गिद्दड़बाहा के गांव बंबीहा की घटना, गम में बदली खुशियां
अबोहर (सच कहूँ/सुधीर अरोड़ा)। गिद्दड़बाहा हलके के गांव बंबीहा में सोमवार को उस समय शोक की लहर दौड़ गई जब अपनी नवजात बच्ची संग खुशियां मनाकर लौट रहे उसके पिता व दादी की सड़क हादसे में दर्दनाक मौत हो गई। यह हादसा इतना भयानक था कि दोनों मां-बेटे की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई और उन्हें अस्पताल ले जाने तक का समय भी नहीं मिल पाया।
बताया जाता है कि इस हादसे में पिकअप की गति तेज होने के कारण पिकअप भी दो पलटे खाकर वापिस सीधी हो गई जिससे पिकअप सवार चालक परिचालक भी घायल हो गए और घटना के बाद पिकअप छोड़कर फरार हो गए। मौके पर पहुंची पुलिस ने मृतकों के शव को सरकारी अस्पताल की मोर्चरी में रखवाते हुए पिकअप व बाईक कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी है।
तेज रफ्तार पिकअप ने मारी टक्कर, चालक मौके से फरार
जानकारी के अनुसार बठिंडा जिले के गांव बंबीहा निवासी गुरप्रीत सिंह पुत्र रणजीत सिंह की शादी करीब एक वर्ष पूर्व ही गुरमीत कौर निवासी गद्दांडोब से हुई थी और उसने 18 मई को सरकारी अस्पताल में एक बेटी को जन्म दिया था। सोमवार को दो दिन बाद पहली बार गुरप्रीत व उसकी मां रमनदीप कौर सरकारी अस्पताल में उसे देखने के लिए आए थे। करीब तीन घंटों तक मासूम सी बच्ची के साथ प्यार दुलार व खेलने के बाद उससे मिलकर जब वापिस अपने गांव बाईक पर जा रहे थे तो मलोट रोड़ गोबिंदगढ टी प्वाईंट के निकट सामने से आ रही एक तेज रफ्तार पिकअप से उनकी टक्कर हो गई, जिससे दोनों मां बेटा की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई।
इधर मौके पर पहुंची पुलिस ने दोनों मृतकों के शवों को सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया। बताया जाता है कि आसपास के एकत्र हुए लोगों ने पिकअप के घायल चालक परिचालक को काफी देर तक पकड़े रखा ताकि उन्हें पुलिस के हवाले किया जा सके लेकिन जब तब पुलिस घटनास्थल पर पहुंची तो दोनों लोगों को चकमा देकर वहां से फरार हो चुके थे।
दो दिन पूर्व जन्मी मासूम बच्ची के लिए इससे बड़ा और दुर्भाग्य क्या होगा कि जिस बच्ची को कुछ दिनों के बाद उसके परिजनों ने खुशी खुशी अपने घर लेकर जाना था और उसी अस्पताल में उसके पिता और दादी के शव अस्पताल में पहुंचे। इस घटना के बाद सरकारी अस्पताल के उस वार्ड में भी मातम छा गया जिसमें उक्त बच्ची को जन्म के बाद रखा गया है। वार्ड में मौजूद हर व्यक्ति यह घटना का समाचार सुनकर स्तबध था क्योंकि अभी कुछ घंटों पहले ही तो उसके पिता व दादी बच्ची को अपनी गोद में खिला खिला कर खुशी खुशी यहां से रवाना हुए थे लेकिन उन्हें क्या पता था कि वे सीधे घर नहीं बल्कि वापिस इसी अस्पताल की मोर्चरी में पहुचेंगे।