गांधीनगर में उमड़े डेरा श्रद्धालु, मनाया डेरा सच्चा सौदा रूहानी स्थापना दिवस
- भीष्ण गर्मी के बावजूद गुजरात राज्य के विभिन्न ब्लॉकों से भारी संख्या में पहुंची साध-संगत
- 138 मानवता भलाई कार्यों के तहत फूड बैंक से 529 अति जरूरतमंद परिवारों को दिया एक-एक माह का राशन -प
- पूज्य गुरु जी के अनमोल वचनों को सुन साध-संगत हुई निहाल
गांधीनगर। गुजरात की राजधानी गांधी नगर में रविवार को समस्त साध-संगत द्वारा डेरा सच्चा सौदा का रूहानी स्थापना दिवस श्रद्धाभाव और बडेÞ उत्साह के साथ मनाया गया। सेक्टर-22 रंग मंच ग्राउंड में आयोजित पावन भंडारे की नामचर्चा में डेरा श्रद्धालुओं की तादाद इतनी बड़ी थी कि नामचर्चा पंडाल भी छोटे पड़े गये। नामचर्चा के दौरान डेरा श्रद्धालुओं ने पूज्य गुरु जी द्वारा पूरे विश्व में चलाये जा रहे 138 मानवता भलाई कार्यों में से एक ‘फूड बैंक’ मुहिम के तहत 529 अति जरूरतमंद परिवारों को एक-एक माह की राशन की किटें व पक्षी उद्धार मुहिम के अंतर्गत 529 पानी के सकोरे वितरित किये। इससे पूर्व पावन भंडारे की नामचर्चा की शुरूआत इलाही नारा ‘‘धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा’’का पवित्र नारा लगाकर व आई हुई समस्त साध-संगत को रूहानी स्थापना दिवस की बधाई देकर की। जिसके बाद कविराजों ने पवित्र गं्रथों से भजन गाकर नामचर्चा पंडाल को भक्तिमय कर दिया।
हमेशा मानवता भलाई के रास्ते पर दृढ़ता से चलो: पूज्य गुरु जी
नामचर्चा के दौरान बड़ी-बड़ी एलईटी स्क्रीनों के माध्यम से पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के रिकॉडिड अनमोल वचनों को साध-संगत ने श्रद्धा के साथ सुना। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि इन्सान को अपनी हैसियत को हमेशा याद रखना चाहिए। किसी जीव को मारना, तड़पाना राक्षसों का काम है मनुष्य का नहीं। झूठ न बोलना, ठगी, बेइमानी न करना, भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी न करना और कभी भी किसी का बुरा न सोचना, न करना, निंदा-चुगली नहीं करनी चाहिए। ये सब हमारे धर्मों में लिखा हुआ है, लेकिन आज आदमी यही सब करता है। इन्सान को ऐसा नहीं करना चाहिए। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि इन्सान को हमेशा सच के रास्ते पर चलना चाहिये, अगर इंसान भगवान की भक्ति-इबादत करेगा तो उसे वो नजारे मिलेंगे जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की होगी।
गुरु भक्ति के आगे छोटे पड़े सभी इंतजमात
पावन भंडारे की नामचर्चा में शिरकत करने पहुंची साध-संगत के खाने-पीने व बैठने के लिए स्थानीय साध संगत द्वारा विशेष प्रबंध किए गए। हालांकि इन कार्यों को सुचारू रूप से चलाने के लिए शनिवार को ही लगभग एक हजार से अधिक सेवादारों ने अपनी-अपनी ड्यूटियां संभाल ली थी। लेकिन साध-संगत के भारी उत्साह के समक्ष प्रबंध छोटे पड़ते नजर आए। जहां तक नजर जा रही थी साध-संगत ही साध-संगत दिखाई दे रही थी। नामचर्चा की समाप्ति पर कुछ ही मिनटों में समस्त साध-संगत को भोजन, प्रशाद खिलाया गया।
आकर्षण का केन्द्र रहा गुजरात का गरबा और डांडिया
पावन भंडारे की नामचर्चा के दौरान गुजरात का प्रसिद्ध लोकनृत्य गरबा और डांडिया आकर्षण का केन्द्र बना। पारंपरिक वेशभूषा में डेरा श्रद्धालु जब नामचर्चा में पहुंचे तो कर किसी की निगाहें उनकी ओर ठहर गई। परंपरागत वाद्य यंत्रों पर डेरा श्रद्धालुओं ने गरबा कर अपनी खुशी व उत्साह का इजहार किया। वहीं नामचर्चा पंडाल, स्टेज व मुख्य द्वार भी गुजरात की संस्कृति के रंग में रंगे नजर आए। नामचर्चा में संगीत की धुन्नों पर नाचते गाते पहुंची साध-संगत के चेहरों पर अपने पूर्ण सतगुरु जी के प्रति जो विश्वास व श्रद्धा झलक रही थी ।
29 अप्रैल 1948 को हुई थी डेरा सच्चा सौदा की स्थापना
गौरतलब है कि डेरा सच्चा सौदा की पहली पातशाही पूजनीय बेपरवाह साईं शाह मस्ताना जी महाराज ने 29 अपै्रल 1948 को डेरा सच्चा सौदा की स्थापना की थी। दूसरी पातशाही परम पिता शाह सतनाम जी महाराज ने देश के विभिन्न हिस्सों में हजारों सत्संग कर लाखों लोगों को गुरु मंत्र देकर इंसानियत के मार्ग पर चलाया और पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन शिक्षाओं पर चलते हुए डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालु 138 मानवता भलाई कार्यों को करने में जुटे हुए हैं।
इन लोक भलाई के कार्यो में गरीब बच्चों को अच्छी सेहत के लिए पौष्टिक आहार देना, महिलाओं को रोजगार में आत्मनिर्भर बनाने के लिए नि:शुल्क सिलाई मशीने देना, रक्तदान, शरीरदान, गुर्दा दान, पौधारोपण, गरीबों को मकान बनाकर देना, गरीब कन्याओं की शादी करवाना, राशन वितरण, नेत्रदान, लोगों का नशा छुड़वाना, आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों का निशुल्क इलाज करवाना, निशक्त जनों को सहारा देने के लिए ट्राई साइकिल देना सहित अनेक कार्य शामिल है। वहीं 29 अप्रैल 2007 को पूज्य गुरु जी ने रूहानी जाम की शुरूआत कर मर चुकी इंसानियत को जिंदा करने का बीड़ा उठाया।
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