महेन्द्रगढ़ (सच कहूँ न्यूज)। दिल्ली पुलिस के जिस सिपाही ने वर्ष 1998 में राजधानी के जामा मस्जिद इलाके में दाऊद इब्राहिम गिरोेह के गुर्गों को निहत्थे दबोच कर अदम्य साहस का परिचय दिया था वही सिपाही सेवानिवृति के बाद हरियाणा के महेन्द्रगढ़ जिले में प्रशासन से अपनी जमीन के लिए लड़ाई लड़ रहा है। दिल्ली पुलिस से स्वैच्छिक सेवानिवृति ले चुके सिपाही सुरजीत सिंह को इस दिलेरी के लिए तत्कालीन पुलिस आयुक्त वी एन सिंह ने एक प्रशस्ति पत्र और पांच हजार रूपए की नकद राशि देकर जनवरी 1999 में सम्मानित किया था लेकिन अब वही सिपाही महेन्द्रगढ़ जिला प्रशासन से अपनी जमीन पर जबरन बनाई गई नहर के मामले में लड़ाई लड़ कर टूट चुका है।
क्या है मामला
सुरजीत सिंह ने बताया कि महेन्द्रगढ़ सिंचाई विभाग ने उनकी जमीन पर जबरन नहर बनाने की कोशिश की थी और जब उन्होंने वह मामला कनीना अदालत में डाला तो अदालत के आदेश पर 15 अप्रैल 2019 को तहसीलदार ने जमीन की पैमाईश कराई और और उस समय तहसीलदार ने अदालत में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा था कि वह जमीन उनकी पत्नी चंद्रकला के नाम है। लेकिन अदालती आदेशों की परवाह किए बगैर सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने 24 अप्रैल 2019 की रात पुलिस बंदोबस्त में उनकी जमीन पर जबरन नहर बना दी ।
मुख्यमंत्री कार्यालय में भी लगाई गुहार
सुरजीत सिंह ने इस मामले को मुख्यमंत्री कार्यालय में भी गुहार लगाई और इसके बाद सिंचाई विभाग से जब मुख्यमंत्री कार्यालय ने स्पष्टीकरण मांगा तो कहा गया कि यह नहर सिंचाई विभाग की अधिग्रहित जमीन पर ही बनाई गई है जबकि तहसीलदार कनीना ने पहले ही अपनी रिपोर्ट में कहा था कि यह जमीन उनकी पत्नी चंद्रकला के नाम है। जिला प्रशासन और सिंचाई विभाग के अधिकारियों के इस गैर जिम्मेदाराना रवैये को देखकर सुरजीत सिंह बुरी तरह टूट चुके हैं । सुरजीत सिंह ने सिंचाई विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव देविंदर सिंह से भी गुहार लगाई है कि या तो उनकी जमीन के बदले में कहीं और जमीन का टुकड़ा मुहैया कराया जाए या फिर उन्हें मुआवजा दिया जाए।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter, Instagram, LinkedIn , YouTube पर फॉलो करें।