मालिक से मिलाने वाले कर्म करो

Anmol Vachan

सरसा। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि अल्लाह, वाहेगुरु, राम ने इन्सान को इसलिए बनाया कि यह दुनिया में आकर अच्छे-नेक कर्म करे, अल्लाह, वाहेगुरु, राम को याद करे ताकि जन्म-मरण का चक्कर हमेशा के लिए खत्म हो जाए। जीते-जी परमानन्द की प्राप्ति हो, तमाम लज्जतें, खुशियां, मनुष्य की झोली में पड़ें। इन्सान मन-माया के जाल से बचा रह सके और काल के दायरे को तोड़ता हुआ दयाल के दायरे में आ पहुंचे। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि भगवान ने इन्सान को बनाया और जब यह देखा कि इतना सुंदर शरीर बनाने के बावजूद भी आदमी, आदमी नहीं बन रहा। पशुओं से भी बदत्तर कर्म करता है। राक्षस भी शरमा जाए, ऐसे कर्म करता है, तो फिर भगवान ने संत, पीर-पैगम्बरों को इस दुनिया में भेजा। उन्होंने शिक्षा दी कि भाई, मालिक के नाम का जाप करो। अच्छे कर्म करो ताकि आवागमन से मुक्ति मिले और आप मालिक की दया-मेहर, रहमत के काबिल बन जाओ।

पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि बेपरवाह जी ने भजनों में लिखा कि भगवान ने इन्सान को बनाया, लेकिन इन्सान ने यहां आकर कौन-सी कमाई की, जो साथ जाएगी? अगर धन-दौलत, जमीन-जायदाद की बात करें तो यहां लाखों आए, चले गए क्या वो धन-दौलत साथ ले जा सके? बाल-बच्चे भी यहीं रह गए। इसलिए बताओ तो सही कि आपने कौन-सी ऐसी कमाई की है जो साथ जाती है? क्या मालिक का नाम जपा है, किसी तड़पते हुए, रोते हुए को चुप करवाया है, क्या गिरे हुए को उठाया है? सृष्टि की कितनी सेवा की है? जिस पैसे को जोड़ते-जोड़ते तू पागल हो रहा है, क्या चंद पैसे लगाकर किसी भूखे को खाना खिलाया है?

सबसे ज्यादा जरूरी बात, जिसके लिए मालिक ने इन्सान को बनाया था, क्या मालिक द्वारा दिए गए कीमती स्वासों को मालिक को सौंपा है? तो इन सवालों का जवाब क्या आपके पास है? बेपरवाह जी ने फरमाया कि आप सिर्फ मन-माया के चक्कर में उलझे रहे और मालिक से दूर होते चले गए। इसलिए आप वो कर्म करो जो मालिक से मिलाते हैं और वो कर्म छोड़ो जो मालिक से दूर करते हैं। जो जीव सुनकर अमल करते हैं, वो मालिक को पा जाते हैं। जो लोग अमल नहीं करते वो कर्मों के बोझ तले हमेशा दबे रहते हैं।

 

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