‘धन हन सतगुरु जी अते धन हन एन्हां दे प्यारे, अज्ज दे टैम विच्च कोण किसै वास्ते एन्नां करदा है’

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Odhan News: मकान बनाती साध-संगत व बनाए गए मकान का दृश्य।

5 वर्षों की समस्या का मात्र 7 घंटे में हुआ समाधान, विधवा संदीप कौर को मिला पक्का आशियाना

ओढां (सच कहूँ/राजू)। Odhan News: डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी लोगोंं का दु:ख-दर्द सुनते ही नहीं अपितु उसे दूर भी करते हैं। एक प्रत्यक्ष उदाहरण गांव बडागुढ़ा में देखने को मिला। जहां जर्जर छत के नीचे खतरे के साए में अपने 3 बच्चों के साथ रहने वाली एक विधवा महिला को साध-संगत ने मात्र कुछ घंटों में पक्का मकान बनाकर दे दिया। ये महिला पिछले करीब 5 वर्षांे से टपकती एवं जर्जर छत के नीचे रहने को विवश थी। साध-संगत ने जब महिला के जर्जर मकान की जगह एक नया पक्का मकान बनाकर दिया तो हर किसी के मुख से एक ही बात निकली कि वास्तव में ये होती है मानवता की नि:स्वार्थ सेवा। इस कार्य की क्षेत्र में खूब चर्चा हो रही है। Sirsa News

दरअसल रोड़ी ब्लॉक के गांव बडागुढ़ा में रहने वाली संदीप कौर के पति जसवंत सिंह की करीब 8 वर्ष पूर्व मौत हो गई थी। जिसके बाद से संदीप कौर लोगों के घरों में कार्य कर जैसे-तैसे कर अपने 3 बच्चों को पाल रही थी। संदीप कौर के पास घर के नाम पर मात्र 2 जर्जर हो चुके कमरे ही थे। स्थिति ये थी कि छत से मलबा गिर रहा था तो वहीं दीवारों में दरारें आ चुकी थीं। उसे हमेशा इस बात का खतरा बना रहता था कि कहीं मकान गिर न जाए। बरसात के मौसम में संदीप कौर अपने बच्चों को पड़ोसियों के घर सुलाती थी। संदीप कौर की एक बेटी मंदबुद्धि है। संदीप कौर दिहाड़ी-मजदूरी कर अपने परिवार का भरण-पौषण तो कर सकती थी, लेकिन अपना आशियाना बनाने में वह असमर्थ थी।

हमदर्द बनकर आए डेरा अनुयायी | Sirsa News

संदीप कौर जब लोगों के घरों में काम करने चली जाती थी तो पीछे से उसे हर समय यही डर बना रहता था कि कहीं बच्चों पर छत न गिर जाए। जब आसमान में बादल छा जाते तो उसके मुंह से यही निकलता कि कहीं बरसात न आ जाए। संदीप कौर की इस स्थिति का पता जब गांव बडागुढ़ा की साध-संगत को लगा तो उन्होंने अपने मुर्शिद के पावन वचनों पर चलते हुए मदद के लिए चल पड़े। शनिवार को रोड़ी ब्लॉक से बड़ी संख्या में साध-संगत निर्माण सामग्री सामान लेकर संदीप कौर के आशियाने की नुहार बदलने पहुंच गई।

निर्माण कार्य की शुरूआत बेनती भजन के साथ हुई जिसके बाद साध-संगत ने इलाही नारा लगाते हुए कार्य शुरू कर दिया। जिस जगह जर्जर कोठड़़े थे वहां देखते ही देखते पक्का मकान बनकर तैयार हो गया। इस सेवा कार्य में साध-संगत में इस कदर उत्साह देखा गया कि ठंड की परवाह किए बगैर साध-संगत बिना रुके-बिना थके तन्मयता के साथ जुटी रही। इस सेवा में भाईयों के अलावा बहनों एवं बुजुर्ग सेवादारों का जज्बा भी देखने योग्य था। हर कोई इस कार्य में अपना योगदान निभाने को आतुर दिखा। Sirsa News

चाय-पानी व लंगर भी अपना

डेरा अनुयायियों ने संदीप कौर के घर से खाना तो दूर पानी तक नहीं पिया। साध-संगत ने चाय-पानी व लंगर का प्रबंध भी अपने स्तर पर कर रखा था। सैकड़ों की तादाद में साध-संगत को तन्मयता के साथ जुटे देख मोहल्ले के लोग हैरानीवश घरों से बाहर निकल आए। उनका कहना था कि डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी वास्तव में फरिश्तों के समान है। वहीं उन्होंने साध-संगत के इस जज्बे पर पूज्य गुरु जी की सराहना करते हुए कहा कि धन्य हैं ऐसे गुरु जो अपने शिष्यों को ऐसी शिक्षा देते हैं।

5 वर्ष की समस्या का मात्र कुछ घंटों में हुआ समाधान | Sirsa News

इस सेवा कार्य में 140 सेवादारों व 12 राजमिस्त्रियों ने योगदान दिया। जिस जगह पर जर्जर कोठड़े थे और वहां देखते ही देखते मिट्टी की भरती हुई, नींव भरी गई और एक कमरा व रसोई बन गए। विधवा संदीप कौर की 5 वर्ष की समस्या का साध-संगत ने मात्र 7 घंटों में ही समाधान कर दिया। जिसके चलते इसकी क्षेत्र में खूब चर्चा रही। 5 वर्षांे से टपकती छत के नीचे रहने वाली संदीप कौर व उसके बच्चों को नया एवं पक्का आशियाना मिल गया।

‘ओन्हां दी मौत तों बाद मैं 3 बच्चेयां नूं तां औखी-सौखी पाल़दी आ रही हां। लोकां दे घरां दे विच्च कम्म-धंधा करके बच्चेयां दा पेट तां भर सकदी हां, पर नवां मकान बणाणा मेरे बस दी गल्ल नहीं। मैनूं हर रोज एही लगेया रहंदा कि मकान हुण गिरे के हुण। डेरा सच्चा सौदा दे सेवादार साडे वास्ते फरिश्ते बणके आये हैं। धन हन सतगुरु जी अते धन हन एन्हां दे प्यारे। अज्ज दे टैम विच्च कोण किसै वास्ते एन्नां करदा है। मेरे कोल़े शब्द नहीं जिन्हां राही मैं डेरे सच्चे सौदे दे सेवादार भाई-बहणां दी सिफ्त करां। कदे सोच्या भी नहीं सी कि मेरे बच्चेयां नूं इक पक्की छत मिलूगी। मैं पूज्य गुरु जी दी कोटि-कोटि धनवादी हां। जिन्हां दी प्यारी साध-संगत लोकां दा दु:ख-दर्द समझदी है।
                                                                                                                 – संदीप कौर

पूज्य गुरु जी के पावन वचनों पर चलते हुए साध-संगत ने विचार विमर्श कर विधवा बहन संदीप कौर को आशियाना बनाकर देने का निर्णय लिया था। ब्लॉक की साध-संगत ने मिलकर मात्र 7 घंटों में ही मकान खड़ा कर दिया। पूज्य पिताजी ने हमें यही शिक्षा दी है कि इंसानियत की सेवा से बढ़कर कोई सेवा नहीं है। साध-संगत जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए हर समय तत्पर है।
                                                                                      – पवन इन्सां, ब्लॉक प्रेमी सेवक (रोड़ी)।

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