डेरा सच्चा सौदा का मानवता भलाई कार्य: नग्न अवस्था में सड़कों पर घूम रहा था, डेरा श्रद्धालुओं ने संभाल की

Welfare-Work

लापता युवक को डेरा श्रद्धालुओं ने परिवार से मिलवाया

सच कहूँ/नरेश कुमार
संगरूर /महला चौक। डेरा सच्चा सौदा की विचारधारा पर चलते डेरा श्रद्धालु आए दिन मानवता भलाई के कार्यों में जुटे रहते है। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए ब्लॉक महलां चौक के डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालुओं ने विगत दस दिनों से घर से लापता युवक, जिसकी मानसिक अवस्था ठीक न होने के कारण सड़कों पर घूम रहा था, की संभाल के बाद फिर उसे परिवार से मिलवाया। जानकारी देते हुए ब्लॉक महलां चौक के जिम्मेवार प्रेमी रणजीत सिंह इन्सां ने बताया कि महिला चौक से पातड़ां रोड़ स्थित रविवार सुबह एक युवक बिना वस्त्र के नग्न अवस्थ में सड़क पर घूम रहा था, उसकी मानसिक हालत भी ठीक नहीं लग रही थी।

उन्होंने बताया कि सड़क पर सुबह के समय सैर कर रहे डेरा श्रद्धालु मक्खन राम की नजर उक्त युवक पर पड़ी तो उसे वे अपने घर ले आए और उसकी संभाल की। उसे कुछ खाने-पीने को दिया, फिर मक्खन राम ने उसे नहलाया और सुध आने पर उसने अपना नाम गुरमीत सिंह पुत्र राम स्वरूप निवासी नंगल खुर्द (मानसा) बताया। डेरा श्रद्धालु मक्खन राम ने अपनी राजगढ़ बस्ती के डेरा श्रद्धालु सुखपाल राम भंगीदास, 15 मैंबर जगदेव सिंह, 15 मैंबर गुरदयाल सिंह, 15 मैंबर गुरचरन सिंह और समूह साध-संगत के सहयोग से उक्त युवक के परिवारिक सदस्यों के साथ संबंध कायम किया।

रविवार सुबह उक्त युवक के परिवारिक सदस्य उसे लेने के लिए उसे महला चौक ब्लॉक में लेकर आए, जिनमें युवक गुरमी सिंह का विक्की सिंह, उसकी बहन निर्मला कौर, सरपंच गुरतेज सिंह, पंच तरसेम सिंह और अन्य रिश्तेदार परमजीत सिंह लेने के लिए आए। डेरा श्रद्धालुओं ने युवक को परिवार के सुपुर्द किया।

इस संबंधी बातचीत करते हुए युवक के भाई विक्की सिंह ने बताया कि मेरा भाई पिछले 10 दिनों से गुम था जिस कारण हम बहुत ज्यादा चिंता में थे और उन्होंने इसकी तलाश दूरी तक रिश्तेदारियों में भी की लेकिन कहीं कोई पता नहीं चल सका था। गत दिवस डेरा श्रद्धालुओं का फोन आया और उसके भाई की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि डेरा श्रद्धालुओं ने उनके भाई की संभाल की, जो वास्तव में इंसानियत की सेवा है और हम इसे कभी भुला नहीं सकते।

गांव नंगल खुर्द के सरपंच गुरतेज सिंह ने बताया कि गुरमी सिंह के गुम होने के कारण परिवार के सदस्य उसकी तलाश में जुटे हुए थे। डेरा श्रद्धालुओं ने जो यह सेवा कार्य किया है, इसकी कोई मिसाल नहीं क्योंकि आज इंसानियत किसी के पास नहीं।

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