मानसा (सच कहूँ न्यूज)। पूज्य गुरू संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने वीरवार को उत्तर प्रदेश के जिला बागपत स्थित शाह सतनाम जी आश्रम बरनावा से आॅनलाइन गुरूकुल के माध्यम से देश-विदेश में बैठी साध-संगत को अपने अनमोल वचनों से सरोबार किया। साथ में इस दौरान पूज्य गुरु जी ने साध-संगत को पानी के खत्म होते स्रोत को बचाने का प्रण दिलाया और पानी बचाने के लिए एक मुहिम या आंदोलन चलाने का आह्वान किया। इस अवसर पर राजस्थान के हनुमानगढ़, पंजाब के सुनाम व उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में हजारों लोगों को सामाजिक बुराईयों व नशों से छुटकारा दिलाते हुए उन्हें गुरुमंत्र दिया। पूज्य गुरु जी ने रूहानी सत्संग के दौरान परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज का शाही रूमाल साध-संगत को दिखाया। इस बीच पूज्य गुरु जी सुनाम की साध-संगत से आॅनलाइन रूबरू हुए। ब्लॉक सुनाम की साध-संगत ने पूज्य गुरु जी से सुनाम में डेरा बनाने की मांग की। आईयें देखते हैं वीडियों में पूज्य गुरु जी के रूहानी वचन….
पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने वीरवार को अपने रूहानी अमृत रूपी वचनों से साध-संगत को खुशियों के खजाने बख्शे। शाह सतनाम जी आश्रम, बरनावा (यूपी) से आॅनलाइन गुरूकुल के माध्यम से पूज्य गुरू जी ने रूहानी सत्संग में फरमाया कि बेपरवाह, सच्चे दाता रहबर के पाक-पवित्र वचनों को आपको बताते हैं। भजन उन्होंने बहुत लिखे हैं, उन्हीं में से एक ‘‘दो घड़ी तू बैठके बंदे राम-नाम गुण गा, जन्म अमोलक मिलेया हीरा इसका लाभ उठा, ओ बन्दे गा राम गुण गा, ये जीवन सफल बना।’’ इन्सान यह कहता है कि उसके पास समय नहीं है। खाने का समय चूकने नहीं देता, पीने का समय चूकने नहीं देता, कमाने का समय चूकने नहीं देता और कोई भी ऐसा कार्य जो शरीर से संबंध रखता हो, परिवार से संबंध रखता हो, उसके लिए समय निकालता ही निकालता है। यहां तक कि जो काम नहीं करने चाहिए, ठग्गी, बेईमानी, भ्रष्टाचार, काम-वासना, क्रोध, मोह, लोभ, अहंकार, मन-माया उनके लिए भी समय निकाल लेता है। समय नहीं है तो ओउ्म, हरि, अल्लाह, वाहेगुरू, राम की भक्ति इबादत के लिए नहीं है। और उसको समय ना देने की वजह से, आज समय में, या दूसरे शब्दों में कहें समय ने इन्सान का बुरा हाल कर रखा है।
कुदरत के कादिर ने धरा को दिए अनगिनत स्वर्ग
पूज्य गुरू जी ने फरमाया कि इन्सान ने प्रभु की प्रकृति से छेड़छाड़ की है और प्रकृति वापिस बदला ले रही है, क्योंकि कुदरत के कादिर ने इस जमीं पर क्या खूबसूरत स्वर्ग बना रखे हैं अलग-अलग तरह के। मैदानी इलाके में जाइए सरसों के खेत होते हैं, उसमें जब आप निगाह मारते हैं, कभी ऊपर से निगाह मारी आप लोगों ने, चलो साइड से तो निगाह मारी है, पर हमने तो देखा है, यू लगता है कि क्या खूबसूरत पीले रंग का कालीन बिछा हुआ है, धरती ने क्या श्रृंगार कर रखा है तो वो एक अलग तरह का स्वर्ग है। धरती पर चावल की खेती होती है, जीरी कह लीजिए, धान कह लीजिए जब उस पर निगाह मारते हैं तब ऐसे लगता है किसी ने खूबसूरत हरे रंग का गलीचा बिछा रखा है।
देखने का नज़रिया आपको रोज कहते हैं अलग होता है। हमने तो राजस्थान के टीलों में भी ऊपर चढ़कर देखा, वे टीले भी लगते हैं कि कुदरत के कादिर ने क्या खूबसूरत डिजाइन बना रखे हैं, क्या उनकी धार होती है और हवा चलने से क्या उनके निशान पड़े होते हैं। वो एक अलग तरह का स्वर्ग है। बस देखने का नज़रिया होना चाहिए। पहाड़ी इलाके में जाइये, वो अपने आप में अलग तरह का स्वर्ग है। तो कितने गिनाएं कुदरत के कादिर ने इतने स्वर्ग बना रखे हैं। किसके लिए, पशु, पक्षी, परिंदे सबके लिए है, पर उनका लुत्फ, उनका नजारा लेता है सबसे ज्यादा मनुष्य, वह समझता है उन चीजों को, इन्जवॉय करता है, उसे खुशी आती है यह सब देखकर।
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