चंडीगढ़ (अनिल कक्कड़)। हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने दावा किया कि ‘पदमा’ स्कीम ग्रामीण क्षेत्र के लिए लैंडमार्क साबित होगी, इससे जहां लाखों युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे वहीं पंचायतों की आय में वृद्धि होगी। यह जानकारी उन्होंने ‘पदमा’ स्कीम से संबंधित अधिकारियों की बैठक की अध्यक्षता करने के बाद दी। इस अवसर पर विकास एवं पंचायत मंत्री देवेंद्र सिंह बबली व श्रम एवं रोजगार मंत्री अनूप धानक भी उपस्थित थे। बता दें कि ‘पदमा’ योजना पर यह इस महीने की दूसरी बैठक थी, इससे पहले चार जनवरी को उप मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बैठक हुई थी।
एमएसएमई को बढ़ावा देन के लिए लैंड-पूल-पॉलिसी
डिप्टी सीएम ने बताया कि केंद्र की ‘पदमा’ स्कीम को आगे बढ़ाते हुए हरियाणा सरकार इस पर तेजी से काम कर रही है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए ‘लैंड-पूल पॉलिसी’ का निर्माण किया जा रहा है, इसका ड्राफ्ट तैयार हो चुका है, जल्द ही अंतिम रूप दे दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि लैंड पूलिंग के तहत प्रत्येक ब्लॉक में करीब 50 एकड़ जमीन जुटाई जाएगी। राज्य सरकार ने ब्लॉक-वाइज कुछ उत्पाद तय किए गए हैं जिनको एक्सपोर्ट करवाने में भी सरकार मदद करेगी। उन्होंने कहा कि राज्य के कई गांवों में हुनरमंद लोगों द्वारा ऐसे गुणवत्तापरक प्रोडक्ट तैयार किए जाते हैं, जिनकी राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अच्छी कीमत मिल सकती है, लेकिन जानकारी के अभाव में उनको मजबूरी में लोकल लेवल पर कम दामों पर बेचना पड़ता है।
कलस्टर बनाने पर सरकार का विचार
उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के मुताबिक राज्य सरकार की मंशा है कि प्रत्येक ब्लॉक में उस ब्लॉक के लोगों द्वारा उत्पादित बेहतरीन प्रोडक्ट के लिए एक कलस्टर बनाया जाए, जहां पर एमएसएमई की भांति लोगों को उद्योग लगाने के लिए प्लॉट उपलब्ध करवाए जा सकें। इस कलस्टर में बिजली, पानी, सड़क, बैंक, कॉमन सर्विस सैंटर जैसी सुविधाएं मुहैया करवाई जाएंगी।
क्या है ‘पदमा’ स्कीम! इससे किसे होगा फायदा!
प्रदेश की सरकार ने प्रत्येक ब्लाक से एक-एक प्रोडक्ट को प्रोत्साहित करने के लिए ‘पदमा’ नाम से योजना की शुरूआत की है। सरकार का दावा है कि इससे राज्य में ग्रामीण लघु और कुटीर उद्योगों की किस्मत बदलेगी। प्रदेश में सूक्ष्म, लघु और मध्यम श्रेणी के उद्योग (एमएसएमइ) को बढ़ावा देने के लिए सरकार लैंड पूलिंग के तहत प्रत्येक ब्लाक में करीब 50 एकड़ जमीन जुटाएगी। राज्य में 90 ब्लाक हैं। इसके लिए करीब साढ़े चार हजार एकड़ जमीन की जरूरत पड़ेगी।
सरकार ने ब्लाकवार ऐसे उत्पाद चिन्हित किए हैं, जो उस इलाके की पहचान है और उन्हें एक्सपोर्ट (निर्यात) किया जा सकता है। ऐसे उत्पादों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने ग्रामीण उद्योगों को बढ़ावा देने का संकल्प लिया है। राज्य के कई गांवों में हुनरमंद लोगों द्वारा ऐसे गुणवत्तापरक प्रोडक्ट तैयार किए जाते हैं, जिनकी राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अच्छी कीमत मिल सकती है। कई बार जानकारी के अभाव में उनको मजबूरी में लोकल लेवल पर कम दामों पर अपने उत्पादों को बेचना पड़ता है।
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