ब्रेन पावर स्कूल की पेरेंटिंग वर्कशॉप आयोजित, अभिभावकों को दिए टिप्स
जयपुर (सच कहूँ न्यूज)। क्या कभी आपसे, आपके बच्चे ने पूछा कि हमारे लिए बड़ी गाड़ी क्यों नहीं ली, बड़ा घर क्यों नहीं खरीदा, किराए के घर में क्यों रहते हैं? क्या आपने इतने पैसे भी नहीं कमाए है की हमारे लिए घर खरीद सके। आप तेंदुलकर की तरह सफल क्यों नहीं हुए? यह भी सवाल है जो आपको परेशान कर सकते हैं। ऐसे ही दिन रात जब आप बच्चों से उनकी परसेंटेज को लेकर अंको को लेकर रिजल्ट को लेकर असफलताओं को लेकर सवाल करते हैं तो उन्हें भी परेशानी होती है। आपके दो बच्चे हैं तो उनकी आपस में तुलना ना करें अपने बच्चों की पड़ोस के बच्चे से या रिश्तेदारों के बच्चों से तुलना ना करें उन्हें अपनी क्षमता के अनुसार कार्य करने दे।
जरूरी नहीं है कि हमेशा ज्यादा अच्छे नंबर लाने वाला बच्चा ही ज्यादा अच्छा सफल होता है। बच्चों की सफलता का बच्चे की मार्कशीट से सीधा कोई संबंध नहीं रहता है। यह बातें रविवार को निर्मला ऑडिटोरियम में जयपुर पुलिस के मार्गदर्शन में द ब्रेन पावर स्कूल की ओर से आयोजित की गई वर्कशॉप” सफल पेरेंटिंग” मैं पेरेंटिंग कोच परीक्षित जोबनपुत्रा ने मौजूद अभिभावकों से कही। कार्यक्रम में विशिष्ट अथिति आईजी अशोक कुमार गुप्ता, सुरेश उपाध्याय, डॉ.मनीष गुप्ता,राजस्थान जनमंच पक्षी चिकित्सालय के फाउंडर कमल लोचन सहित गणमान्य सदस्य उपस्थित रहे। जोबनपुत्रा ने बताया कि आजकल के बच्चे तनाव मुक्त रहना पसंद करते हैं।
बच्चे जितना तनाव मुक्त रहेंगे उतनी ही उनकी ग्रोथ होगी पेरेंट्स अपने दोनो बच्चों में तुलना ना करें। उन पर अपनी इच्छाओं को न थोपे । ज्यादातर परिवार के हर बड़े सदस्य बच्चो पर अपनी राय थोपते हैं। पिता जो खाने को कहते हैं मां उसे मना कर देती है मां जो कहती है उसे कभी पिता तो कभी दादा-दादी मना कर देते हैं। ऐसे में बच्चे कंफ्यूज होते हैं जो बाद में उनकी जिद के रूप में सामने आती है। अगर कोई पेरेंट्स अपने बच्चों की इच्छा के विरुद्ध कोई काम करवाना चाहते हैं तो उन्हें विफलता ही मिलेगी। पेरेंट्स अपने बच्चों के साथ समय बिताए, उनकी इच्छाओं को पहचाने जो करना चाहते हैं वैसा करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करें या प्यार से समझाएं। ऐसा करने से बच्चों में उत्साह का संचार होगा। वह ज्यादा ढंग से अपना काम करेंगे। कार्यक्रम में पुलिस मुख्यालय के आईजी अशोक कुमार गुप्ता भी अपने विचार रखें।
बच्चो के बिगड़ने और सुधरने में सबसे अहम भूमिका माता- पिता की होती है। बच्चों को नये बदलाव में लाने के लिए परिवार में वातावरण का बदलाव बहुत जरुरी है । बच्चो को मोटिवेशन का कार्य करे माता-पिता, बच्चों को ज्यादा सोफर न बनाए। बच्चों की कमियों पर नही खूबियों पर ध्यान दे । बच्चों को सलाह देने की जहम जगह बच्चे में ही मशगूल हो जाए (बच्चा बन जाए) बच्चे को खिलौने या अलग कोई चीज दिलाने के बजाय उनके साथ उनकी सोच के अनुसार समय बिताए। बच्चों को रोजाना कम से कम 30 मिनट का समय दे।
वर्कशॉप में पेरेंटिंग को परीक्षित जोबनपुत्रा के टिप्स
बच्चें को कभी भी तुलनामक दृष्टि से नहीं देखे।आज कल बच्चों को ज्यादा सुविधा देना की सबसे बड़ा दुख का कारण है क्योंकि ज्यादा सुविधों से बच्चा बेकार हो जाते है व माता-पिता की भी कदर नहीं करते। एक श्रेष्ठ पेरेन्ट ही अच्छे बच्चे का निर्माण कर सकता है। सभी माता-पिता सबसे पहले तो अपने बच्चे पर पूर्ण भरोसा रखे। माता पिता बच्चों के माली बने मालिक नहीं व साथ ही बच्चो को उम्र के अनुसार मोबाइल, टीवी दिखाए।
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