अपनों से मिल आँखों से बह निकले खुशी के आंसू
- जवान बेटे को देखा तो लगा जैसे बुजुर्ग हड्डियों में फिर से जान आ गई: बलदेव सिंह
संगरूर। (सच कहूँ/गुरप्रीत सिंह) शुक्रवार को पिंगलवाड़ा में उस समय वक्त माहौल भावुकता से भर गया जब एक पिता ने अपने (Welfare Work) बेटे को 9 साल बाद देखा और उसे कसकर छाती से लगा लिया और दोनों की आँखों से अश्रू धारा बह निकली। जालंधर जिले का यह युवा राकेश केसू है, जसकी उम्र अब 22 साल के करीब है और 9 साल पहले यह अपने घर से कहीं चला गया था। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन शिक्षाओं पर चलते हुए डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालुओं के योगदान से राकेश अपने पिता बलदेव सिंह के साथ घर मुस्कुराते हुए लौट गया।
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राकेश (केसू) को पिंगलवाड़ा सोसायटी संगरूर में लेने पहुंचे उसके पिता बलदेव सिंह निवासी गांव मलसियां, जिला जालंधर ने बताया कि तकरीबन 9 साल पहले उक्त युवक 13 वर्ष की आयु में बिना किसी को कुछ बताए घर से चला गया था। उन्होंने बताया कि (Welfare Work) कई सप्ताह तक हम इसकी तलाश करते रहे लेकिन कहीं से भी कोई सूचना नहीं मिलने पर हमने पुलिस थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवा दी। उन्होंने बताया कि केसू की माँ बेटे के गम में हर वक्त परेशान रहने लगी व धीरे-धीरे पूरे परिवार ने भी यही मान लिया कि अब राकेश उनको शायद ही मिले।
उन्होंने बताया कि बीते दिन संबंधित थाने के अधिकारी ने उनको फोन किया और बताया कि उनका गुम हुआ बेटा पूरी तरह सुरक्षित है और पिंगलवाड़ा सोसायटी संगरूर में रह रहा है, जिसकी डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालुओं द्वारा संभाल की जा रही है। उन्होंने बताया कि यह खबर मिलते ही पूरे परिवार में बेहद खुश हुआ और सभी ने उस परमपिता परमात्मा का लाख-लाख शुक्राना किया। उन्होंने बताया कि मैं अपने बेटे को 9 साल बाद देख रहा हूँ, अब वह जवान हो चुका है।
उन्होंने कहा कि मेरे बेटे की खबर मिलते ही मेरी बुजुर्ग हड्डियों में फिर से जान आ गई है। उन्होंने कहा कि डेरा श्रद्धालुओं का इसमें बहुत बड़ा योगदान है, जिन्होंने एक बिछुड़े बच्चे को उसके परिवार से मिलवा दिया। उन्होंने कहा कि पिंगलवाड़ा सोसायटी द्वारा कई साल तक इसकी संभाल की गई है। यह भी अपने आप में बेमिसाल है।
डेरा श्रद्धालुओं को 2017 में संगरूर में मिला था उक्त युवक | (Welfare Work)
डेरा सच्चा सौदा की मंदबुद्धियों की संभाल करने वाली टीम के जिम्मेवार रिटा. इंस्पेक्टर जगराज सिंह इन्सां ने बताया कि राकेश 2017 में संगरूर के कौला पार्क के नजदीक से बहुत ही दयनीय हालत में मिला था। डेरा श्रद्धालुओं द्वारा इसकी संभाल करने के बाद उसे पिंगलवाड़ा सोसायटी संगरूर में भर्ती करवा दिया गया था, जहां यह कई सालों से रह रहा था। जगराज सिंह इन्सां ने बताया कि राकेश के परिवार को ढूंढने के लिए हमने सोशल मीडिया का सहारा लिया, काफी मेहनत के बाद इसके घर जिला जालंधर के गांव मलसियां का पता चला व इस बारे में संबंधित थाने में सूचित किया व इसके परिवार तक पहुँचे।
उन्होंने कहा कि यह सब पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन शिक्षाओं ही कमाल है, जो हम दिन-रात इन मंदबुद्धियोंं की संभाल में लगे हुए हैं। इस मौके पर दीक्षांत, धु्रव, सतपाल, विवेक शैंटी, सनी गोरू, हरविन्द्र बब्बी, नाहर सिंह के अलावा अन्य डेरा श्रद्धालु मौजूद थे।
डेरा श्रद्धालु कर रहे बेहद प्रशंसनीय कार्य: अरोड़ा
पिंगलवाड़ा सोसायटी संगरूर के इंचार्ज हरजीत सिंह अरोड़ा ने बताया कि राकेश को 17 मार्च 2017 में डेरा श्रद्धालुओं ने ही पिंगलवाड़ा में दाखिल करवाया था और इसकी पूछताछ भी डेरा श्रद्धालुओं द्वारा ही की गई है तथा इसके परिजनों तक पहुंच की गई है। (Welfare Work) उन्होंने कहा कि डेरा श्रद्धालुओं से वह हर समय संपर्क में रहते हैं, जो हमेशा सेवा के लिए तैयार रहते हैं। उन्होंने कहा कि हम बेहद खुश हैं कि आज एक नौजवान 9 वर्षों वाद अपने परिजनों से मिला है। उन्होंने बताया कि संगरूर में 260 के करीब मंदबुद्धि हैं, जिनका इलाज, रहन-सहन, खान-पान का प्रबंध पिंगलवाड़ा संस्था द्वारा ही किया जा रहा है। इनकी संभाल के लिए 81 कर्मचारी तैनात हैं।