सराहनीय: मात्र 9 महीने के बच्चे के सिर की सर्जरी कर दिया नया आकार
- 5 या 6 साल की उम्र में करानी होगी प्लास्टिक सर्जरी
- एपर्ट सिंड्रोम नामक बीमारी से पीड़ित था बच्चा
गुरुग्राम। (सच कहूँ/संजय कुमार मेहरा) माँ के गर्भ से ही विचित्र बीमारी से ग्रस्त मात्र 9 महीने के एक बच्चे के सिर को यहां जटिल सर्जरी करके चिकित्सकों ने नया आकार देकर नया कारनामा कर दिखाया है। बच्चा एपर्ट सिंड्रोम नामक बीमारी से पीड़ित था। इस बीमारी से बच्चे के सिर की हड्डियां गर्भ में ही आपस में जुड़ गई थी और पूरी तरह से ही विकसित नहीं हुई थी। दिल्ली के मोहम्मद नबील नाम का बच्चा एपर्ट सिंड्रोम नाम की बीमारी के साथ ही पैदा हुआ।
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यह बीमारी बहुत ही दुर्लभ बीमारी है। यह तब होती है जब बच्चा माँ के पेट में होता है। इस बीमारी के होने पर खोपड़ी, चेहरे और कभी-कभी पैर की उंगलियां और हाथों की उंगलियां खराब हो जाती हैं। उसके जन्म के ठीक बाद उसके चेहरे की अजीबो-गरीब बनावट के कारण उसमें इस बीमारी का पता चला। उस समय डॉक्टरों ने 9 महीने की उम्र के बाद उसकी पहली सर्जरी कराने की सलाह दी।
पहले रीमॉडेलिंग और फिर आगे की सर्जरी
पारस अस्पताल में न्यूरो और स्पाइन सर्जरी निदेशक डॉ. सुमित सिन्हा ने अपनी टीम के साथ एब्जॉर्बल पॉलीमर प्लेटों की मदद से खोपड़ी को फिर से तैयार किया। डॉ. सुमित सिन्हा के मुताबिक बच्चे की दुर्लभ बीमारी का आंकलन करने के बाद न्यूरोसर्जन की हमारी टीम ने पहले रीमॉडेलिंग और फिर आगे की सर्जरी करने का फैसला किया। यह पीड़ित बच्चा जब गर्भ में था, तो उसकी खोपड़ी की हड्डियां आपस में जुड़ गई थी। उसकी खोपड़ी दिखने में छोटी थी।
लाखों में एक होता है एपर्ट सिंड्रोम का शिकार
दुनिया भर में 65 हजार से 2 लाख जन्मों में से एक बच्चा इस एपर्ट सिंड्रोम बीमारी से ग्रस्त होता है। इस बीमारी में चेहरे की बनावट अजीब ढंग से होती है। जबड़ा मोटा और उठा हुआ होता है। आँखों का गोलक बड़ा और फैला होता है। नेत्रगोलक के बीच की दूरी ज्यादा होती है और मैक्सिला निकला हुआ होता है।
अब सामान्य दिख रहा है बच्चा
सर्जरी के बाद बच्चा अब सामान्य दिख रहा है और अब वह धीरे-धीरे उबर रहा है। बीमारी के कारण उसकी सामान्य गतिविधि जो नहीं हो पाती थी वह अब धीरे-धीरे हो रही है। उसकी अगली सर्जरी 1 से 2 साल बाद दोनों हाथों की उंगलियों को अलग करने के लिए होगी। डॉक्टर के अनुसार 5 से 6 साल की उम्र में होने पर उनके चेहरे के लिए एक प्लास्टिक सर्जरी होगी। गर्भ में पल रहे बच्चे में कोई बीमारी है या नहीं, इसकी जांच करने के लिए हर माता-पिता को प्रसव पूर्व टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है। पहला प्रसव पूर्व टेस्ट गर्भावस्था के 20 सप्ताह से पहले और दूसरा 28वें सप्ताह के बाद किया जाना चाहिए।
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