डेरा सच्चा सौदा हरित क्रांति और आर्गेनिक क्रांति के साथ-साथ फूलों की खेती को बढ़ावा
सरसा (रविन्द्र रियाज)। फूलों की खेती भारत में एक लंबे अरसे से होती रही है, लेकिन आर्थिक रूप से लाभदायक एक व्यवसाय के रूप में पुष्पों का उत्पादन पिछले कुछ सालों से ही प्रारंभ हुआ है। समकालिक पुष्प जैसे गुलाब, पॉपी, येलो बाबूना, वाइट बाबूना, ढालिया, कॉक्स कोंब, कमल बैलिस, ग्लैडियोलस, रजनीगंधा, कार्नेशन आदि के बढ़ते उत्पादन के कारण गुलदस्ते और उपहारों के स्वरूप देने में इनका उपयोग काफी बढ़ा है। पुष्प को मनुष्य के द्वारा सजावट और औषधि के लिए उपयोग में लाया जाता है। इसके अलावा घरों और कार्यालयों को सजाने में भी इनका उपयोग बहुतायत से होता है। आज हम आपको एक ऐसे रिपोर्ट दिखाएंगे जिसे देख आप चौंक जाएंगे! हम बात कर रहे डेरा सच्चा सौदा की।
जिस धरा पर कभी 15 से 20 फुट ऊंचे बालू रेत के टीले मौजूद होते थे, उसी जगह पर खुशबुदार फूल हरे भरे पेड़-पौधे लहलहाने लगें तो आप क्या कहेंगे? ताज्जुब ही ना। आप मानो या ना मानो लेकिन है यह 100 प्रतिशत हकीकत है। रेत के इस समंदर पर आज आर्गेनिक खेती के साथ फूलों की खेती का समंदर शान से हिलोरें मार रहा है। हम बात कर रहे हैं मानवता भलाई कार्यों में अग्रणीय सर्वधर्म संगम डेरा सच्चा सौदा के शाह सतनाम जी धाम तेरा वास पर स्थित इन्सां गेट के खेतों की। पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन रहनुमाई में डेरा सच्चा सौदा हरित क्रांति और आर्गेनिक क्रांति के साथ-साथ फूलों की खेती को बढ़ावा देने में भी अरसे से प्रयत्नशील है।
फूलों की सुगंध हवा में छोड़ रही अपनी महक
डेरा सच्चा सौदा में फूलों की खेती पिछले कई दशकों से की जाती है। पूज्य गुरू जी का प्रकृति के साथ शुरू से ही गहरा लगाव रहा है। इसी के चलते आज डेरा सच्चा सौदा में फूलों की तमाम किस्मों की खेती यहाँ बड़े पैमाने पर की जाती है। आश्रम में तमाम खेती बाड़ी वाली जगहों पर अलग-अलग किस्मों के फूल यहाँ आम ही देखने को मिलते हैं। आज से कई दशकों पहले पूज्य गुरू जी ने आवाम पर बड़ा उपकार करते हुए आश्रम में फूलों की खेती की शुरूआत की थी जो कि आज भी निरंतर जारी है।
इस जगह से जितने भी राहगीर गुजरते है, वो इन फुलों की खुशबू से तरोताजा हो जाते है। इस जगह से इन फूलों की महक इस कदर हवा में घुल जाती है मनो ये नजारा जन्नत-सा लगता है। पुष्प उत्पादन में डेरा सच्चा सौदा ने उल्लेखनीय प्रगति की है। पिछले लम्बे समय से डेरा सौदा में फूलों की खेती कर रहे सेवादार विनोद इन्सां ने बताया की जिस तरह आज इन फूलों की सुगंध हवा में अपनी महक छोड़ रही है ये सब पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा ही सम्भव हो पाया है। उन्होंने कहा की पूज्य गुरु जी का सदैव प्रकृति से गहरा प्यार रहा है।
समय-समय पर यहां पूज्य गुरु जी हमें फूलों की खेती के बारे दिशा निर्देश देते रहते थे। आज उन्हीं की बदौलत यहाँ की फिजा में महक आ रही है। उन्होंने बताया की हमारे यहाँ पर जैसे गुलाब, पॉपी, येलो बाबूना, वाइट बाबूना, ढालिया, कॉक्स कोंब, कमल, बैलिस, ग्लैडियोलस, रजनीगंधा, कार्नेशन, करनडोला जैसे तमाम सैंकड़ों किस्में यहां उपलब्ध है।
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