परमात्मा का प्रेम है अनमोल

Anmol Vachan

पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि मालिक का प्रेम अनमोल है। भाग्यशाली जीव, अच्छे संस्कारों वाले, खुदमुखत्यारी का फायदा उठाने वाले उस परम पिता परमात्मा के प्यार को हासिल कर पाते हैं। इस घोर कलियुग में किसको इतनी फुर्सत है कि वह मालिक के नाम या अल्लाह, वाहेगुरु के लिए तड़पे।

लोग दिन-रात मारोमार रहते हैं, भौतिकतावाद में पागल बने हुए हैं। और कोई कसर बाकी थी तो काम-वासना, क्रोध, मोह, अहंकार, मन-माया, लोभ-लालच तो है ही। इन सातों ने इन्सान को बुरी तरह गुमराह कर रखा है। इन्सान का एक तरफ से ध्यान उठता है तो दूसरे में खो जाता है। दूसरे से हटता है तो और कहीं खो जाता है।

अपने राम, अल्लाह, वाहेगुरु की याद तब आती है जब इन्सान किसी परेशानी में फंस जाता है, कोई मुश्किल आ जाती है या कोई ऐसा कर्म जिसको इन्सान उठाने में अपने आप को असमर्थ महसूस करता है। तो बरबस इन्सान की जुबान पर मालिक का नाम आ जाता है।

अगर कोई इन्सान सिर्फ मालिक को पाने के लिए सच्चे दिल से सुमिरन करे तो यह हो नहीं सकता कि भगवान आपकी तरफ न बढ़े। आप एक कदम बढ़ाइए, भगवान तो आपकी तरफ हजारों कदम आने को तैयार बैठा है।

 

 

Hindi News से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।