बरनाला : बेसहारा पशुओं ने किसानों की रातों की उड़ाई नींद

Destitute animals

किसानों ने सरकार से की उचित प्रबंधों की मांग |Destitute Animal

  • पशु फसलों का कर रहे बड़े स्तर पर नुक्सान

बरनाला(मालविन्द्र सिंह)। गेहूं की फसल की दिन-प्रतिदिन पैदावार बढ़ती जा रही है। बीते दिनों हुई बरसात का चाहे मिला जुला प्रभाव रहा परंतु अधिकतर फसल की पैदावार होने में बरसात लाभप्रद ही साबित हुई। प्रगतिशील किसान गुरप्रेम सिंह चीमा ने बताया कि उन कि आज कल जो गेहूं की फसल का नुक्सान हो रहा है वह अधिकतर बेसहारा पशुओं (Destitute Animal) के कारण हो रहा है, जिसमें जंगली जानवरों जिनमें नील गाएं व जंगली सूअर भी शामिल हैं। प्रसिद्ध चिंतक व प्रगतिशील किसान चरन सिंह उर्फ भोला सिंह जागल बरनाला ने कहा कि किसान बेसहारा पशुओं की चौकीदारी के लिए ठंडी रातें खेतों में काटते हैं और कई स्थानों पर अपनी फसलों की संभाल के लिए रक्षक भी रखे हुए हैं।

उन्होंने कहा कि जिले में एक मात्र सरकारी गौशाला मनाल गांव में है जो कि इन पशुओं को रखने में नाकाफी है। जो बेसहारा पशुओं के संभाल का 10 प्रतिशत के करीब ही निपटाती है। उन्होंने कहा कि बरनाला जिले के चारों कोनों पर इस जैसी तीन और गौशालाएं होनी चाहिए, जिससे बेसहारा पशुओं को संभालने में कोई परेशानी न आए। उनकी तरफ से प्रशासन से कोई और उचित हल की भी मांग की गई।

बेसहारा पशुओं से फसलों के बचाव के लिए रक्षकों को दिए जा रहे प्रति एकड़ 100 रूपये

इस संबंधी बातचीत करते भारतीय किसान यूनियन लक्खोवाल के इकाई नेता लखविन्दर सिंह लाली ने कहा कि अब केवल बेसहारा पशु ही नहीं बल्कि जंगली जानवर भी फसल को नुक्सान पहुंचा रहे हैं, जिन नीलगाय व जंगली सूअर भी शामिल हैं। इस तरह फसल का चारों तरफ से नुक्सान हो रहा है। उन्होंने कहा कि गांव के नजदीक के खेतों में बेसहारा पशु रात को नुक्सान करते हैं और दिन में अपनी जगह पर एकत्रित हो जाते हैं। गांव के दूर के खेतों में बेसहारा पशुओं की मार कम है परन्तु जंगली जानवर अधिक नुक्सान करते हैं। उन्होंने बताया कि बेसहारा पशुओं से फसलों के बचाव के लिए रक्षकों को रखा जा रहा है, जिनको प्रति एकड़ 100 रूपये दिए जाते हैं जो कि डेढ़ लाख के करीब बन जाता है।

यह रक्षक बेसहारा पशुआें को ओर जगह दूर कहीं छोड़ आते हैं। इस संबंधी जानकारी देते भैनी जस्सा के किसान गुरदीप सिंह, पूर्व सरपंच भोला सिंह, पूर्व मैंबर जंटा सिंह ने बताया कि बेसहारा पशुओं के साथ फसलों को पूरा नुक्सान है। किसानों ने खुद प्रयास कर रक्षक रखे हुए हैं, जो एक लाख रूपये सालाना लेते हैं। उन्होंने कहा कि गांव के साथ लगते खेतों में कँटीली तार की बाड़ की जाती है, परंतु पशु बाड़ को भी तोड़ देते हैं या पार कर कर फसलों का नुक्सान कर देते हैं। सरकार को इस की तरफ जरूर ध्यान देना चाहिए।

समस्या के हल के लिए बनाई गई कैचर टीमें : डीसी | Destitute Animal

  • जब इस संबंधी तेजप्रताप सिंह फुलका डिप्टी कमिशनर, बरनाला के साथ संपर्क किया गय।
  • किसानों को इस पेश समस्या से दफ़्तर को अभी अवगत करवाया गया है।
  • इस निपटारे संबंधी कैचर टीमों को हिदायतें दी गई हैं।
  • जिससे इन बेसहारा पशुओं को पकड़ कर 13 एकड़ में गांव मनाल में स्थापित की गई सरकारी गौशाला में संभाल हित भेजा जाये।

किसानों का जानी नुक्सान भी करते हैं पशु: रूप सिंह छन्ना

किसान यूनियन उगराहां के राज्य उप अध्यक्ष रूप सिंह प्याला ने कहा कि यह बेसहारा पशु केवल माली ही नहीं बल्कि जानी नुक्सान भी करते हैं। सरकार लोगों से गाय सैस के तौर पर टैक्स लेती है, परंतु इन बेसहारा पशुओं प्रति बिल्कुल भी सहृदय नहीं। उन्होंने मांग की कि सरकार को इन बेसहारा पशुओं का कोई ओर उपयुक्त इंतजाम करना चाहिए जिससे किसानों को भविष्य के में अपनी फसल प्रति कोई नुक्सान न उठाना पड़े।

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