बेटे को देख माता-पिता के छलक पड़े आंसू

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Sangrur News: परिवार के साथ मौजूद गजेन्द्र व डेरा श्रद्धालु।

तीन साल पहले माता-पिता से बिछुड़ गया था उड़ीसा का रहने वाला गजेन्द्र

  • दो हजार किलोमीटर का सफर तय कर परिवार के पास पहुंचे डेरा श्रद्धालु | Sangrur News
  • ग्रामीणों ने की डेरा श्रद्धालुओं की प्रशंसा

संगरूर (सच कहूँ/गुरप्रीत सिंह/नरेश कुमार)। Welfare Work: पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन शिक्षाओं पर चलते हुए डेरा श्रद्धालु निरंतर मानवता भलाई के 167 कार्यों में बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं और मानवता भलाई के कार्य कर इन्सानियत का फर्ज निभा रहे हैं। ऐसी ही अनोखी सेवा का उदाहरण बने हैं जिला संगरूर के डेरा श्रद्धालु, जिन्होंने दर-दर की ठोकरें खा रहे मंदबुद्धि व्यक्ति की संभाल ही नहीं, बल्कि उसे दो हजार किलोमीटर दूर उसके सही सलामत खुद छोड़कर भी आए। Sangrur News

जानकारी के अनुसार 28 अगस्त 2023 को संगरूर की शाही समाधों के नजदीक डेरा श्रद्धालुओं को एक मंदबुद्धि दिखाई दिया। उन्होंने इंसानियत का परिचय देते उसकी संभाल करते उसे पिंगलवाड़ा संगरूर में दाखिल करवा दिया। यहीं बस नहीं डेरा श्रद्धालुओं ने बोलने-चलने से असमर्थ इस मंदबुद्धि के परिवार को खोजने की कोशिशें जारी रखीं। कुछ दिनों के बाद मानसिक हालत ठीक होने पर उसने अपना गांव का पता बताया, जो उड़ीसा राज्य के जिला संभलपुर का एक छोटा सा गांव विलुंग था। फिर एक दिन उक्त व्यक्ति ने अपना नाम गजिन्द्र सिंह पुत्र उमत राम बताया। डेरा श्रद्धालुओं ने इस संबंधी संबंधित थाने से संपर्क किया और उसके परिवार तक पहुंच बनाई और वीडियो कॉल पर बात की। अपने बच्चे को सही सलामत देखकर परिवार अपनी खुशी संभाल नहीं पाया, जो तीन सालों से लापता था। डेरा श्रद्धालु खुद ही गजिन्द्र सिंह को दो हजार किलोमीटर दूर उसके घर सही सलामत छोड़ने के लिए पहुंचे।

ग्रामीणों ने भी गले लगाया | Sangrur News

संगरूर के पिंगलवाड़ा से गजिन्द्र को लेकर शाह सतनाम जी ग्रीन एस वैल्फेयर संगठन के सदस्य हरविन्द्र सिंह बब्बी इन्सां और लखविन्द्र सिंह लक्खी भिंडरां उड़ीसा के लिए रेलगाड़ी से रवाना हुए। इस संबंधी हरविन्दर बब्बी इन्सां ने बताया कि जब हम गजिन्द्र को उसके गांव लेकर गए तो कुछ ही पलों में माहौल अलग सा बन गया। पूरा गांव एक जगह एकत्रित हो गया। गजिन्द्र के परिजनों की खुशी को कोई टिकाना नहीं था। उसके पिता उमत राम और दादी की आंखों में आंसूू रूकने का नाम ही नहीं ले रहे थे और ग्रामीण गजिन्द्र को गले मिलने लगे।

पिता हुए भावुक, बेटे को गले से लगाया

गजेन्द्र के पिता उमत ने भावुक होते बताया कि हम गजेन्द्र को लेकर तीन सालों से परेशान थे। ढूंढने पर भी नहीं मिला। हम सोचने लगे थे कि अब गजेन्द्र कभी भी नहीं मिलेगा। फिर एक दिन डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालुओं के फोन आने पर हमें गजेन्द्र की सही सलामती के बारे में पता चला। उन्होंने कहा कि डेरा श्रद्धालु उनके परिवार के लिए एक फरिश्ते से कम नहीं, जो हजारों किलोमीटर का सफर तय कर उनके बेटे को घर छोड़ने आए हैं। उन्होंने पूज्य गुरु जी तहदिल से धन्यवाद करते कहा कि धन्य हैं ऐसे महापुरूष जो अपने श्रद्धालुओं को मानवता भलाई की शिक्षा दे रहे हैं।

डेरा श्रद्धालुओं ने ‘दिल’ से निभाई सेवा | Sangrur News

इस महान कार्य में प्रेमी सतपाल इन्सां, सनी इन्सां, शैंटी इन्सां, काला हरीपुरा के अलावा बड़ी संख्या में और डेरा श्रद्धालुओं ने अपना योगदान दिया। डेरा श्रद्धालु जगराज सिंह इन्सां ने बताया कि हमारी टीम द्वारा जब से इस युवा की संभाल कर स्थानीय पिंगलवाड़ा संस्था में दाखिल करवाया और उसका इलाज करवाने उपरांत उसके ठीक होने के बाद परिवार से संबंंधित थाने के सहयोग से संपर्क कर उक्त व्यक्ति को वापिस घर भेजने के लिए कड़ी मशक्कत की और उसे सही सलामत परिवार से मिलवा दिया। उन्होंने इसका श्रेय पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को दिया।

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