पावन भंडारे पर उमड़ी अद्भुत, अद्वितीय और अकल्पनीय श्रद्धा
- साध-संगत से खचाखच भरा था पंडाल, सड़कों पर बैठ श्रवण किया पावन भंडारा
- सड़कों पर कई-कई किलोमीटर तक वाहनों की लगी लम्बी-लंबी कतारें
- पूज्य गुरु जी ने भेजा रूहानी पत्र, मनमते लोगों के बहकावे में न आने का किया आह्वान
- 139वें मानवता भलाई कार्य ‘अनाथ मातृ-पितृ सेवा’ के तहत अनाथ, बेसहारा बुजुर्गों का सहारा बनेगी साध-संगत
सरसा। सर्वधर्म संगम डेरा सच्चा सौदा के रूहानी स्थापना दिवस 29 अप्रैल का पावन भंडारा शुक्रवार को देश और दुनिया में करोड़ों साध-संगत ने धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। भीषण गर्मी के बावजूद इस अवसर पर शाह सतनाम जी धाम में आयोजित पावन भंडारे में अद्भुत, अद्वितीय और अकल्पनीय श्रद्धा, विश्वास और गुरु भक्ति का बेमिसाल संगम देखने को मिला। एक ओर जहां विशाल पंडाल साध-संगत से खचाखच भरा था। वहीं दरबार की ओर आने वाले भादरा रोड़, शाह सतनाम जी मार्ग और बाजेकां की ओर से आने वाले रास्तों पर भी दूर-दूर तक साध-संगत का जनसैलाब ही जनसैलाब नजर आ रहा था। नामचर्चा की समाप्ति तक सभी मार्गों पर कई-कई किलोमीटर तक वाहनों की लंबी कतारें लगी रहीं। साध-संगत के भारी उत्साह के समक्ष प्रबंधकीय समिति द्वारा किए गए प्रबंध छोटे पड़ते नजर आए। पंडाल भरने के बाद साध-संगत को सड़क किनारे बैठकर पावन भंडारा श्रवण करना पड़ा। वहीं साध-संगत के प्रेम और सतगुरु पर दृढ़ विश्वास के भव्य दृश्य में आसमां से हो रही पुष्प वर्षा भी चार चांद लगा रही थी।
पावन भंडारे की शुभ वेला पर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा रूहानी पत्र भेजा गया, जिसे साध-संगत को पढ़कर सुनाया गया। पत्र में पूज्य गुरु जी ने 139वें मानवता भलाई के रूप में ‘अनाथ मातृ-पितृ सेवा’ मुहिम शुरू की, जिसके तहत डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत अनाथ बेसहारा बुजुर्गों की संभाल करेगी। इसके साथ ही चिट्ठी में पूज्य गुरु जी ने लिखा कि परम पिता जी ने हमें आपका गुरू बनाया था, गुरू है व हम ही गुरू रहेंगे। किसी के भी बहकावे में आप मत आया करो। वचन सिर्फ और सिर्फ ‘गुरू के ही’ होते हैं बाकि सबकी तो सिर्फ बाते होती है। गुरू वचन गुरू का सतगुरू जी हुक्म देकर करवाते है न कि गुरू किसी भी बन्दे के कहने पे करते हैं।
अलग-2 राज्यों में जो आप लोगों ने भण्डारा ‘नामचर्चा’ मनाई है सतगुरु जी आप सबको बहुत-2 खुशियां व ‘बरकते’ बख्शे। जो सेवादार लगातार अलग-अलग आश्रमों (सच्चा सौदा) में जा-जा कर सेवा करते हैं हर बार उनकी अलग-2 जायज माँग सतगुरु जी जरूर पूरी करेंगे। सतगुरू जी से यह भी प्रार्थना करते हैं कि आप सबकी, सबसे बड़ी मांग भी जल्द से जल्द पूरी करें जी। हमने हमेशा आप सबको ‘एक बात’ बहुत बार समझाई है कि अपने गुरू के ही वचन सुनो व मानो ताकि आप जीते-जीअ गम, दुख, चिन्ता व रोगों से मोक्ष प्राप्त करें व मरणोपरांत आवागमन से भी मोक्ष मिले। अच्छे लोगों का संग व निस्वार्थ भावना से प्यार प्रेम करें। जो किसी की भी निंदा करता है, ना तो उसकी बात सुनो ना ही उसकी बातों में हाँ में हाँ मिलाओ।
इस अवसर पर उमड़ी साध-संगत ने पूरी एकजुटता के साथ दोनों हाथ ऊपर उठाकर अरदास की कि ‘‘हे परम पिता जी! हे एमएसजी! इस बार हमारे सतगुरु पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां जल्दी आएं, जल्दी आएं और हमें देह रूप में दर्शन दें, जरूर दें।’’ वहीं साध-संगत ने बीमार मरीजों की तन्दुरूस्ती के लिए भी अरदास की। इस अवसर पर मानवता भलाई के कारवां को गति देते हुए साध-संगत ने आत्म सम्मान मुहिम के तहत 29 महिलाओं को सिलाई मशीनें, फूड बैंक मुहिम के तहत 29 जरूरतमंद परिवारों को राशन, जननी सत्कार मुहिम के तहत 29 गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार की किटें, क्लॉथ बैंक से 29 जरूरतमंदों को वस्त्र, पक्षी उद्धार मुहिम के तहत छतों पर दाना-पानी की व्यवस्था के लिए 529 कसोरे और जरूरतमंद परिवारों को साध-संगत द्वारा बनाकर दिए मकानों की चाबियां दी गर्इं।
इसके साथ ही इस अवसर पर नई सुबह मुहिम के तहत दो भक्तयोद्धा विवाह बंधन में बंधे। वहीं 29 आदिवासी युगलों की शादियां हुर्इं। नामचर्चा की समाप्ति पर आई हुई साध-संगत को हजारों सेवादारों ने कुछ ही मिनटों में लंगर भोजन खिला दिया गया।
डेरा सच्चा सौदा रूहानी स्थापना दिवस के पावन भंडारे का आगाज ‘धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा’ के पवित्र नारे के साथ हुआ। इसके पश्चात कविराज भाइयों ने विभिन्न भक्तिमय भजनों के माध्यम से गुरु महिमा का गुणगान किया। इस अवसर पर बड़ी-बड़ी स्क्रीनों के माध्यम से पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन अनमोल वचन चलाए गए।
गुरु का एक शब्द ही पल में मालिक से मिला सकता है : पूज्य गुरु जी
पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने फरमाया कि ये भंडारा सार्इं मस्ताना जी के रहमोकरम का एक नजारा है। ये भंडारा करोड़ों लोगों का कर चुका पार उतारा है और ये भंडारा हमें अजीज जान से भी प्यारा है। यह वो दिन है जिस दिन सच्चा सौदा सबके सामने आया। 29 अप्रैल 1948 का वो दिन सार्इं, दाता, रहबर, मालिक शाह मस्ताना जी ने सरसा में अपना धाम बनाया और सबको ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड से मिलने का बड़ा आसान सा ढंग बताया।
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि कई बार लोगों को लगता है रूहानियत, सूफियत में ज्यादा पढ़ने से मालिक ज्यादा खुशियां बख्शते हैं, ज्यादा पढ़ने से ज्ञान ज्यादा आता है। इसमें कोई शक नहीं कि ज्यादा पढ़ने से ज्ञान ज्यादा आता है। पर ज्यादा पढ़ने से मालिक का प्यार मिलता हो ये गलत है। एक अक्षर, एक शब्द मुर्शिद-ए-कामिल अगर बता दे और मुरीद उस पर अमल कर ले तो वो एक शब्द मालिक से पल में मिला सकता है।
‘बिन अमलो के आलमा इल्म निकम्मे सारे, कोई अमल कमा ले तू गर जश लैणा ए सतगुरु द्वारे, गर जश लेणा ए मालिक द्वारे’। गुरु साहिबानों ने लिखा है कि ‘पढ़-पढ़ गढे लदिए’ बहुत ज्यादा पवित्र गुरुबाणी में इस बारे में लिखा है। पढ़ते रहो दिन-रात, अगर अमल नहीं करते तो उस पढ़ने का क्या फायदा। दूध में घी है और बैठे-बैठे कहते रहो कि घी बाहर आ जा, घी निकल आ। अजी एक दिन क्या, दो-तीन दिन लगे रहो दूध फट जाएगा, न दूध काम का ना घी निकला। क्योंकि आपने पढ़ा है, आपको पता होता है कि दूध में घी होता है, पर अमल करना आपको आता ही नहीं और जिनको अमल करना आता है वो दूध को नहीं कहेंगे घी निकल आ। बल्कि वो दूध को जाग लगाएंगे, शाम को जमा देंगे और सुबह उसको बिलोएंगे, उसमें मक्खन आएगा, उसको गर्म करेंगे, छाछ अलग और घी अलग हो जाएगा। ये है अमल।
गौरतलब है कि पूजनीय बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज ने 29 अपै्रल 1948 को डेरा सच्चा सौदा की स्थापना की थी। दूसरी पातशाही पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज ने देश के विभिन्न हिस्सों में हजारों सत्संग कर लाखों लोगों को गुरु मंत्र देकर इंसानियत के मार्ग पर चलाया और पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन शिक्षाओं पर चलते हुए डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालु 138 मानवता भलाई कार्यों को करने में जुटे हुए हैं। इन लोक भलाई के कार्यों में गरीब बच्चों को अच्छी सेहत के लिए पौष्टिक आहार देना, महिलाओं को रोजगार में आत्मनिर्भर बनाने के लिए नि:शुल्क सिलाई मशीनें देना, रक्तदान, शरीरदान, गुर्दा दान, पौधारोपण, गरीबों को मकान बनाकर देना, गरीब कन्याओं की शादी करवाना, राशन वितरण, नेत्रदान, लोगों का नशा छुड़वाना, आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों का निशुल्क इलाज करवाना, निशक्त जनों को सहारा देने के लिए ट्राई साइकिल देना सहित अनेक कार्य शामिल है। वहीं 29 अप्रैल 2007 को पूज्य गुरु जी ने रूहानी जाम की शुरूआत कर मर चुकी इंसानियत को जिंदा करने का बीड़ा उठाया।
रात को निकाली जागो, पूज्य गुरु जी के भजनों पर झूमी साध-संगत
डेरा सच्चा सौदा रूहानी स्थापना दिवस को लेकर साध-संगत के उत्साह का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 28 और 29 अप्रैल की मध्य रात्रि में ब्लॉक सरसा, शाह सतनाम जी पुरा, कल्याण नगर, ट्रयू सोल कॉम्पलेक्स आदि में साध-संगत ने पंजाब की लोक परंपरा के अनुसार जागो निकाली और पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को ‘धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा’ के पवित्र नारे के साथ आसमां गुंजायमान करते हुए बधाई दी। साथ ही साध-संगत पूज्य गुरु जी द्वारा गाए गए भजनों ‘यू आर द लव चार्जर’, ‘तेरा इश्क नचाऊंदा’, ‘केसरिया’, ‘नेवर-एवर’ ‘दारू को गोली मारो’, ‘राम-राम ओ मेरे राम’ आदि भजनों पर नाचते-झूमते हुए साध-संगत शाह सतनाम जी धाम पहुंची और सजदा किया।
भक्तिमय भजनों से गाया गुरुयश
‘सोहणे शहनशाह शाह मस्ताना जी’, ‘सारी दुनिया इक पासे, मेरा सतगुरु इक पासे’, ‘तन-मन है खिलेया जी, आके सच्चे सौदे डेरे’, ‘घूम्क फिरके असी जहान असी सारा वेखेया, सच्चे सौदे जेहा नी द्वारा वेखेया’, ‘रड मची, मची धूम मची, है दोनों जहां छाया’, ‘चलो चालां सच्चे सौदे सत्संग मैं, जठै राम-नाम की बात हौवे’, ‘हो जांदे बर्बाद जे सतगुरु प्यारा ना मिलदा, शाह मस्ताना जी सच्चा सौदा द्वारा ना मिलदा’, ‘ये लॉकेट इन्सां का गले में लटका रखो, मुर्शिद की निशानी है सीने से लगा रखो’, ‘जिंद वारिये गुरु ते लख वारी, सानूं जान तो लगदा प्यारा ऐ’, ‘शाह सतनाम जी सर्वव्यापक हर कोने हर थां, सर्वधर्म का संगम वाहेगुरु, राम, गॉड अल्लाह, दुनिया विच गूंज रेहा सच्चे सौदे का नाम’, ‘कैसे वर्णन करें गुरु प्यार का, हर पल भरें झोलियां’,
जगह-जगह लगी थी पेयजल छबीलें
पावन भंडारे में उमड़ी साध-संगत के लिए भीषण गर्मी के मद्देनजर डेरा सच्चा सौदा प्रबंधन समिति की ओर से पंडाल और मुख्य मार्गों पर पेयजल की पुख्ता व्यवस्था की गई थी। इस दौरान पानी समिति के सेवादार जहां पंडाल में घूम-घूम कर साध-संगत को पानी पिला रहे थे। वहीं अनेक स्थानों पर छबीलें लगाई थी। सेवादार पूरे प्रेम और सत्कार भाव से साध-संगत को पेयजल उपलब्ध करवा रहे थे। साथ ही साध-संगत ने भी अद्भुत अनुशासन का नजारा पेश किया।
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