छुट्टियों दौरान भी बच्चों को करवा रहे पढ़ाई
संगरूर/बरेटा(कृष्ण भोला)।
‘बेहिम्मते ने जो शिकवा करन मुकद्दरां दां, उगने वाले उग पैंदे ने सीना पाड़ के पत्थरां दां’ यह लाईनें 100 प्रतिशत फिट बैठती हैं गांंव आलमपुर मंदिरां के जंमपल व सरकारी प्राथमिक स्कूल फुल्लूवाला डोगरा के मुख्य अध्यापक जोगिन्द्र सिंह लाली पर। यह अध्यापक शारीरिक तौर पर दोनों टांगों से अपहिज है। इस हिम्मत दिल अध्यापक ने अपनी दिव्यांगता को ही अपनी ताकत बनाया है, जो उसके कामों में रुकावट नहीं बनती बल्कि शारीरिक तौर पर फिट व्यक्तियों को भी सख़्त मेहनत करने के लिए पे्ररित करती है। हासिल हुए विवरणों मुताबिक अध्यापक जोगिन्द्र सिंह ने अध्यापन पेशे की शुरूआत वर्ष 1997 में अपने ही गांव आलमपुर मंदिरां से करीब 14 वर्ष गांव में ड्यूटी करने के बाद में उनका तबादला गांव टाहलियां में हुआ और अब गाँव फुल्लूवाला डोगरा में मुख्य अध्यापक के तौर पर सेवाएं निभा रहे है। ‘सच-कहूँ’ के साथ बातचीत दौरान इस साहसी अध्यापक ने कहा कि चाहे ही वह दोनों टांगें से 80 प्रतिशत दिव्यांग है परंतु इसके बावजूद वह स्कूल की बेहतरी और विद्यार्थियों के अच्छे भविष्य के लिए हमेशा तत्पर रहते है।
उन्होंने बताया कि वह तो छुट्टियोंं दौरान भी बच्चों को पढ़ाते है। इस वर्ष की गर्मियों की छुट्टियों में जब बड़ी संख्या अध्यापक पहाड़ी क्षेत्रों की वादियों में घूम रहे थे उस समय पर सख़्त गर्मी के बावजूद जोगिन्द्र सिंह अपनी व्हील चेयर पर स्कूल में बैठकर अपनी निगरानी के अंतर्गत रंग रोगन करवा रहे थे। उन्होंने बताया कि उनकी अब तक की प्राप्तियां व समाज सेवा के लिए समय निकालने में सब से अधिक सहयोग उसके भाई गुरदीप सिंह व भाभी जसवंत कौर का अहम योगदान है जोगिन्द्र सिंह की बहन परमजीत कौर जिसकी उम्र करीब 50 वर्ष है वह भी 100 प्रतिशत दिव्यांग व गूंगी-बेहरी है इन दोनों दिव्यांग बहन -भाईयों की संभाल उनके भाई व भाभाी की तरफ से ही की जाती है। अध्यापक जोगिन्द्र सिंह हर समय पर स्कूल की बेहतरी के लिए सोचता रहता है इस सोच के कारण ही उन्होंने गांव की पंचायत व अन्य सहयोगी सज्जनों के सहयोग के साथ स्कूल की नुहार बदल दी है। स्कूल के कमरों, बरामदों व चारदीवारी को रंग करने के अलावा मुख्य सड़क से लेकर स्कूल तक जाता रास्ता भी पक्का करवा दिया है।
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