों को भले ही मानसिक तनाव से मुक्ति दिलाने का इलाज करते हैं परंतु खुद के मर्ज के इलाज को लेकर सरकारी दवा के इंतजार में हैं। केंद्र सरकार नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) बिल पास कर डॉक्टरों को झटके दे रही है। वहीं राज्य सरकार की नीतियों के चलते डॉक्टर सरकारी अस्पतालों में नौकरी करने से भाग रहे हैं। डॉक्टर मांगों को लेकर सड़कों पर उतरे परंतु सरकार उनके घाव पर मरहम नहीं लगा सकी।
अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी खुद उठा रहे डॉक्टर
आइएमए के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. पीएस बक्शी कहते हैं कि सुरक्षा के लिए पंजाब प्रोटेक्शन फॉर मेडिकेयर परसन एंड मेडिकेयर इंस्टीट्यूशनस (प्रीवेंशन आॅफ वायलेंस एंड डेमेज टू प्रॉपर्टी बिल 2008) बनने के 10 साल बाद भी डॉक्टर असुरक्षित हैं। राज्य में डॉक्टरों व अस्पतालों में छोटे-बड़े हमले व मारपीट को लेकर हर सप्ताह 2-3 मामले सामने आ रहे हैं। आइएमए पंजाब ने एक्ट को सख्ती से लागू करने के लिए राज्य सरकार के मंत्रियों व पुलिस के डीजीपी स्तर पर बैठकें की परंतु नतीजे नहीं मिले।
डॉक्टरों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू: सेहत मंत्री
सेहत मंत्री ब्रह्म मोहिंद्रा मानते हैं कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी है। मेडिकल अफसर जनरल ड्यूटी के 306 डॉक्टरों की भर्ती के लिए पीपीएससी ने हरी झंडी दे दी है।
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