मेरठ के डेरा अनुयायियों ने अस्पताल में घायल मरीज को बचाने के लिए किया रक्तदान

Dera followers of Meerut sachkahoon

जरूरतमंद को रक्तदान कर निभाया इंसानियत का फर्ज

मेरठ (रकम सिंह)। डेरा सच्चा सौदा आश्रम के प्रमुख संत डॉक्टर गुरमीत राम रहीम सिंह जी इंसान द्वारा चलाए गए 139 मानवता भलाई के कार्यो को धरातल पर चरितार्थ करने के लिए डेरा सच्चा सौदा आश्रम के श्रद्धालु नित्य प्रतिदिन अपनी जान की परवाह ना करते हुए इंसानियत की सेवा में लगे रहते हैं। एक और जहां स्वार्थ का बोलबाला है बिना गरज के कोई किसी से बात नहीं करता खून दान करना तो बहुत दूर की बात है, वहीं दूसरी ओर शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेलफेयर विंग के सदस्य (Dera followers of Meerut) अपनी जान की परवाह ना करते हुए जरूरतमंद घायलों को रक्तदान कर उनकी जान बचा कर इंसानियत का फर्ज निभाते हैं।

इसी कड़ी में ब्लॉक फाजलपुर मेरठ कैंट के शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेलफेयर विंग के सदस्य अनुज इंसान एवं शेखर इन्सां ने दुर्घटना में घायल जरूरतमंद बहन ज्योति निवासी अनूप नगर फाजलपुर मेरठ कैंट को दो यूनिट रक्तदान कर इंसानियत का अपना फर्ज निभाकर अपने प्रेरणा स्रोत पूजनीय गुरु जी की पावन वचनों पर फूल चढ़ाए।

बहन ज्योति, निवासी अनूप नगर फाजलपुर मेरठ, जो कि 8 महीने की गर्भवती महिला थी, अपने किसी कार्य से बाजार में जा रही थी, अचानक ऑटो वाले ने टक्कर मार दी जिससे बहन सड़क पर गिर गई एवं उसके हाथ की हड्डी टूट गई उसको तत्काल बागपत रोड पर स्थित सिरोही हॉस्पिटल में भर्ती किया गया जहां पर डॉक्टर ने ऑपरेशन के लिए दो यूनिट रक्तदान की तत्काल मांग की।

बहन ज्योति के परिवार वालों के ब्लड को हॉस्पिटल वालों ने रिजेक्ट कर दिया। जैसे ही घटना की सूचना डेरा सच्चा सौदा आश्रम के शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेलफेयर विंग के सदस्य अनुज इंसान एवं शेखर इन्सां निवासी रोहटा रोड मेरठ को लगी, उन्होंने तुरंत हॉस्पिटल जाकर बहन के लिए रक्तदान किया। बहन ज्योति के परिवार वालों ने ग्रीन एस के सेवादार भाइयों का बहुत-बहुत आभार व्यक्त किया एवं पूजनीय गुरु जी का कोटि-कोटि धन्यवाद दिया, जिनकी प्रेरणा की बदौलत ही सेवादारों (Dera followers of Meerut) के माध्यम से उनकी बेटी की जान बच सकी।

गौरतलब है कि शेखर इंसान 16 वीं बार एवं अनुज इंसान 21वीं बार ब्लड डोनेट कर चुके है। इस पर भी अपने को गौरवान्वित महसूस करते हुए इसका श्रेय वे अपने पूजनीय गुरु जी को देते हुए कहते हैं यह सब सतगुरु जी की रहमत से ही संभव हो पाता है जिन्होंने इंसानियत की सेवा का जज्बा सेवादारों में कूट कूट कर भरा है।

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