दोहरे मापदंड न अपनाएं

Do not adopt double standards
कोरोना वायरस के खिलाफ छिड़ी जंग के मद्देनजर 24 मार्च को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशभर में 14 अप्रैल तक लॉकडाऊन की घोषणा की थी। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा था कि ‘आप जहां भी हैं वहीं रहें’। नि:संदेह यह लॉकडाऊन बेहद आवश्यक और बीमारी से बचाव के लिए एकमात्र समाधान है। देश के करोड़ों लोगों ने लॉकडाउन का समर्थन किया और सरकार ने लॉकडाऊन को 3 मई तक बढ़ाया। कुछ पुलिस कर्मचारियों और डाक्टरों ने लोगों के भलाई की लिए कुर्बानी भी दी। यह स्पष्ट है कि लॉकडाऊन बढ़ाने का उद्देश्य वायरस के प्रकोप को कम करना था, इसी बीच नियमों का उल्लंघन कर दिल्ली से लौटे तबलीगी और प्रवासी मजदूरों पर सख्ती भी हुई।
केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को कहा कि वह सीमाएं सील कर प्रवासी मजदूरों को वहीं पर रोककर उनके खाने-पीने और मेडिकल जांच का प्रबंध करें। महाराष्ट्र सरकार ने भी बांद्रा टर्मिनल पर एकत्रित हजारों मजदूरों को हाथ जोड़कर रोका और भरोसा दिया कि लॉकडाऊन खुलने पर उन्हें वापिस भेजा जाएगा। इन हालातों में राजनीतिक पार्टियां विशेष रूप से सत्ता में गठबंधन पार्टियां नियमों का उल्लंघन कर दोहरे मापदंड अपना रही हैं। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने कोटा (राजस्थान) में फंसे अपने विद्यार्थियों को वापिस लाने का निर्णय किया है। इसी तरह बिहार से सत्तापक्ष के एक विधायक ने कोटा में फंसे अपने बेटे को लाने के लिए कशमकश शुरू कर दी है। हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश लॉकडाऊन का उल्लंघन नहीं करना चाहते। बिहार में कोटा से विद्यार्थियों की वापिसी के लिए राजनीतिक जंग शुरू हो गई है।
नि:संदेह यह प्रधानमंत्री के आदेशों, अपील और देश की आवश्यकताओं के विरुद्ध है। नियमों के उल्लंघन के साथ उन लाखों लोगों का भी अपमान होगा जिन्हें अपने सगे-सबंधियों की मौत पर अंतिम रस्म में न शामिल होने का फैसला लिया है। प्रवासी मजदूरों के लिए कानून और एवं राजनीतिक पहुँच वाले लोगों के लिए कानून और वाली बात होगी जहां तक कोटा की बात है यह भी हमारे देश का ही एक शहर है। यदि कोई समस्या है तो अन्य राज्यों की सरकारें राजस्थान सरकार के साथ बातचीत कर उनके रहन-सहन का पूरा प्रबंध करवा सकती हैं। रोटी, पानी, मेडिकल के अलावा आनलाईन स्ट्डी का प्रबंध हो सकता है। इस वक्त हजारों लोगों का इधर-उधर जाना खतरे से खाली नहीं। कोटा में रह रहे विद्यार्थियों और देश में कोरोना से मरने वाले लोगों को देखते हुए इस समय जगह न बदलने में ही भलाई है। सभी को प्रधानमंत्री की अपील का पालन करने के साथ साथ कानून का भी सम्मान करना चाहिए। लॉकडाऊन लागू करने के वक्त देश में कोरोना के 550 मरीज थे जिसकी संख्या अब 16 हजार से पार हो चुकी है। सोचिए अगर लोग अभी लॉकडाउन तोडेंगे तब क्या हाल होगा?
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