महाराष्ट्र विवाद : केन्द्र सरकार को नोटिस, कल सुबह साढ़े दस बजे तक जवाब मांगा
- भाजपा का दावा-हमारे पास 170 विधायकों का समर्थन
- आज साढ़े दस बजे फिर होगी सुनवाई
- सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल की ओर से सरकार गठन से संबंधित दस्तावेज तलब किया
- फ्लोर टेस्ट से क्यों डर रही फडणवीस सरकार: अशोक चव्हाण
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र में फड़नवीस सरकार गठन से संबंधित दस्तावेज सोमवार सुबह तक तलब किया है। न्यायमूर्ति एन वी रमन, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की विशेष पीठ ने रविवार को हुई सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश हो रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को निर्देश दिया कि वह उसे कल सुबह साढ़े 10 बजे तक राज्यपाल की ओर से दिए गए दोनों दस्तावेज पेश करे जिसके तहत राज्यपाल ने भाजपा को सरकार गठन के लिए बुलाया तथा मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस के पास विधायकों के समर्थन का पत्र हो। विशेष पीठ मामले की सुनवाई कल सुबह साढ़े 10 बजे करेगी।
विपक्षी दलों ने कहा- राकांपा के 54 में से 41 विधायक शरद पवार के साथ
वहीं एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि शनिवार को हमारे पास 49 विधायक थे। दो अन्य विधायक भी संपर्क में हैं। एनसीपी प्रमुख शरद पवार विधायकों से मिले। उधर भाजपा नेता आशीष शेलार ने कहा कि फडणवीस एक स्थिर और मजबूत सरकार देंगे। उन्होंने कहा, ”फडणवीस और अजित पवार के शपथ लेने के साथ ही लोगों के बीच खुशी और सकारात्मकता का भाव है। उन्होंने कहा, ”फडणवीस के पास 170 से अधिक विधायकों का समर्थन है और बीजेपी सरकार सदन के पटल पर बहुमत साबित करेगी।
फडणवीस की सरकर नाजायज सरकार है। मुझे पूरी उम्मीद है कि हमने जो कागजात पेश किए उससे सुप्रीम कोर्ट हमारे पक्ष में फैसला देगा। हम कोर्ट से मांग करते हैं वो फ्लोर टेस्ट का आदेश दें।]
कांग्रेस नेता, अशोक चव्हाण
जानें सप्रीम कोर्ट में किसने क्या कहा !
भाजपा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दलील
- भाजपा के वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह याचिका बम्बई हाईकोर्ट में दायर होनी चाहिए थी।
- भाजपा वकील ने मामले की सुनवाई पर उठाया सवाल और कहा कि इस मामले की सुनवाई
के लिए सूचिबद्ध नहीं किया जाना चाहिए था। - सॉलिसिटर जनरल तुषार ने कहा कि शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस के पास सरकार बनाने का
मौलिक अधिकार नहीं है और उनकी याचिका स्वीकार नहीं की जा सकती। - रोहतगी ने कहा कि रविवार को आदेश पारित करने के लिए अदालत को आवश्यकता नहीं है।
- गवर्नर के फैसला अवैधता नहीं था। कोर्ट को फ्लोर टेस्ट की तारीख तय करने का आदेश पारित नहीं करना चाहिए।
- यहां तीनों दलों के पास कोई मौलिक अधिकार नहीं है।
- मुकुल रोहतगी ने कहा कि कुछ चीजें ऐसी हैं जो राष्ट्रपति के पास हैं जिस पर न्यायिक हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं।
शिवसेना की दलील
- शिवसेना की और से अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि महाराष्ट्र के लोगों को सरकार की जरूरत है।
- जब हम (कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना) कह रहे हैं हमारे पास बहुमत है, हम इसे साबित करने के लिए तैयार हैं।
- हम सोमवार को बहुमत साबित करने के लिए तैयार है।
- सिब्बल ने कहा कि कोर्ट को आज ही भाजपा से सदन में बहुमत साबित करने का आदेश देना चाहिए।
- उन्होंने कहा यदि भजपा आज बहुमत साबित नहीं करते हैं तो उन्हें (कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना )
को यदि फडणवीस के पास संख्या बल है, तो उन्हें सदन के पटल पर यह साबित करने दें, अन्यथा महाराष्ट्र में
सरकार बनाने के लिए हमारे पास संख्या बल है: सिब्बल ने न्यायालय से कहा।
सुप्रीम कोर्ट में एनसीपी की दलील
- एनसीपी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी कहा कि
सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी सदन में तत्काल बहुमत साबित करने के आदेश दिए हैं।
उन्होंने 1998 में यूपी में और 2018 में तत्काल सदन में बहुमत साबित करने के आदेश का हवाला दिया। - सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि यह कैसे संभव हो सकता है कि कल जिन्होंने बहुमत का
दावा कर शपथ लिया आज सदन में बहुमत साबित करने से पीछे हट रहे हैं। - सिंघवी ने कहा, यह कैसे संभव हो सकता है कि जिसने शनिवार को बहुमत का दावा किया, वह आज फ्लोर टेस्ट से भाग रहा है?
- सिंघवी ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने लगातार फ्लोर टेस्ट के आदेश दिए हैं चाहे 1998 में यूपी में हो या 2018 में कर्नाटक में हो।
- सिंघवी ने कहा, केवल 42-43 सीटों के सहारे अजीत पवार डिप्टी सीएम कैसे बने? यह लोकतंत्र की हत्या है।