नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। डेरा सच्चा सौदा का रूहानी स्थापना माह दिल्ली की साध-संगत ने राजा गार्डन मे धूमधाम से मनाया। पावन भंडारे की नामचर्चा को लेकर भारी तादाद में पहुंची साध-संगत में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। नामचर्चा में बड़ी स्क्रीन के माध्यम से पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के अनमोल वचन साध संगत को सुनाए गए। पूज्य गुरू जी ने फरमाया कि बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज ने जीवों के उद्धार के लिए 29 अप्रैल सन् 1948 को सर्व धर्म संगम डेरा सच्चा सौदा बनाया, जो बेमिसाल है। पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज ने हजारों सत्संग कर लाखों लोगों को गुरुमंत्र देकर इंसानियत की राह पर चलाया। आज करोड़ों की संख्या में साध-संगत नशे व अन्य कुरीतियों से तौबा कर खुशहाल जीवन व्यतीत कर रही है।
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि अपने सतगुरु, अल्लाह, वाहेगुरु, भगवान पर पूरा दृढ़ विश्वास रखो। बिना किसी भेदभाव के नेकी-भलाई के कार्य करके इंसानियत की अलख जगाए रखो। टेंशन चिंता किसी भी समस्या का हल नहीं है बल्कि भगवान का नाम जपते हुए सद् कर्मों में विश्वास रखो। गम, चिंता, दु:ख तकलीफों का अगर कोई मुकम्मल इलाज है तो वह प्रभु-परमात्मा, ईश्वर का सच्चा नाम है। इंसान गरीबी, परेशानी में साथ छोड़ सकता है लेकिन सतगुरु, भगवान किसी भी हालत में अपने शिष्य का हाथ नहीं छोड़ता।
नाम चर्चा में पूज्य गुरु जी द्वारा भेजा गया 9वां पत्र भी साध-संगत को पढ़कर सुनाया गया। इस दौरान 629 जरुरतमंद परिवारों को एक-एक माह का राशन, पक्षियों के लिए 529 पानी के कसोरे तथा 29 अनाथ व जरूरतमंद बच्चों को फ्रूट किट दी गई। गर्मी के मौसम को देखते हुए सेवादारों द्वारा जगह-जगह ठंडे पानी की छबील लगाई गई थी। ट्रैफिक सेवादारों द्वारा श्रद्धालुओं के वाहनों को ग्राउंड में पंक्तिबद्ध लगाया गया एवं सड़कों पर ड्यूटी देकर जनमानस को जाम से बचाया गया।
गौरतलब है कि डेरा सच्चा सौदा की पहली पातशाही पूज्य बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज ने 29 अप्रैल सन् 1948 में डेरा सच्चा सौदा की स्थापना की थी। आप जी ने लोगों को गुरुमंत्र देकर मानवता भलाई के कार्यों पर चलने का रास्ता बताया। पूज्य परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने हजारों सत्संग कर लाखों लोगों को गुरमंत्र देकर इंसानियत की राह पर चलाया।
हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने मानवता भलाई के इस कारवां को गति देते हुए करोड़ों लोगों को गुरुमंत्र देकर उनका जीवन सार्थक किया। आज करोड़ों की संख्या में साध-संगत पूज्य गुरू जी की शिक्षाओं पर चलकर नशे व अन्य कुरीतियों से तौबा कर खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं। पूज्य गुरू जी ने 29 अप्रैल 2007 को रूहानी जाम की शुरूआत कर मर चुकी इंसानियत को जिंदा करने का बीड़ा उठाया।