Dharohar Museum: हरियाणवीं संस्कृति के मनमोहक रूप को संजोये है ‘धरोहर’

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Dharohar Museum: हरियाणवीं संस्कृति के मनमोहक रूप को संजोये है ‘धरोहर’

हजारों पुरातन चीजों को देख खुशी से फूले नहीं समाते पर्यटक

Haryana Dharohar Museum: कुरुक्षेत्र (सच कहूँ/ देवीलाल बारना)। हरियाणवी संस्कृति देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान रखती है। हरियाणा के युवक-युवतियां विदेशों में जाकर भी अपनी संस्कृति की झलक की छाप छोड़ते दिखाई देते हैं। ऐसे ही कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में बनाए गए हरियाणा धरोहर संग्रहालय में पहुंचकर विभिन्न प्रदेशों के लोगों के साथ-साथ विदेशी भी हरियाणवी रंग में रंग जाते हैं। धरोहर हरियाणा संग्रहालय में एक संपूर्ण हरियाणवी गांव की झलक दिखाई पड़ती है। Dharohar Museum

इतना ही नहीं हरियाणवी पहनावा, रहन-सहन, वाद्य यंत्र, कृषि यंत्रों समेत सभी पुरानी चीजें हरियाणा धरोहर में संजोयी गई हैं। पुरातन संस्कृति विलुप्त न हो, इसके लिए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने वर्ष 2006 में हरियाणा धरोहर संग्रहालय बनाकर प्रयास किया था और कुवि का यह प्रयास खूब रंग ला रहा है और लोग धरोहर हरियाणा के माध्यम से हरियाणवीं से जुड़ रहे हैं। इतना ही नहीं धरोहर हरियाणा संग्रहालय के एंट्री पर ही हरियाणवी झलक दिखाई पड़ती है, जहां ऊपर किसान को दिखाया गया है व आगे रहट को दर्शाया गया है।

6 लाख किमी. की यात्रा कर इकट्ठा किया एक-एक सामान | Dharohar Museum

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय प्रदेशभर का एकमात्र विश्वविद्यालय है जो हरियाणा की पुरातन संस्कृति को संजोने में बड़ी भूमिका निभा रहा है। युवा पीढ़ी को संस्कृति से जोड़े रखने के उद्देश्य से वर्ष 2004 में संग्रहालय बनाने का निर्णय लिया गया था। इसके लिए छह लाख किलोमीटर की यात्रा कर प्रदेश का एक-एक गाँव नापकर पुरातन सामान इकट्ठा किया गया और 28 अप्रैल 2006 को हरियाणा धरोहर संग्रहालय का उद्घाटन किया गया। इसके बाद इसके दूसरे भाग का विस्तार 6 अप्रैल 2013 में किया गया, जिसमें ग्रामीण परिवेश की झलक दिखाई गई है। वर्तमान में संग्रहालय में हजारों पुरातन वस्तुएं रखी गई हैं। संग्रहालय में ज्यादातर वस्तुएं दान की हुई रखी गई हैं।

देश-विदेश के लाखों पर्यटक कर चुके भ्रमण: डॉ. कुलदीप

हरियाणा धरोहर संग्रहालय के क्यूरेटर डॉ. कुलदीप आर्य ने बताया कि धरोहर संग्रहालय लगभग एक एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। इसके साथ ही पहली जंग-ए आजादी 1857 संग्रहालय भी 2019 में बनाया गया था, जिसमें स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष को दिखाया गया है। अब तक देश-विदेश के लाखों पर्यटक धरोहर का भ्रमण कर चुके हैं और स्कूली विद्यार्थी भी पुरातन संस्कृति से रूबरू होकर बहुत खुश होते हैं। उन्होंने सच कहूँ को बताया कि 6 अप्रैल 2006 से लेकर 31 दिसंबर 2024 तक 32 लाख 17 हजार 210 पर्यटकों ने धरोहर का भ्रमण किया। अब धरोहर में रेनोवेशन का कार्य किया जा रहा है जिसे जल्द पूरा कर लिया जाएगा व धरोहर हरियाणा संग्रहालय पहले भी सुंदर रूप में उभरेगा। उन्होंने कहा कि धरोहर हरियाणा में हर साल तीज उत्सव व कारगिल दिवस विशेष रूप से मनाया जाता है।

धरोहर हरियाणा में ये है विशेष

धरोहर हरियाणा संग्रहालय में एंट्री करते ही एक साईड में युद्ध-नायकों व स्वतंत्रता सेनानी को विशेष रूप से दर्शाया गया है। हरियाणा की स्थापत्य विरासत, हरियाणा की पुरातात्विक विरासत, हरियाणा के लोक संगीत वाद्ययंत्र, दीवार पेंटिंग, पांडुलिपियां, घेर (पशु बाडा), कृषि एवं लोक उत्सव, हरियाणा की जल विरासत, चारपाई, हरियाणा की घरेलू वस्तुएँ, हरियाणा की कला और शिल्प, हरियाणा का परिवहन, हरियाणा की व्यावसायिक कलाकृतियाँ एवं उपकरण, हरियाणवी आभूषण, हरियाणवी रसोई, हरियाणा की लोक वेशभूषा को विशेष रूप से दर्शाया गया है। इसके अलावा इस संग्रहालय में पुस्तकालय व राज किशन नैन की हरियाणा की झलक दिखाती फोटो गैलरी भी है।

कुएं के साथ पुरानी दुकानें व व्यवसाय की भी झलक

धरोहर हरियाणा संग्रहालय के दूसरे फेस में एंट्री करते ही बड़ा कुंआ व कुएं से बैलों के माध्यम से पानी निकालते हुए दिखाया गया है। इसके अलावा कोल्हू के माध्यम से गुड़ बनाते हुए दिखाया जा रहा है। इसके अलावा दाढ़ी बनाता नाई व सुनार की दुकान समेत विभिन्न उन दुकानों को दिखाया गया है जिनके माध्यम से पुरातन समय में हरियाणा के लोग दिनचर्या की सुविधाएं प्राप्त करते थे। बता दें कि शुरू में धरोहर हरियाणा संग्रहालय इंडोलॉजी के भवन में शुरू हुआ था व प्रदेशभर से हरियाणा की प्राचीन वस्तुओं का संग्रह करके धरोहर हरियाणा संग्रहालय में संजोया गया है। Dharohar Museum

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