सरसा (सच कहूँ न्यूज)। डेरा सच्चा सौदा (dera sacha sauda ) ने सभी साध-संगत के लिए जरूरी सूचना भेजी है। डेरा सच्चा सौदा के ट्विटर हैंडल पर नामचर्चा के समय के बारे में जानकारी दी गई है। सभी साध संगत को सूचित किया जाता है कि शाह सतनाम जी धाम, डेरा सच्चा सौदा, सिरसा में होने वाली रविवार की नामचर्चा का समय दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक है जी े आगे से आगे सूचित करें जी ।
सभी साध संगत को सूचित किया जाता है कि शाह सतनाम जी धाम, डेरा सच्चा सौदा, सिरसा में होने वाली रविवार की नामचर्चा का समय दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक है जी | आगे से आगे सूचित करें जी | #DeraSachaSauda
— Dera Sacha Sauda (@DSSNewsUpdates) January 3, 2023
अमेरिका ने अपनाई डेरा सच्चा सौदा की मुहिम, अस्थियों पर लगेंगे पौधे
23 मार्च 2014 को डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु संत डॉ गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने ‘अस्थियों पर परोपकार’ नामक कार्य शुरू किया जिसमें मानव अस्थियों पर पेड़ लगाकर समाज को प्रदूषण मुक्त करने का बीड़ा उठाया गया। अब ये कार्य भारत के साथ-साथ संयुक्त राज्य अमेरिका में अपनाया जाने लगा है। इसके तहत किसी शख्स की मौत होने के बाद उसके खानदान वाले उसकी लाश के खुद-ब-खुद कब्र में प्राकृतिक तरीके से मिट्टी में मिलने का इंतजार नहीं करते हैं। इसकी जगह वो अपने प्रिय की लाशों को खाद के रूप में बदल रहे हैं। आज से 4 साल पहले वॉशिगटन ऐसा करने वाला यूएस का पहला स्टेट बना था।
वॉशिंगटन ने 2019 में की थी पहल | dera sacha sauda
वर्ष 2019 में वॉशिंगटन मानव खाद को वैध बनाने वाला अमेरिका का पहला राज्य बना था। इसके लिए यहां एक नया कानून लाया गया, इसके तहत अब वहां के लोग मरने के बाद अपने शरीर को मिट्टी में बदलने का विकल्प चुन सकते हैं। इस प्रक्रिया को श्मशान और अंत्येष्टि के विकल्प के तौर पर देखा जाता है। ये उन शहरों में एक व्यावहारिक विकल्प के तौर पर सामने आया है जहां कब्रिस्तानों के लिए जमीन मुश्किल से मयस्सर होती है। इस प्रक्रिया में कंपोस्टिंग के आखिर में परिवारों को लाशों की मिट्टी दी जाती है, जिसका इस्तेमाल वो फूल, सब्जियां या पेड़ लगाने में कर सकते हैं।
मंगलवार 21 मई 2019 में गवर्नर जे इंसली के इस बिल पर साइन करते ही इसने कानून का रूप ले लिया था। दरअसल उस वक्त कैटरीना स्पेड ने इस कानून पेश करने की जमकर पैरवी की। कैटरीना ने ही एक ऐसी कंपनी बनाई जो इस तरह की सर्विस देने वाली पहली कंपनी बनी थी। एजेंसी फ्रांस-प्रेस के मुताबिक उस वक्त कैटरीना स्पेड ने कहा था कि रिकम्पोजिंग दफन करने और दाह संस्कार का एक बेहतरीन विकल्प देता है जो प्राकृतिक, सुरक्षित और टिकाऊ है। इससे कार्बन उत्सर्जन में कमी आने के साथ ही जमीन की बचत होगी जो मरने के बाद दफनाने के लिए इस्तेमाल की जाती है।
कॉर्बन उत्सर्जन में आएगी कमी dera sacha sauda
अमेरिकी फर्म रीकंपोज की मानें तो दफन करने का ये नया तरीका दाह संस्कार या पारंपरिक दफन की तुलना में एक टन कार्बन उत्सर्जन में कमी लाता है। जलवायु परिवर्तन में कार्बन डाइआॅक्साइड का उत्सर्जन एक बड़ी भूमिका निभाता है। इससे जलवायु परिवर्तन के अहम कारकों में से एक माना जाता है। इससे धरती की गर्मी धरती में ही रह जाती है। जिसे ग्रीन हाउस प्रभाव नाम दिया जाता है। किसी भी मृत शरीर को पारंपरिक तरीके से दफन करने में ताबूत जिसे बनाने में लकड़ी का इस्तेमाल होता है। जमीन और अन्य प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल होता है। मानव खाद के समर्थकों का कहना है कि यह न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद विकल्प है, बल्कि उन शहरों में बेहद काम का है जहां कब्रिस्तानों के लिए जमीन सीमित है।
डेरा सच्चा सौदा का 102वां कार्य है ‘अस्थियों से परोपकार’ dera sacha sauda
पूज्य गुरु संत डॉ संत डॉ गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन दिशा-निर्देशन में डेरा सच्चा सौदा द्वारा चलाए जा रहे 147 मानवता भलाई कार्याें की फेहरिस्त में 102 कार्य है ‘अस्थियों से परोपकार’- मानव अस्थियों पर पेड़ लगाकर समाज को प्रदूषण मुक्त बनाना। इस कार्य के अनुसार डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी अपने स्वजनों के देहांत के उपरांत उनकी अस्थियों को नदियों, नहरों में बहाने की बजाय, अपने खेत में, घर या आस-पास गड्ढा खोद कर उन पर पौधारोपण किया जाता ताकि आपके प्रियजन की याद उसके मरणोपरांत कोई पेड़-पौधा बन कर सदा आपके साथ बनी रहे।
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