पूज्य गुरु जी द्वारा शुरू की गई फूड बैंक की मुहिम गरीब, लाचारों व जरूरतमंदों को उपलब्ध करवा रही भोजन (Humanity)
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भारत में कुपोषण पर संयुक्तराष्ट्र ने भी जताई है चिंता
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कुपोषण व भुखमरी से देश में हर साल 10 लाख बच्चे तोड़ देते हैं दम
सच कहूँ/विजय शर्मा करनाल। इस दुनियां में जिंदा रहने के लिए भोजन कितना जरूरी है ये सब जानते हैं। लेकिन ये कोई नहीं जानता कि भोजन न मिलने से हर साल कितने लोग दम तोड़ जाते हैं। देश में हो रही अन्न की बर्बादी ने आज भूखमरी के हालात पैदा कर दिए हैं। स्थिति इतनी भयावह है कि एक तरफ तो सरकारी गोदामों में लाखों टन अनाज सड़ रहा है वहीं दूसरी तरफ कई स्थानों पर अन्नदाता अन्न को तरस रहा है। भरपेट भोजन न मिलने के कारण जहां बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं वहीं पौष्टिक आहार न मिल पाने से गर्भवती महिलाएं तक दम तोड़ रही हैं।
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि भारत में हर साल कुपोषण के कारण मरने वाले पांच साल से कम उम्र वाले बच्चों की संख्या दस लाख से भी ज्यादा है और दुनिया भर में करोड़ों लोग ऐसे हैं जिनके पास पर्याप्त खाना नहीं है, वहीं करीब दो अरब लोग आज भी कुपोषित हैं। देश पर लगे इस कुपोषण के अभिशाप को मिटाने का काम किया सर्व धर्म संगम डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने। पूज्य गुरु जी ने करोड़ों डेरा अनुयियों को भोजन आवश्यता अनुसार लेने व बर्बाद न करने संकल्प दिलाया। पूज्य गुरू जी की इस मुहिम के तहत दुनियाभर में डेरा श्रद्धालुओं द्वारा फूड बैंक स्थापित कर भूखे, अंगहीन, लाचारों को नियमित भोजन उपलब्ध करवाया जा रहा है।
भगवान का नाम सुना था लेकिन आज प्रत्यक्ष देख भी लिया: शरणजीत कौर
मैंने सुना था भगवान ने पेट दिया है तो उसे भरने के लिए रोटी भी देता है। लेकिन आज प्रत्यक्ष रूप से यहां देख भी लिया। ये कहना है गांव चंद्राव की रहने वाली शरणजीत कौर का। उन्होंने कहा कि मेरे भाई बीर सिंह व भाभी पूजा की 6 साल पहले मृत्यु हो चुकी है। उनके चार बच्चे हैं। जिनकी जिम्मेवारी मुझ पर है। पूज्य गुरु जी ने फूड बैंक मुहिम से हर माह मुझे राशन दिया जा रहा है। धन्य है पूज्य गुरु जी, जो अपनी नेक सोच व शिक्षा से नालियों व कूड़ेदान में बर्बाद होने वाले भोजन को हम जैसे जरूरतमंदों तक पहुंचा रहे हैं। काश हर इंसान पूज्य गुरु जी की वचनों पर अमल करने लग जाये तो कोई भूखा न रहे।
ये फरिश्ते अपनी थाली से भोजन बचाकर हम जैसे लाखों का पेट भर रहे हैं: सुषमा देवी
2008 में पति गुरमेज सिंह की सड़क हादसे में मौत हो जाने के बाद चार लड़कियों को पाल रही विधवा सुषमा देवी का कहना है कि बच्चों का पेट पालना कितना मुश्किल होता है, ये मैं अच्छी तरह से जानती हूँ। क्योंकि मैंने भूख देखी है। जब बच्चों को भूख से रोता देखते थी तो मन में बस यही ख्याल आता था कि कहीं से दो रोटी मिल जाये। लोग भी थाली में बचा भोजन कचरे और कूड़ेदान में फेंक देते हैं लेकिन किसी जरूरतमंद को नहीं देते। लेकिन यहां ऐसा नहीं होता। ये फरिश्ते अपनी थाली में से भोजन बचाकर हम जैसे लाखों परिवारों का भी पेट भर रहे हैं। जब से डेरा अनुयायियों का साहारा मिला है तब से मेरा परिवार भूखा नहीं सोता। हर माह घर का सारा राशन मिल जाता है।
अपने मुंह का निवाला हमारे पेट में डाल रहे सेवादार: दिव्यांग भागवती
जिन्दगी जीने के लिए तीन चीजों की जरूरत होती है। रोटी, कपड़ा और मकान। इंसान कपड़े और मकान के बिना रह सकता है लेकिन दो वक्त की रोटी न मिले तो उसे जिन्दगी से हाथ धोना पड़ता है। लेकिन जब तक डेरा सच्चा सौदा के ये सेवादार मौजूद हैं शायद ही कोई भूख के कारण मरे। ये कहना है जिला करनाल के गांव गढ़ी बीरबल की रहने वाली विधवा भागवती का। जिसके पति की सालों पहले मृत्यु हो चुकी है। इस दिव्यांग व विधवा महिला को ब्याना की साध-संगत द्वारा पिछले 6 साल से हर माह राशन दिया जा हरा है। भागवती का कहना है कि हमेशा प्यासा कुएं के पास आता है लेकिन डेरा सच्चा सौदा में ऐसा नहीं है, यहां के सेवादार स्वयं भूखों को ढूढंते हैं और अपने मुंह का निवाला हमारे पेट में डालते हैं।
132 परिवारों का सहारा बना फूड बैंक
पूज्य गुरु जी द्वारा शुरू की गई फूड बैंक मुहिम के तहत जिला करनाल के ब्लॉक ब्याना की साध-संगत भी भूखमरी को समाप्त करने में अहम भूमिका निभा रही है। ब्लॉक में बनाए गए फूड बैंक के माध्यम से डेरा श्रद्धालुओं द्वारा जनवरी 2020 से अब तक 132 परिवारों को राशन उपलब्ध करवाया जा चुका है। इन परिवारों में दिव्यांग, विधवा, अनाथ, लाचार और कहीं ऐसे परिवार हैं जिनके घर में कमाने वाला कोई नहीं। इनमें से कुछ परिवार ऐसे हैं जिन्हें हर माह राशन उपलब्ध करवाया जाता है। ब्लॉक के 15 मैंबर प्रदीप इन्सां व दीपक इन्सां ने बताया कि अपने लिए तो सब जीते हैं लेकिन हमारे पूज्य गुरु जी ने हमें दूसरों के लिए जीना सिखाया।
पूज्य गुरु जी की पावन शिक्षा के बदौलत ही हम फूड बैंक में राशन एकत्रित कर जरूरतमंदों के घर तक पहुंचाते हैं। इस सेवा कार्य में 45 रोशन लाल, 45 मैंबर अश्वनी इन्सां, सतबीर, रघुविन्द्र, रामकिशन, सुलेखचन्द इन्सां, कृष्ण मेहता, रोबिन, प्रदीप, लख्मीचन्द, सुमित, सुखविंदर इन्सां, प्रेम चन्द, डॉ. चरण सिंह, रामचन्द्र इन्सां, बहन शीला इन्सां, सत्या इन्सां, ममता इन्सां, कमलेश, सुमित्रा इन्सां, किरण इन्सां, बबल, अनिता, फूलो इन्सां, कृष्णा इन्सां, केला इन्सां जुटे हुए हैं।
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