भले काम करो ताकि आने वाली पीढ़ियां आपको याद रखें

Anmol Vachan

सरसा। पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि यदि इन्सान थोड़ा-सा समय भी सुबह-शाम मालिक की याद में लगाए, तो चौबीसों घंटे जिस उद्देश्य को लेकर दुनियादारी में घूमता है, शायद वो थोड़े से समय में ही हल हो जाए। इन्सान के जीवन का उद्देश्य आजकल एक ही है, शारीरिक व पारिवारिक सुख हासिल करना। इस उद्देश्य पूर्ति के लिए इन्सान सारा दिन झूठ, ठग्गी, कुफ्र, बेईमानी, रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार का सहारा लेता है। इन्सान बात-बात पर झूठ बोलता है, अपना ईमान डुला देता है, धर्मों की कसमें खाता है और ढीठ बना रहता है।

इन्सान दुनियादारी में इतना फंस जाता है कि उसे किसी बात की परवाह नहीं रहती। सपनों में ही महल बना लेता है और ख्यालों के जहाज पर चढ़ा हुआ नजर आता है, पर जब आंख खुलती है तो चारपाई पर पड़ा होता है। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि इन्सान हर पल मारो-मार करता रहता है। जिस तरह चीटिंया बिल से निकलती हैं और दौड़ती-भागती रहती हैं, मधुमक्खियां भी छत्ता बनाती हैं, पर आखिर में उसे कोई और ही ले जाता है। उसी तरह इस कलियुग में इन्सान बुरे-बुरे कर्म करता है, पाप कर्मों से पैसा, धन-दौलत, जमीन-जायदाद बनाता है, लेकिन आखिर में नतीजा यह होता है कि सब कुछ यहीं पर छोड़कर इस जहां से चला जाता है।

 

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