सबरीमाला मंदिर के इतिहास में यह पहला मौका है जब पुजारियों ने इस तरह के प्रदर्शनों का आयोजित किया | Sabarimala
कोच्चि (एजेंसी)। विश्व प्रसिद्ध सबरीमाला (Sabarimala) मंदिर में महिलाओं को भगवान अयप्पा की पूजा करने की इजाजत देने के उच्चतम न्यायालय के फैसले के विरोध में प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है। इन प्रदर्शनों में अब मंदिर के पुजारी भी उतर आए हैं। सबरीमाला मंदिर के मुख्य पुजारियों या थांथ्रियों की सहायता करने वाले कनिष्ठ पुजारियों ने अब पूजा संबंधी गतिविधियों में हिस्सा लेने से मना कर दिया है।
मंदिर के मुख्य पुजारी या थांथ्रि तथा पुजारियों के अन्य प्रमुख हालांकि प्रत्यक्ष रूप से इस विरोध प्रदर्शन में भाग नहीं ले रहे हैं लेकिन उनके सहायक पुजारियों ने पूजा छोड़ दी है तथा सरनम मंत्रों का जाप करने वालों के साथ धरने पर बैठ गए हैं। इनका कहना है कि किसी भी सूरत में 10 से 50 वर्ष की महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश की इजाजत नहीं दी जाएगी।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार अगर कोई महिला शन्निधानम में प्रवेश करती, तो मंदिर के दरवाजे को बंद कर दिया जाएगा और सभी तरह की पूजा रोक दी जाएगी। पंडलम राजपरिवार ने इस तरह के निर्देश थांथ्री को दिये हैं। पुजारियों के विरोध को देखते हुए पुलिस ने मंदिर के समीप दो महिलाओं को हिरासत में सुरक्षा प्रदान की लेकिन इन दोनों को नादापांथाल में अय्यप्पा भक्तों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा। सबरीमाला मंदिर के इतिहास में यह पहला मौका है जब पुजारियों ने इस तरह के प्रदर्शनों का आयोजित किया है जिसके कारण ‘घी अभिषेकम’ सहित सभी तरह की पूजा को रोक दिया गया है।
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