अस्पताल में चिकित्सक मौजूद, इलाज के लिए भटकते रहे मरीज

Doctors present in hospital, patients wandering for treatment

24 घंटे के लिए ओपीडी सेवाओं का बहिष्कार कर रहे सरकारी व निजी चिकित्सक

हनुमानगढ़, सच कहूँ/हरदीप। कोलकाता के नील रतन सरकारी मेडिकल कॉलेज में इंटर्न पर जानलेवा हमले के विरोध में सोमवार को जिले के सभी सरकारी व निजी अस्पतालों के चिकित्सकों के आउटडोर सेवाओं के बहिष्कार की चेतावनी का सोमवार को पूर्ण असर दिखा। आईएमए और अरिसदा की ओर से किए गए सोमवार सुबह छह बजे से मंगलवार सुबह तक ओपीडी बहिष्कार के एलान के बाद जिला अस्पताल सहित सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों तक में रोगियों को डॉक्टर्स ने नहीं देखे। हालांकि इस दौरान कई जगहों के निजी चिकित्सालयों में रोगियों की भारी भीड़ रही।

 इस कारण जिले के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं ठप रही। उपचार के लिए आए मरीज मरीज अस्पतालों में भटकते रहे लेकिन आपातकालीन सेवाओं के अलावा किसी भी तरह की सहायता नहीं मिल पाई। मौसम बदलने से बीमार हुए लोगों और ज्यादातर बुजुर्गों को परेशान होना पड़ा। अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ व इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के आह्वान पर सरकारी व निजी चिकित्सक अस्पतालों में तो मौजूद रहे लेकिन ओपीडी में सेवाएं नहीं दी। जिले के सबसे बड़े महात्मा गांधी स्मृति राजकीय जिला अस्पताल में भी इसका असर देखने को मिला। जिला चिकित्सालय में सोमवार को पूरा दिन ओपीडी सेवाएं ठप रहने से मरीज व उनके परिजन इलाज के लिए इधर-उधर भटकते नजर आए।

  • महात्मा गांधी स्मृति राजकीय जिला अस्पताल में भी इसका असर देखने को मिला

हालांकि, यहां पर चिकित्सक मौजूद रहे लेकिन उन्होंने आउटडोर में किसी भी मरीज की जांच नहीं की। मरीज चिकित्सकों से गुहार लगाते रहे लेकिन वह कार्य बहिष्कार की अपनी मजबूरी जताते रहे। ऐसा ही असर ग्रामीण क्षेत्र में भी दिखा, यहां भी मरीज परेशान होकर भटकते रहे। वहीं, वार्ड में पहले से भर्ती मरीजों की चिकित्सकों ने जांच जरुर की। दरअसल, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने बंगाल में डॉक्टर्स के साथ मारपीट की घटना के बाद सोमवार को देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन का आह्वान किया था।

  • क्या बोले चिकित्सक

अरिसदा चिकित्सकों ने बताया कि पश्चिमी बंगाल में चिकित्सकों से हुई मारपीट की घटना के विरोध और चिकित्सक समुदाय के साथ अकारण हिंसक घटनाओं को कम करने के लिए कार्य बहिष्कार किया जा रहा है। राजकीय व निजी चिकित्सा संस्थानों में तोडफोड़ व मारपीट की पुनरावृत्ति को रोकने तथा राष्ट्रीय चिकित्सक, चिकित्सा कर्मी व संस्था सुरक्षा कानून बनाने को लेकर यह राष्ट्रव्यापी चिकित्सा महाबंद का आह्वान किया है। इसके चलते चिकित्सालयों में ओपीडी बंद रखी गई है, लेकिन आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं जारी रहेंगी।

उन्होंने कहा कि डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए सेंट्रल एक्ट की मांग कई सालों से की जा रही है लेकिन इसको लेकर हर बार केवल आश्वासन मिलता है। हमारी एक दिन की यह स्ट्राइक उस मांग को लेकर है। इस मौके पर डॉ. एचपी रोहिल्ला, डॉ. एनएल आसेरी, डॉ. रविशंकर शर्मा, डॉ. वेदपाल बिजारणिया, डॉ. हरिओम बंसल, डॉ. अशोक खाती, डॉ. धर्मंेद्र रोझ, डॉ. ब्रजेश गौड़, डॉ. समीर सहारण, डॉ. सुधीर सहारण, डॉ. सुमेश खीचड़, डॉ. भालसिंह, डॉ. अमृतपाल, डॉ. राजविन्द्र कौर, डॉ. दलीप यादव, डॉ. केके शर्मा, डॉ. राजेन्द्र कुमावत, डॉ. विनोद सहारण, डॉ. विजय शर्मा आदि मौजूद थे।

  • दूर-दराज से पहुंचे मरीज हुए परेशान

राजकीय जिला अस्पताल में सुबह छह बजे से ओपीडी में डॉक्टर्स अनुपस्थित रहे। दूरदराज के क्षेत्रों से आने वाले रोगी अस्पताल के आउटडोर में पर्ची बनवाने के लिए परेशान रहे। कई मरीजों के पूर्व में आॅपरेशन हुए थे। ऐसे रोगियों को सोमवार को अस्पताल में बुलाया गया था, लेकिन गांवों से किराया आदि खर्च कर अस्पताल पहुंचे तो पता चला कि हड़ताल है। हालांकि अस्पताल प्रशासन की ओर से वार्ड में पहले से भर्ती रोगियों की जांच सहित अन्य रुटीन की जांचें रोजाना की तरह होती रही। ऐसे में रोगियों को फिर से लौटना पड़ा।

  • यह रही व्यवस्था

चिकित्सकों के कार्य बहिष्कार के दौरान आयुष ने जिले में चिकित्सा सेवाओं की कमान संभाली। सीएमएचओ की ओर से जिले में चिकित्सकों की हड़ताल के दौरान आयुष चिकित्सकों व नर्सिंगकर्मी को पाबंद किया गया था ताकि हड़ताल के दौरान मरीजों को परेशानी न हो। इसके लिए सभी खंड प्रभारी, उप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, आरसीएचओ, खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारी, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी व सीएचसी प्रभारियों को निर्देश दिए गए थे। जिला प्रशासन ने भी चिकित्सकों के कार्य बहिष्कार के दौरान अस्पतालों में आपातकालीन सेवा सुचारू रखने के निर्देश दिए थे।

 

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