आदेश नहीं मानने वाले स्कूलों पर लगेगा दो लाख रुपये जुर्माना
चंडीगढ़ (अश्वनी चावला)। राज्य सरकार ने पंजाब में प्राइवेट स्कूलों पर सख्ती बढ़ा दी है। खासकर, पहली से दसवीं क्लास तक पंजाबी भाषा अनिवार्य रखनी होगी। इसको लेकर पहले ही पंजाब में एक्ट बना हुआ है। अब रविवार को हुई कैबिनेट मीटिंग में फैसला लिया गया कि पंजाबी भाषा के एक्ट का उल्लंघन करने वालों पर अब 2 लाख तक जुमार्ना लगेगा। पंजाब सरकार ने पहले लगने वाले जुमार्ने को दोगुना कर दिया है। इस फैसले को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के 10वीं और 12वीं परीक्षा से पंजाबी को अनिवार्य विषय से हटाने के बाद हुए विवाद से जोड़कर देखा जा रहा है। पंजाब और अन्य भाषाओं में शिक्षा से जुड़े पंजाब एक्ट 2008 को में यह संशोधन किया गया है। इसमें उल्लंघन पर पहली बार 25 हजार, दूसरी बार 50 हजार और तीसरी बार एक लाख का जुमार्ना लगता था। इसे बढ़ाकर अब 50 हजार, एक लाख और 2 लाख कर दिया गया है।
आगे भी बढ़ाए जा सकते हैं जुमार्ने:
पंजाब सरकार ने एक्ट की धारा 8 में उप धारा 1-ए भी जोड़ दी है। इसके मुताबिक अगर सरकार को जरूरी लगे तो वो नोटिफिकेशन जारी कर जुमार्ने की राशि को और भी बढ़ा सकती है। स्पष्ट है कि अगर आगे किसी प्राइवेट स्कूल या बोर्ड ने मनमानी की तो फिर पंजाब सरकार ने कार्रवाई के लिए खुला रास्ता छोड़ दिया है।
सीबीएसई के फैसले से बढ़ा था विवाद
कुछ समय पहले सीबीएसई ने 10वीं और 12वीं से पंजाबी विषय को अनिवार्य सूची से हटाकर वैकल्पिक में डाल दिया था। पंजाब में इसका विरोध हुआ था। पंजाबी भाषा के एक्ट के मुताबिक पंजाब में चल रहे स्कूलों में पंजाबी को अनिवार्य विषय रखना अनिवार्य है। सरकारी स्कूलों की तरह प्राइवेट स्कूलों को भी इसे लागू करना होगा, चाहे वो किसी भी बोर्ड से मान्यता प्राप्त हों।
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