सच कहूँ/इन्द्रवेश
भिवानी। अब तक सुना होगा कि शादी में दूल्हे ने दहेज के रूप में गाड़ी मांगी तो कोई दहेज के लोभ में बहु को जिंदा जला देते हैं। लेकिन भिवानी के हाउसिंग बोर्ड में गत दिवस हुई शादी चर्चा का विषय बनी हुई है। लड़के वालों ने शादी में केवल एक शर्त रखी थी कि वे बिना दहेज के ही शादी करेंगे। उन्होंने दहेज में मात्र एक रुपया व एक नारियल ही लिया। यहां तक कि शादी में आने वाले मेहमानों से भी शगुन के तौर पर मात्र 10 रुपये ही लिया। शादी में आई बहु भी अपने ससुराल वालों की इस पहल को काफी सराह रही है।
राजकरण हरियाणा पुलिस में कार्यरत हैं और उनका बेटा कृषि विभाग में कॉन्ट्रेक्ट पर डॉक्टर के पद पर कार्यरत है। शादी की उम्र हुई तो लड़की की तलाश की। तलाश झज्जर जिला के मरौन गांव के राजेन्द्र की बेटी काजल पर जाकर रुकी। काजल एमकॉम पढ़ी है और फिलहाल पीएचडी की तैयारी कर रही है। हार्दिक कृषि विभाग में कार्यरत है तो उसकी बहन एमबीबीएस कर रही है।
लड़की की तलाश पूरी हुई तो हार्दिक की बहन महक व उसकी माँ सुनीता ने दूसरों के आगे मिसाल कायम की और अपने भाई व पिता को कहा कि वे शादी में कोई दहेज ना लें, ताकि कोई अपनी बेटी को बोझ ना समझे। राजकरण व उसके बेटे हार्दिक को ये सुझाव काफी अच्छा लगा। उन्होंने अपने रिश्तेदारों को कहा कि वे शादी में कोई दान दहेज नहीं लेंगे। इस निर्णय के बाद उन्होंने धूमधाम से शादी की, लेकिन बिना दहेज के ही ये शादी की। शादी में लोगों का अच्छे से अभिवादन भी किया गया।
शादी में यह परिवार चर्चित हो गया। अब पूरे शहर के लोग इस फैसले की सराहना कर रहे हैं। हार्दिक का कहना है कि शादी बिना दहेज के ही करनी चाहिए। जिसने बेटी दे दी उसने सब कुछ दे दिया। उनका कहना है कि उनके पिता व बहन के विचारों से प्रभावित होकर उन्होंने बिना दहेज के शादी की है। उनका कहना है कि उनकी बहन की शादी भी वे वे लोग बिना दहेज के ही करेंगे। वहीं हार्दिक की पत्नी काजल भी ससुराल वालों से बहुत प्रभावित है। उसने बताया कि उसके ससुराल वालों के इस फैसले के बाद वे काफी खुश है।
उसका कहना है कि इस तरह से सभी की सोच होने लगे तो बेटियां किसी पर भी बोझ नहीं होंगी। हर माँ-बाप अपनी बेटी को लेकर सोच में होता है उनके मन में भय होता है कि कहीं दहेज के लोभ में उनकी बेटी को कुछ कह ना दे। जब बिना दहेज के शादी होगी तो उनको भी सुकून मिलेगा और तो ओर कोई भ्रूण हत्या भी नहीं करवाएगा। वहीं दोनों परिवारों के रिश्तेदारों ने भी कहा कि बेटियां बोझ नहीं होती। जब बेटियों को कोई बोझ नहीं समझेगा तो उसकी खूब पढ़ाई भी करवाएंगे।
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