जीना इसी का नाम। ब्लॉक कल्याण नगर की साध-संगत ने बांटा विधवा का दर्द, खस्ताहाल मकान को किया मजबूत
- बेटी की शिक्षा व परिवार के राशन का भी उठाया बीड़ा
सच कहूँ/विजय शर्मा/सरसा। जब अपनों पर दु:खों का पहाड़ टूटता है तो रिश्तेदार और परिवार भी एक पल के लिए साथ छोड़ देते हैं। ऐसे में इंसान यही सोचता है कि जब अपनों ने ही मद्द के लिए हाथ नहीं बढ़ाया तो कोई गैर क्या मद्द करेगा? ऐसे में सिर्फ डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी ही हैं जो अपनों के लिए ही नहीं बल्कि दूसरों के लिए भी जीते हैं। बस मद्द की एक पुकार तो क्या मात्र आहट भर से पल भर में फरिश्ते बनकर पहुंच जाते हैं।
कल्याण नगर की साध-संगत ने भी एक विधवा के दर्द पर मद्द का मरहम लगाते हुए उसके आंसूओं को पोंछा है। 25 अगस्त को मालिक के चरणों में जा विराजे काला सिंह की पत्नी कमलजीत कौर का जर्जर मकान बरसात के दौरान मुसिबत बना हुआ था।
आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण दो वक्त की रोटी जुटाना ही मुश्किल था, ऐसे में भला विधवा कमलजीत कौर जर्जर मकान की मुरम्मत का खर्च कैसे वहन कर पाती। डेरा अनुयायियों को जैसे ही पता चला तो समस्त कल्याण नगर ब्लॉक की साध-संगत ने आर्थिक मद्द करते हुए मकान की मुरम्मत करवाई जिसमें शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेल्फेयर फोर्स विंग के सेवादारों ने भी सहयोग किया।
बेटी की नहीं रूकेगी पढ़ाई
डेरा अनुयायियों ने कमलजीत कौर की बेटी गुरप्रीत कौर के टूटते सपनों को फिर से साकार करने का काम किया है। पिता के निधन के बाद गुरप्रीत ने अपने भविष्य का गला ही घोट दिया था, लेकिन डेरा अनुयायियों ने बेटी की शिक्षा का भी सारा खर्च अपने कधों पर उठाते हुए उसे हर संभव मद्द का आश्वासन दिया। ताकि एक बेटी शिक्षित होकर अपनी मां का सहारा बन सके।
अब भूखे पेट नहीं सोता परिवार
बे-सहारा परिवार के लिए मद्दगार बने डेरा अनुयायियों द्वारा फूड बैंक से हर माह राशन भी दिया जा रहा है। इसके साथ ही परिवार का पूरा खर्च साध-संगत ने स्वयं उठाने का फैसले लिया है। आपको बतां दें कि फूड बैंक में सप्ताह के एक दिन व्रत रखकर उसमें राशन जमा किया जाता है और इसी फूड बैंक से लाखों परिवारों का पेट भरा जाता है।
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