Chandrayaan 3: वर्ष 1960 को चांद पर पहली बार ह्मूमन क्रू पहुंचा और इसके बाद 5 और अमेरिकी अभियान चांद पर भेजे गए। वर्ष 1972 के बाद यह सिलसिला थम गया और तब से कोई भी इन्सान चंद्रमा की धरती पर नहीं उतरा। यही कारण है कि कई वैज्ञानिक हैरत में पड़ गए। इस बीच अपोलो 11 मिशन यानी चंद्रमा पर सबसे पहले इन्सानों के पहुंचने की रिकॉर्डिंग गायब हो गई। इन रील्स में मूनवॉक से लेकर वापसी की वीडियो थी। aliens
वहीं कहा जाता है कि इन्हीं टेप्स के गायब होने के बाद कहा गया कि शायद ये टेप में कुछ ऐसा था जो चंद्रमा की असलियत थी। शायद चांद पर बहुत कुछ अलग था या शायद वहां एलियन्स रहते हों। यहां तक कि मूनवॉक करने वाले व्यक्तियों की उनसे मुलाकात हुई। क्योंकि उस दौरान किसी भी चीज का लाइव टेलीकास्ट नहीं होता था, रॉ को ही एडिट करके दिखाया जाता था। यही कारण है कि अमेरिका ने असल टेप छिपाकर उतना ही दिखाया, जितना जरूरी लगा।
जानें विशेषज्ञों की राय
साइंटिस्ट व यूएफओ विशेषज्ञ स्कॉट वेरिंग ने दावा किया कि चांद के भीतर जो विशालकाय गड्ढे हैं उन्हीं में एलियन्स की बस्तियां होंगी। उन्होंने अपनी बात को साबित करने के लिए वेरिंग ने कई रॉ वीडियोज का सहरा लिया। आपको बता दें कि बाद में वो वीडियो भी गायब हो गए थे। उनका मानना था कि वर्ष 1972 में आखिरी बार चांद पर जाने के दौरान एलियन्स ने अमेरिका को चेतावनी दी होगी या फिर कुछ ऐसा हुआ होगा जिसके बाद टेप गायब हुए और फिर दोबारा वहां पर नहीं गया।
क्या चंद्रयान 3 ने एलियन्स की खोज निकाल पाएगा | Chandrayaan 3
आपको बता दें कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग कर भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने एक नया इतिहास रच दिया, जिसका पूरा देश जश्न मना रहा है। 23 अगस्त बुधवार की शाम को चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग कराईं गई थीं। जिसके बाद से ही विक्रम लैंडर और रोवर प्रज्ञान अपने काम में जुटे हुए हैं। चंद्रयान 3 हर रोज खोज अभियान चला रहा है। वहीं सोशल मीडिया पर कुछ दावे किए जा रहे हैं कि चंद्रयान 3 ने एलियन्स के ठिकानों को खोज निकाला है। आपको बता दें कि अभी तक इस तरह की कोई खबर नहीं। अगर कोई भी इस तरह की खबर आती है तो इसरो मीडिया पर आकर ब्रीफ करेंगे।
चंद्रयान-3: पहली चुनौती में खरा उतरा, देखें इसरो की जारी की गई तस्वीरें
इसरो द्वारा भेजा गया चंद्रयान-3 मिशन का रोवर प्रज्ञान चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अपनी पहली चुनौती में खरा उतरा है। इसरो के अनुसार रविवार (27 अगस्त) को रोवर प्रज्ञान एक बड़े गड्ढे के पास पहुंच गया था। लेकिन पहले ही खतरे को भांप कर ये वापस सुरक्षित लौट आया। इसरो ने सोमवार को रोवर प्रज्ञान की कुछ और झलकियां साझा की हैं।
इसरो ने अब एक्स पर फोटो शेयर करते हुए बताया, ‘चंद्रयान-3 मिशन का रोवर प्रज्ञान 27 अगस्त को अपने स्थान से 3 मीटर आगे एक 4 मीटर व्यास वाले क्रेटर के पास पहुंचा। बाद में इसरो द्वारा रोवर को वापस लौटने की कमांड दी गई, जिससे ये सुरक्षित एक नए रास्ते पर आगे बढ़ रहा है।’ रविवार को इसरो ने तापमान भिन्नता का एक ग्राफ जारी किया था जोकि चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर के साथ लगे चेस्ट पेलोड के चांद की सतह का था। इसरो की ओर से जारी किए गए ग्राफ में चांद की सतह का तापमान -10 डिग्री सेल्सियस से 50 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तक दिखाई दे रहा है। इसरो के अनुसार पेलोड में तापमान जांचने का यंत्र फिट किया गया है जोकि सतह के नीचे 10 सेमी की गहराई तक पहुंचने में सक्षम है। इसमें 10 तापमान सेंसर लगे हुए हैं।
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