निंसग में बढ़ रहे डायरिया व टाईफाईड़ के मरीज

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निसिंग (रिंकू)।

गर्मी के मौसम में हुई मक्खी मच्छरों की संख्या में वृद्धि से क्षेत्र में टाईफाईड डायरिया बीमारी ने पैर पसारने शुरू कर दिए है। जिस कारण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बीमारी का उपचार कराने वाले मरीजों की संख्या में लगातार हिजाफा हो रहा है। सीएचसी में प्रतिदिन करीब अढ़ाई सौ लोग ओपीडी के लिए पहुंच रहे हंै।

जिनमें डायरिया व टाईफाईड के मरीज भी शामिल है। वीरवार को सीएचसी में13 मरीज टाईफाईड़ व सात मरीज उल्टी-दस्त के मिले। जिन्हें सीएचसी में भर्ती कर उपचार दिया जा रहा है। एसएमओ डॉ. राजेश जौहरी का कहना है कि डायरिया की चपेट में ज्यादातर छोटे बच्चों है। साफ-सफाई के अभाव में बच्चे गंदेv हाथों को अपने मुंह में डाल लेते हंै जिससे बच्चों को उल्टी व दस्त शुरू हो जाते हंै। अधिक उल्टी दस्त होने के कारण शरीर का पानी खत्म हो जाता है। जिसका समय पर उपचार नहीं मिलने से रोगी की मौत भी हो सकती है। डायरिया एक जान लेवा बीमारी है। जिसकी सावधानी में ही बचाव है। उन्होंने बताया कि स्वच्छता में ही स्वास्थ्य व सावधानी में ही बचाव निहित है।

बीमारी के मुख्य लक्षण

उन्होने बताया कि डायरिया होने पर रोगी को बार बार उल्टी व दस्त लगते है। जिससे रोगी का शरीर क्षीण हो जाता है। शरीर में कमजोरी के कारण रोगी को नींद अधिक आती है। उठने चलने फिरने में परेशानी होती है। रोगी द्वारा सेवन किए गए खाद्य व पेय पदार्थ बाहर निकल जाते है। पेट में हलचल सी रहती। गर्मी लगने से भी दस्त संभव है।

बीमारी से बचाव के उपाय

डॉ. नवजीत सिंह ने बताया कि मौसम में मक्खी मच्छरों की अधिकत्ता के कारण खाद्य व पेय पदार्थों को हमेशा ढक कर रखे। बासी भोजन, गले सड़े फल व सब्जियों का सेवन न करें। सब्जी बनाने से पहले साफ पानी से धोए। खाना बनाने व खाना खाने से पहले अच्छी तरह साबुन से हाथ धोए। बाजारी वस्तुओं का इस्तेमाल कम करें। सलाद युक्त हल्का भोजन खाए। कोहलू पर गन्ने के रस से दूरी बनाए। फलों को सेवन से पूर्व धोकर पानी में ठंडा कर ले और जंक फूड से परहेज करें।

 

 

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