देश के स्वाभिमान के साथ समझौता न हो

Self Respect of Country

‘मिस्टर डेमोक्रेसी’ हम आपके निधन पर शोक व्यक्त करते हैं, ताईवान के पूर्व राष्ट्रपति ली तेंग हुई के प्रति भारत के शब्दों से चीन के लिए भारत की नीति का देर से प्रदर्शित किया गया लेकिन प्रभावपूर्ण रूख है। ताईवान के विदेश मंत्रालय ने भी भारत की ओर से भेजी गई इस श्रद्धांजलि को महत्व दिया है। पूरी दुनिया जानती है कि चीन ‘एक राष्टÑ’ सिद्धांत के चलते हुए पूरी दुनिया को बताता है कि जो देश चीन से संबंध रखना चाहता है वह हांगकांग, मकाऊ, ताईवान से स्वतंत्र संबंध स्थापित नहीं करे। चीन हांगकांग व मकाऊ को तो अपने नियंत्रण में कर चुका है लेकिन ताईवान अभी भी चीन की कम्युनिस्ट सरकार को मान्यता नहीं देता। चीन अपने आपको ‘पीपुल्स रिपब्लिक आॅफ चाईना’ कहता है वहीं ताईवान अपने आपको ‘रिपब्लिक आॅफ चाईना’ कहता है। यहां भारत ने पूर्व में कुछ गलतियां की हैं, जब अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार के समय भारत ने तिब्बत पर चीनी प्रभुसत्ता को स्वीकार किया, इससे भारत के उस सिद्धांत को धक्का लगा, जिसमें भारत किसी एक देश द्वारा दूसरे देश पर हिंसा से प्रभुत्व जमाने का विरोध करता आया है।

2003 में भारत द्वारा की गई गलती का ही परिणाम है कि चीन अब दक्षिण चीन सागर, भारत के लेह व भूटान के डोकलाम में सीधी घुसपैठ कर इसे अपना क्षेत्र बता रहा है, चूंकि चीन समझ गया है कि आज से पचास साल बाद भारत की जो सरकार आएगी वह इन क्षेत्रों पर चीन का प्रभुत्व स्वीकार कर लेगी जैसे कि तिब्बत पर 53 साल बाद भारत ने स्वीकार कर लिया। ताईवान के संबंध में भारत ने जो स्पष्ट किया है ठीक ऐसा ही सुधार तिब्बत पर भी भारत को लाना चाहिए। आज भले ही चीन भारत से ताकतवर है, लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं कि भविष्य में भी चीन ऐसा ही ताकतवर रहे, भविष्य में भारत की नई पीढ़ियां हो सकता है चीन से ज्यादा ताकतवर हो जाएं। अत: सरकार को कभी भी अपने स्वाभिमान से समझौता नहीं करना चाहिए।

इस विषय में भारत का मीडिया बहुत ही घटिया भूमिका निभा रहा है, भारतीय मीडिया सेना, सुरक्षा तंत्र की प्रशंसा की बजाए सरकार की चापलूसी ज्यादा करता है। अभी चीन भारत में घुस आया तब मीडिया ने कहा सेना सो रही थी, अब राफेल जो कि महज एक लड़ाकू मशीन है, बहुत से देशों के पास ये पहले से ही है, पर मीडिया ने इतना ज्यादा भद्दा प्रदर्शन किया है कि सेना को इससे बहुत परेशानी हुई है। देश मजबूत बनता है, इसमें बेशक सरकार की अहम भूमिका रहती है, लेकिन सरकार जब विफल हो तब इसका ठीकरा सेना, नागरिकों या देश के पेशेवरों पर नहीं फोड़ा जाए। अभी सरकार की ताईवानी पूर्व राष्ट्रपति को दी श्रद्धांजलि से चीन को जो संदेश गया है, ये निश्चित ही जाना चाहिए था, परंतु इस श्रंखला को भारत को निखारना चाहिए ताकि भारत का गौरव चिरस्थायी व सर्वोच्च बन सके।

 

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