कई बार देखा गया है किसी एक कार्य में असफलता हो जाने से व्यक्ति निराशा के गहरे गर्त में डूबता चला जाता है। उसका सारा उत्साह जैसे निचुड़ सा जाता है। हौंसले पस्त हो जाते हैं। गहरी हीन भावना उसे अवसादग्रस्त कर देती है। उसे लगता है वह जीवन में कुछ नहीं कर सकता। भावुकता एक हद तक ठीक होती है इसलिए जीवन की लड़ाई लड़ने के लिए व्यक्ति को थोड़ा रफ टफ तो होना ही पड़ता है। जीवन में उत्साह न होने से दस तरह के मानसिक रोग आ घेरते हैं। अगर हर इंसान पहली ही बार में सफलता प्राप्त करने लगे तो जीवन नीरस हो जाएगा। सफलता का कोई मजा ही नहीं रहेगा। जीवन की जद्दोजहद ही तो जीवन को चलायमान रखती है।
बगैर प्रयत्न के सफलता मिले तो उसमें क्या आकर्षण रहेगा। मन में इच्छा और लगन हो और हो परिश्रम का माद्दा, फिर देखिए जब सफलता हासिल होती है तो उसका कुछ और ही मजा होता है। उसकंी दीप्ति से आगे राह तो प्रज्ज्वलित होती ही है। आत्मविश्वास व्यक्तिगत में चार चांद लगा देता हे। जीवन सरल सहज लगने लगता है। एक द्वार बंद होता है तो दस और भी खुल जाते हैं। हम बंद द्वार की ओर ही क्यों देखते रहें। नजरअंदाज कर दें उसे। दूसरी तरफ देखिए जहां अन्य द्वार खुले होकर आपको शिद्दत से बुला रहे हैं। किसी ने सच कहा है जैसों के साथ रहेंगे, आप भी वैसे ही बन जाएंगे। परिश्रमी, दृढ़ इच्छा शक्ति, कुछ कर गुजरने को तत्पर, उत्साही लोग जहां आपको भी ऊर्जा से भर देते हैं, वहीं मनहूसियत लिए नकारात्मक सोच वाले लोग अपना अनिष्ट तो करते ही हैं, दूसरों को भी उनके दुर्गणों की छूत लगने लगती है।
बेहतर है उन्हें उनके हाल पर छोड़ आप अच्छे लोगों की कंपनी ढूंढिए। किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिये तन मन स्वस्थ होना चाहिए। थका दिमाग, थका शरीर आपका काम मुश्किल कर देता है। थकान सभी को होती है, तन मन दोनों की। उससे निपटना आना चाहिए। शरीर की थकान अगर आराम से दूर होती है तो मन की स्वस्थ मनोरंजन से। असफलता को झेल पाने के विभिन्न तरीके हैं। सिर्फ यही न सोचते रहें हाय मैं असफल हो गई, सब कुछ खत्म हो गया। यह सोचें, ओह यह तो शुरूआत है। घोड़े पर सवारी वे करते हैं जो गिरकर उठना जानते हैं। यह हकीकत है कि असफलता से एक बारगी झटका तो लगता ही है लेकिन मन को डाइवर्ट करेंगे, अपना ध्यान अन्यत्र लगाएंगे तो त्रसद स्थिति को भुला पाएंगे। दरअसल जीवन की ऊब से तो बचा नहीं जा सकता। ये पल फ्लैश की तरह ही सही लेकिन हर जीवन का हिस्सा हैं। उन्हें फ्लैश की तरह ही गुजर जाने दें। अगर उन्हें पकड़ कर बैठ गए तो नाकारा बनते देर नहीं लगेगी। सफलता की कामना ही जिजीविषा बनाये रखती है चाहे फिर वो किसी हॉबी, नौकरी, बिजनेस में पैसा, यश तथा आत्मसंतुष्टि प्राप्त करने की हो।
-उषा जैन शीरीं
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