Happy Diwali:-(इबके दिवाली घरा जाइयो रे..)

Happy Diwali
Happy Diwali: Happy Diwali:-(इबके दिवाली घरा जाइयो रे..)

बाहर पढ़निए, अर काम करणीय,
थोड़ा सा गौर फरमाईंयो रे,
भाई ज्यादा कुछ नी कहेंदा,
इबके दिवाली अपने-अपने घरा जाइयो रे….2

भाई काम धंधे की छोड़ के टेंशन,
थाने अपने घरा जाणा हैं,
इबकी बार दिवाली का त्यौहार,
माँ-बावू गेल मनाणा हैं
अर जितना माँ थारा लाड करे नी,
थम उसते ज्यादा प्यार जातियों रे,
भाई ज्यादा कुछ नी कहेंदा,
इबके दिवाली अपने-अपने घरा जाइयो रे….2

छोटे बहन-भाई वी बाट देखदें होंगे,
माहरा भाई माहरे खातर मिठाईयां ल्यावेगा,
अर माँ-बावू भी ड़िकदे होंगे अक,
माहरा लाड़ला बेटा कद सी आवेगा,
घरा जाके थम सबके गेल्या,
घणे-घणे लाड़ लड़ाईयों रे,

भाई ज्यादा कुछ नी कहेंदा,
इबके दिवाली अपने-अपने घरा जाइयो रे….2

अर माँ सोंचदी होंगी –

मेरे बेटे के घरा आदें ही,
उसके घणे हीं लाड़ लडाऊंगी,
अर मनने पता हैं गुड़ के चावल,
देखदे वो खुश हो ज्यागा,
हर बार की तरीयां इस बार वी,
उनसे अपने आथा गेल खुआऊंगी,
अर माँ के आथ ते चावल खाके,
फेर थम वी माँ ने खुआईयों रे,

भाई ज्यादा कुछ नी कहेंदा,
इबके दिवाली अपने-अपने घरा जाइयो रे…2

इस बार वी कामयाब कौनी होए,
घरा के मुँह लेके जावांगे,
अर माँ बावू ने नौकरी,
पेसे के बारे में के बतावांगे,
न्यू सोच-सोच में ना बैठे रहिइयों,
जे पड़ोसी माँ-बावू ताईं थारा पुच्छण लागे,
तो माँ अर बावू उन्हानें के बतावेगें,
माँ-बावू का इतणा सा भी ना मान घटाइयों रे,

भाई ज्यादा कुछ नी कहेंदा,
इबके दिवाली अपने-अपने घरा जाइयो रे…2

                                                                                          -लेखक- अजय सिँह राजपूत