‘कोरोना’ को हलके में न लें, सावधानी बरतें

Do not take the corona lightly, take care
देश में कोरोना महामारी का कहर निरंतर बढ़ रहा है। देश में मरीजों की संख्या 7 लाख के पार और 20 हजार से अधिक मौतें हो चुकी हैं। केंद्र सरकार ने लॉकडाउन की कई पाबंदियां हटाने के बाद बाजारों में रौणक देखने को मिली है। भले ही ठीक होने वाले मरीजों की गिनती ज्यादा है लेकिन जिस प्रकार नए मरीज आ रहे हैं उसके मुताबिक ऐसा लग रहा है कि लोग अब लापरवाही बरतने लगे हैं। पाबंदियां हटाने का मतलब यह नहीं होना चाहिए कि वायरस खत्म हो गया है। वैक्सीन आने तक तो हमें कोरोना के साथ जीना होगा, अपनी जीवनशैली को बदलना पड़ेगा।
अभी तक कई लोग मास्क पहनने और सामाजिक दूरी रखने को हलके में ले रहे हैं और इसको लेकर मजाक भी उड़ाते हैं। विश्व में दूसरे नंबर की जनसंख्या होने के बावजूद देश में कोरोना से मृत्यु की कम दर सावधानी रखने का ही परिणाम है। हमें सावधानियों की ताकत को समझना होगा और लापरवाही त्यागनी होगी। कोरोना का कहर दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र और तामिलनाडु तक सीमित नहीं रहा। पंजाब जैसे राज्य में जहां पिछले दिनों में मरीजों की गिनती रोजाना की 5-7 तक सीमित हो गई थी वहां दोबारा 200 के नजदीक पहुंच गई है दूसरी तरफ विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह स्वीकार किया है कि वायरस हवा के द्वारा भी फैल सकता है। संगठन ने लोगों को दोबारा दिशा-निर्देश जारी करते हुए भीड़ भाड़ वाले स्थानों पर जाने से परहेज करने की सलाह दी है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देश केवल मरीजों या संदिग्ध मरीजों के लिए नहीं, बल्कि सबके लिए हैं। किसी को इस भ्रम में नहीं रहना चाहिए कि कोरोना वायरस दूसरे लोगों को ही चपेट में लेगा, हमें नहीं। जब पूरा विश्व ही बीमारी से बुरी तरह परेशान है तो सावधानी रखने में किसी तरह की शर्म नहीं समझनी चाहिए। एक जागरूक नागरिक पूरे परिवार को जागरूक कर सकता है इसीलिए जागरूक रहकर न केवल अपना बचाव करें बल्कि समाज के प्रति भी जिम्मेदार बनें। केवल सरकार-पुलिस की सख्ती से सावधानी रखने की आदत को बदलना होगा।

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