MSG Bhandara : रूहानियत के गहरे ज्ञान को दार्शनिकता के खुष्क बयान की जरूरत ही नहीं पड़ी, आसान शब्दों में आसान सी बात समझाई। प्रेम का अनोखा खेल भी होता। अपने मस्तों को सार्इं जी घर जाने के लिए सख्ती करते, लेकिन मस्त सेवादार दरबार के आसपास घूमकर के दिन काट लेते थे। शाम को सार्इं जी प्यार लुटाते हुए उनको वापिस बुला लेते। जिंदगी जीने का सही ढंग आप जी ने सिखाया, धर्मों की सच्ची बात समझाई, धर्मों पर अमल करने की शिक्षा दी। हर धर्म की महानता से लोगों को अवगत करवाया। हाथों से कड़ी मेहनत करने की शिक्षा दी, उपले बनाकर सेवादारों को साध-संगत की सेवा के लिए खर्चे का प्रबंध करने की शिक्षा दी।
किसी से मांग कर नहीं खाना यह शिक्षा समाज के लिए पे्ररणा बनी। सार्इं जी ने डेरा सच्चा सौदा की शिक्षा को घर-घर पहुंचाने के लिए अपने गद्दीनशीन को चुना व रूहानियत में एक नई मिसाल कायम की। दुनिया को दिखा दिया कि गुरु शिष्य का प्यार क्या होता है। कैसे गुरु के प्यार में घर बार तोड़कर हर चीज लुटाई जाती है, अपना आप कुर्बान किया जाता है। रूहानियत सतगुरु के प्यार का नाम है, मानने व अमल करने का नाम है। रूहानियत धार्मिक और सामाजिक सांझ पैदा करने, भला करने, डूबते को बचाना, आग से जिंदा निकालना, गिरे हुए को उठाने का नाम है। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां आज पूरी दुनिया में रूहानियत व इन्सानियत का झंडा लहरा रहे हैं। दुनिया के कोने-कोने में डेरा सच्चा सौदा की सोच समाज को संवारती, प्यार व भाईचारे की महक बिखेरती नजर आ रही है। सारी दुनिया अपनी है, सारा संसार एक कुटुंब है, एक ही परिवार है यही शिक्षा डेरा सच्चा सौदा की बुनियाद है। – संपादक
भाईचारक सांझ का दिया संदेश सच्चे संतों की तार हमेशा ही प्रभु
से जुड़ी होती है। वह प्यार और दया के समुद्र होते हैं। उनके लिए कोई पराया, बेगाना या दुश्मन नहीं होता है। वह आत्मा को परमात्मा से मिलाते हैं, लोगों में नफरत, ईर्ष्या, वैर-विरोध खत्म कर भाईचारक सांझ को मजबूत करते हैं। यही सब कुछ संतों का रूहानी एजेंडा होता है।