संगरूर(सच कहूँ/गुरप्रीत सिंह)। मोबाईल फोन के जरूरत से अधिक प्रयोग से रिश्तों पर पड़ रहे बुरे प्रभावों को खत्म करने के लिए पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने साध-संगत को जो 7 से 9 बजे तक मोबाईल का इस्तेमाल न करने की मुहिम चलाई है, उसके सार्थक परिणाम सामने आने लगे हैं। पूज्य गुरू जी द्वारा शाम 7 बजे से 9 बजे तक 2 घंटे मोबाईल फोन बंद कर इन दो घंटों को अपने परिवारों में व्यत्तीत करने के लिए कहा गया है, जिस पर साध-संगत ने अमल करना भी शुरू कर दिया है, जिस कारण परिवारों में आपसी प्यार बढ़ने लगा है और बच्चे अपने माता-पिता के साथ समय बिताने लगे हैं और अपने बुजुर्गों के पास बैठकर उनकी बातें सुनने लगे हैं क्योंकि शाम 7 बजे से 9 बजे तक ही ऐसा समय होता है, जब सभी लोग अपने कामकाज से फ्री होकर अपने घरों को लौटते हैं।
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146. प्रति दिन दो घंटे 7 से 9 बजे तक मोबाइल से दूर रहेंगे। (SEED CAMPAIGN) –Digital Fasting
बुजुर्ग लाभ सिंह बोले, परिवार का माहौल बदलने लगा
बुजुर्ग डेरा श्रद्धालु लाभ सिंह ने बताया कि बहुत ही खुशी हुई है जब से पूज्य गुरू जी ने साध-संगत से यह प्रण करवाया है। उन्होंने बताया कि बुजुर्ग अवस्था ऐसी होती है, जब बुजुर्गों को उम्मीद होती है कि उनके बेटे-बेटियां उनके पास बैठकर उनसे बातें करें और उनकी बातें सुनें और उनके साथ सुख-दु:ख सांझा करें लेकिन आज के समय में इस मोबाईल फोन की बुरी लत्त ने बुजुर्गों और बेटे-बेटियों के अटूट रिश्तों में बड़ा गैप डाल दिया है लेकिन अब शाम के समय उनके परिवार का माहौल काफी अच्छा होने लगा है और उनके बच्चे, पोते, पोतियां उनके पास आकर उनसे बातें करने लगे हैं, जिससे दिलों को सुकून मिल रहा है।
परिवार में आपसी रिश्ते फिर से मजबूत होने लगे हैं: विक्की
नौजवान विक्की कुमार ने बताया कि पूज्य गुरू जी द्वारा जो प्रण दिलवाया गया है, वह उस पर पूरा पहरा दे रहा है। उसने कहा कि मैं पहले सारा दिन मोबाईल में ही खोया रहता था और खाना भी मोबाईल देखते-देखते ही खाता था लेकिन अब उसने दो घंटे तक मोबाईल से पीछा छुड़वा लिया है और यह दो घंटे अपने परिवार को देने लगा है, जिससे परिवार में आपसी रिश्ते फिर से मजबूत होने लगे हैं।
मोबाईल से निकलती किरणों से कैंसर जैसे अनेकों रोग पैदा हो रहे: डॉ. अग्रवाल
प्रसिद्ध पर्यावरण प्रेमी और डॉ. अमनदीप अग्रवाल ने कहा कि मोबाईल फोन में से निकलती रेडियो फ्रÞीकुएंसी रैडीएशन से कैंसर, ल्यूकैमिया और अल्सीरेज, खून का दवाब, मायूसी और आत्मघाती रूचि जैसे ला-ईलाज रोग होने की संभावना बढ़ गई है। फोन को ज्यादा सुनने के कारण सुनने की शक्ति भी कम होने लगी है। आंखोें की देखने की शक्ति पर ही गहरा असर पड़ने लगा है। अब तो स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों का मुख्य साथी मोबाईल ही बन गया है। मोबाईलों में चल रही कुछ ऐपस ने तो युवा वर्ग को बिल्कुल ही आपसी पारिवारिक रिश्तों से दूर कर दिया है।
जैसे पहले चल रही एप टिक-टॉक ने छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को भी सारा दिन मोबाईलों के जुड़े रहने के लिए मजबूर कर दिया था, इसी तरह आज कल चल रहे एप फेसबुक, इंस्टा ने भी युवा पीढ़ी को भटकने के लिए मजबूर कर रखा है। इनके दुरूपयोग के कारण ही बच्चे पढ़ाई से दूर होते चले जा रहे हैं। ऐसे में गुरु जी की ये मुहिम खासकर युवा पीढ़ी को सही रास्ते पर लाने का काम करेगी।
पूज्य गुरु जी की डिजिटल फास्टिंग मुहिम बदलेगी समाज: डॉ. एएस मान
इस मुद्दे पर बात करते हुए समाज सेवी डॉ. एएस मान ने कहा कि जिस तरह चिट्टा एक बेहद्द बुरा नशा है, उसी तरह का नशा मोबाईल भी बनकर उभर रहा है। आज देखने में आ रहा है कि डेढ़-डेढ़ साल के बच्चों को मोबाईल ने अपनी गिरफ्त में ले लिया है। उन्होंने कहा कि पूज्य गुरु जी द्वारा इस संबंधी जो डिजीटल फास्टिंग मुहिम शुरू की गई है वह अच्छी शुरूआत है। उन्होंने कहा कि मोबाईल फोन का अधिक इस्तेमाल हमारे रिश्तों में दरारें डाल रहा है। लेकिन पूज्य गुरु जी के इस कदम से एक नई शुरूआत डेरा श्रद्धालुओं ने की जो, जो परिवारों को जोड़ने का काम करेगा। उन्होंने कहा कि हमें यह तय कर लेना चाहिए कि हमें सिर्फ एक यो दो व्हाट्सअप गु्रप ही रखने चाहिए। फेसबुक और इंस्टा पर जरूरत अनुसार अपना समय देना चाहिए।
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