अमलोह(सच कहूँ/अनिल लुटावा)। पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन शिक्षाओं पर चलते हुए डेरा श्रद्धालु गुरसेवक सिंह इन्सां 15 मैंबर ब्लॉक अमलोह ने बीती रात 11 बजे आईवीवाई अस्पताल खन्ना पहुंचकर एक अति जरूरतमन्द मरीज को अपने प्लेटलैट्स सैल दान कर उसके ईलाज में मदद की और इन्सानियत का फर्ज निभाया। प्राप्त जानकारी के अनुसार मरीज मनजीत कौर पत्नी मनप्रीत सिंह जोकि मोरिंडा की रहने वाली है और जो कि गर्भवती थी और उनका इलाज अमलोह के गुरतीर्थ नर्सिंग होम में चल रहा था और डिलवरी के बाद अचानक ही मरीज की हालत खराब हो गई और डॉक्टरों ने चैक करने पर उस मरीज के प्लेटलैटस काफी कम हो गए और इसके साथ ही उक्त मरीज का खून भी 6 ग्राम ही रह गया।
जिस पर डॉक्टरों ने मरीज के परिजनों को तुरंत प्लेटलैट्स सैल चढ़ाने के लिए कहा लेकिन रात का समय होने के कारण परिजनों को कहीं से भी प्लेटलैट्स देने वाला डोनर नहीं मिला, जिस कारण डोनर का प्रबंध न होने पर मरीज के परिजन परेशान हो गए तो उस मौके उनको किसी ने डेरा सच्चा सौदा के बारे में बताया कि अगर आप किसी तरह डेरा श्रद्धालुओं से संपर्क कर सकते हैं तो आपको डोनर मिल सकता है। इस पर उन्होंने पता कर अमलोह के ‘सच कहूँ’ पत्रकार से संपर्क किया और अपनी समस्या से अवगत करवाया, जिस पर उन्होंने तुरंत ही 15 मैंबर गुरसेवक इन्सां से संपर्क किया और गुरसेवक इन्सां ने मरीज की जरूरत को समझते हुए तुरंत ही गुरतीर्थ नर्सिंग होम में पहुंचकर मरीज के परवारिक सदस्यों से संपर्क किया और अपने प्लेटलैट्स सैल खन्ना के आईवीवाई अस्पताल में रात 11 बजे पहुंचकर दान किए।
अस्पताल के स्टाफ ने भी डेरा सच्चा सौदा के मानवता भलाई के कार्यों की प्रशंसा
प्लेटलैट्स दान करने पर मरीज के परिजनों ने पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को सजदा करते कहा कि धन्य हैं ऐसे गुरू जिनकी पावन शिक्षाओं पर चलते हुए डेरा श्रद्धालु दिन रात की भी परवाह नहीं करते और लगातार मानवता भलाई के कार्यों में जुटे हुए हैं। उल्लेखनीय है कि आईवीवाई के स्टाफ द्वारा भी शाह सतनाम जी ग्रीन एस वैल्फेयर फोर्स विंग द्वारा किए जा रहे मानवता भलाई के कार्यों की भरपूर प्रशंसा की गई।
यह सब पूज्य गुरू जी की रहमत से ही हुआ संभव : गुरसेवक इन्सां
गुरसेवक सिंह इन्सां ने कहा कि वह पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की दया मेहर रहमत से अब तक 39वीं बार रक्तदान और 5 बार प्लेटलैट्स दान कर चुका है। यह सब करने जहां उसे आत्मिक सुकून मिलता है वहीं रूहानियत खुशी का भी अहसास होता है। लेकिन यह सब पूर्ण मुर्शिद-ए-कामिल पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की बदौलत ही संभव हुआ है, जिन्होेंने हमें चलता-फिरता ‘ट्रयू ब्लड पंप’ का नाम दिया है ताकि रक्त की कमी से किसी इन्सान की जान न जाए।
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