सरसा। पूज्य हजूर पिता संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि मालिक का नाम सुखों की खान है और जिनके अच्छे भाग्य हैं, वो परमात्मा का नाम लेते हैं। ओंकार, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, सब एक ही मालिक के नाम हैं। सभी धर्मों में लिखा हुआ है कि मालिक एक है। इसलिए आप मालिक का नाम जपा करें। मालिक का नाम जपने के लिए आपको कोई घर-परिवार, काम-धन्धा छोड़ने की जरूरत नहीं, कोई अलग तरह के कपड़े पहनने की जरूरत नहीं, कोई चढ़ावा, रूपया, पैसा देने की जरूरत नहीं है। मालिक को पाने के लिए केवल आपकी भावना शुद्ध होनी चाहिए। आप जैसे कहीं पैदल जा रहे हैं, गाड़ी चला रहे हैं, तो जिह्वा, ख्यालों से मालिक का नाम लेते जाओ, तो आप जहां जाना चाहते हैं, वहां भी पहुंच जाएंगे और साथ में भगवान की भक्ति भी हो रही है।
यही हमारे धर्मों में लिखा है कि आप हाथों-पैरों से कर्मयोगी और जिह्वा-ख्यालों से ज्ञानयोगी बनें। यानी आप अपना काम-धंधा करते रहो और साथ में मालिक का नाम जपते रहो, इससे आपके काम-धंधे में भी बरकत आएगी और भगवान की खुशियों से आपकी झोलियां भर जाएंगी। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि भगवान देता है, लेता नहीं। जिसकी शुद्ध, पवित्र भावना होती है, भगवान उसे दर्शन देते हैं, खुशियां बख्शते हैं। शुद्ध भावना बनाने के लिए आप गुरुमंत्र का जाप किया करो। जिस तरह से देव-महादेवों के मूलमंत्र होते हैं, उसी तरह उस ओंकार का, जिसने ब्रह्मा, विष्णु, महेश को बनाया उसका भी एक मूलमंत्र है, जिसका जाप करने से आप गम, दु:ख, दर्द, चिंता, परेशानियों से मुक्ति हासिल कर सकते हैं और मरणोपरांत आवागमन से मुक्ति मिलती है।
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