World Environment Day 2024: 15 अगस्त 2009 को मात्र एक घंटे में 9 लाख 38 हजार 7 पौधे लगाए। दूसरे रिकॉर्ड में 15 अगस्त 2009 को आठ घंटे में 68 लाख 73 हजार 451 पौधे लगाए। इसके अलावा वर्ष 15 अगस्त 2011 को केवल एक घंटे में साध-संगत ने 19,45,535 पौधे लगाए और चौथा रिकॉर्ड 15 अगस्त 2012 को केवल एक घंटे में साध-संगत ने 20 लाख 39 हजार 747 पौधे लगाकर बनाया।
एमएसजी का आह्वान, हरा भरा हो संपूर्ण जहान | World Environment Day
वर्तमान में पर्यावरण प्रदूषण संपूर्ण विश्व के समक्ष विकट समस्या बन रही है। धरती का तापमान लगातार बढ़ रहा है। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के कारण आज हरियाली गायब हो रही है, इसी का परिणाम है कि इस बार मई महीने में उतर भारत भट्ठी की तरह तपा। तापमान 50 डिग्री तक पहुंच गया। अगर इस धरा पर संतुलन बनाए रखना है तो हरियाली अत्यंत जरूरी है। इस नेक कार्य के लिए न केवल पेड़ों को बचाना होगा बल्कि पौधारोपण के लिए सबको अपनी जिम्मेवारी तय करनी होगी। डेरा सच्चा सौदा धरा को हरियाली की सौगात देने में मील पत्थर स्थापित कर रहा है। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन मार्गदर्शन में डेरा सच्चा सौदा वर्ष 2007 से पौधारोपण अभियान चला रहा है। World Environment Day
पूज्य गुरुजी के आह्वान पर डेरा श्रद्धालु अब तक लगा चुके हैं 6.18 करोड़ पौधे
इसी का परिणाम है कि हर वर्ष लाखों की संख्या में पौधे रोपित हुए है और उन पौधों की सार संभाल भी हो रही है। डेरा सच्चा सौदा द्वारा वर्ष 2007 से लेकर 2023 तक अब तक 6 करोड़ 18 हजार 650 पौधे रोपित किए गए हैं। पूज्य गुरुजी के आह्वान पर डेरा अनुयायियों ने पौधारोपण को अपने जीवन का अंग बना लिया है। जीवन के महत्वपूर्ण दिवसों जैसे जन्मदिन, मैरिज ऐनिवर्सरी, अपनों की स्मृति में वे पौधारोपण करना नहीं भूलते। पौधारोपण करने के साथ साथ पौधों को समय पर पानी देना और उनकी संभाल करना भी डेरा श्रद्धालुओं की दिनचर्या का हिस्सा है।
डेरा श्रद्धालु भारत ही नहीं बल्कि विदेशी धरा को भी हरियाली की सौगात दे रहे हैं। डेरा सच्चा सौदा पिछले कई वर्षों से वायु,जल व भूमि प्रदूषण रोकने में सराहनीय योगदान कर पूरी दुनिया को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहा है। पर्यावरण के अस्तित्व को बचाने के लिए पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां (एमएसजी) के पावन दिशा निर्देशन में डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत ने वह कर दिखाया है जो जमाने के लिए एक आश्चर्य है।
डेरा सच्चा सौदा द्वारा आज देश व दुनिया में पौधारोपण के अलावा ‘हो पृथ्वी साफ, मिटे रोग अभिशाप’के तहत शहरों गांवों व नदियों के आंचल को गंदगी से मुक्ति के लिए महा सफाई अभियान, अस्थियों से पर्यावरण सुरक्षा, किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित करने के साथ-साथ जल संरक्षण, फसलों के अवशेषों को न जलाकर व पॉलीथिन की जगह जूट से बने थैलों का प्रयोग कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया जा रहा है। अब आपको बताते हैं डेरा सच्चा सौदा द्वारा प्रयोग में लाई जा रही कुछ ऐसी ही तकनीकें जिनसे न केवल खतरे में पड़े पर्यावरण के अस्तित्व की सुरक्षा होगी अपितु हम धरती पर साफ-सुथरी आबो-हवा लाने में भी मददगार होंगे। अगर प्लानिंग से काम हो तो हम निश्चय ही धरा को हरा-भरा व प्रदूषण मुक्त बनाने में कामयाब होंगे। World Environment Day
दुनिया को हरा-भरा बनाने का बीड़ा
धरती सजी रहे वृक्ष से, पेड़ों की फैली छांव हो… इसी तरह के संदेश के साथ ही पर्यावरण संरक्षण में आज डेरा सच्चा सौदा ने विश्व स्तर पर पहचान बना ली है। दुनिया भलि-भांति जान चुकी है कि डेरा प्रेमी पर्यावरण के असली पहरेदार हैं। पर्यावरण सुरक्षा को लेकर भले ही देशभर में अनेक संस्थाएं एवं सामाजिक संगठन कार्यरत हैं लेकिन डेरा सच्चा सौदा का कोई सानी नहीं। पूज्य गुरू जी के आह्वान पर डेरा अनुयायियों ने देश व दुनिया को हरा-भरा करने का बीड़ा उठाया है। डेरा प्रेमियों द्वारा हर साल अपने प्यारे मुर्शिद पूज्य गुरू संत गुरमीत रात रहीम सिंह जी इन्सां के पवित्र जन्मदिवस व स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त के अवसर पर देश व दुनियाभर में पौधारोपण किया जाता है।
केवल पौधारोपण ही नहीं, बल्कि सेवादार उनकी लगातार सार संभाल भी कर रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण मुहिम के तहत देशभर में किए गए पौधारोपण में अब तक तीन विश्व रिकॉर्ड भी डेरा सच्चा सौदा के नाम हैं। पांच करोड़ से भी ज्यादा इन पर्यावरण के सच्चे प्रहरियों में केवल पौधारोपण करने की ही नहीं, अपितु उनकी सार संभाल करने का भी जज्बा भरा हुआ है। ‘पर्यावरण से हम हैं’ इन पर्यावरण प्रहरियों के जीवन का केवल यही ध्येय बन चुका है। पर्यावरण के ऐसे कर्मठ पहरेदारों के जज्बे को सलाम। World Environment Day
फसलों के अवशेष जलाने से परहेज
डेरा सच्चा सौदा से जुड़े श्रद्धालु किसान फसलों के अवशेष न जलाकर अनोखे तरीके से पर्यावरण की रक्षा कर रहे हैं। डेरा प्रेमी किसानों ने पूज्य गुरू जी के आह्वान पर खेतों में पराली व अन्य अवशेष न जलाने का संकल्प लिया है। अवशेष जलाने से न केवल वातावरण दूषित होता है अपितु जमीन की उर्वरा शक्ति पर भी बुरा असर पड़ता है साथ ही श्वास संबंधी रोगों में भी इजाफा होता है।
हर साल 5 जून का दिन दुनिया भर में विश्व पर्यावरण दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इसका मकसद है-लोगों को पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति जागरूक और सचेत करना। प्रकृति बिना मानव जीवन संभव नहीं। ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि हम पेड़-पौधों, जंगलों, नदियों, झीलों, भूमि, पहाड़ सबके महत्व को समझें। इस दिवस को मनाने का फैसला 1972 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आयोजित विश्व पर्यावरण सम्मेलन में चर्चा के बाद लिया गया। इसके बाद 5 जून 1974 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया। World Environment Day
पौधारोपण अभियान के आंकड़ें एक नजर में | World Environment Day
वर्ष पौधों की संख्या
2007 40,00,000
2008 41,00,000
2009 68,73,451
2010 43,01,57
2011 40,00,000
2012 31, 21,203
2013 35,36,264
2014 35,00,000
2015 50,00,000
2016 40,00,000
2017 35,00,000
2018 24,84,900
2019 7,38,515
2020 6,33,698
2021 25,00,000
2022 37,30,462
2023 40, 00, 000
कुल: 6 करोड़ 18 हजार 650
कुल: 6,00,18,650
बच्चों की तरह करें पौधों की संभाल
पौधा एक दोस्त की भांति होता है, इसकी पूरी संभाल करनी चाहिए। पौधे प्रदूषण व बीमारियों से राहत प्रदान करते हैं, जिससे समूह सृष्टि का भला होता है। इसीलिए ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाएं और उनकी संभाल भी अपने बच्चों की तरह करें। World Environment Day
-पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां
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